खबर लहरिया ताजा खबरें 70 साल पुराने राम मंदिर मामले पर 10 जनवरी को होगी सुनवाई

70 साल पुराने राम मंदिर मामले पर 10 जनवरी को होगी सुनवाई

70 साल पुराने अयोध्या राम मंदिर मामले की सुनवाई अब 10 जनवरी को की जाएगी। मंगलवार को ये फैसला न्यायधीश रंजन गोगोई द्वारा लिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संविधान पीठ, राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद शीर्षक विवाद पर सुनवाई करेगी। इस पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस एसए बोबडे, एनवी रमना, यूयू ललित और डी वाई चंद्रचूड़ शामिल होंगे।

यह मामला अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना के विवादास्पद मुद्दे से संबंधित है। इस स्थल पर पहले कभी बाबरी मस्जिद हुआ करती थी जिसे 1992 में करसेवकों  द्वारा विवादास्पद रूप से ध्वस्त कर दिया गया था। विध्वंस के कारण देशव्यापी दंगे भी हुए थे। कुछ लोगों का इस पर कहना है कि क्योंकि यह राम जन्मभूमि है इसलिए केवल यहाँ राम मंदिर ही बनाया जाना चाहिए।

2010 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन याचिकाकर्ताओं के बीच भूमि को विभाजित किया था – उनमें से दो ने अयोध्या स्थल पर राम मंदिर बनाने का पक्ष लिया था जबकि तीसरा बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण चाहता था।

सभी याचिकाकर्ताओं ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट अब उन अपीलों पर सुनवाई शुरू करेगा।

देश भर में प्रसिद्ध यह मुद्दा, आने वाले 2019 के चुनावों के समक्ष एक राजनीतिक विवाद का मुद्दा भी बन गया है। हालाँकि मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले अपने घोषणापत्र में कहा था कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर की स्थापना ज़रूर की जाएगी।

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला रहेगा ये अभी भी एक सोचने की बात है। जहाँ कई लोगों ने राम मंदिर की स्थापना को लेकर अपना समर्थन जताया है तो वहीँ कही ने इसका विरोध भी किया है। देखा जाए तो कई लोगों ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ये भी कहा है कि आने वाले चुनावों को लेकर इस मुद्दे को इतने ज़ोरों-शोरों से उठाया जा रहा है। लेकिन मोदी सरकार के इन पांच सालों में कई लोगों को कोई विकास की धारा नहीं दिखी है।

भले ही हम लोग यहाँ इस फैसले से परेशान हैं कि वहां राम मंदिर बनेगा या नहीं? या वहां दोबारा से बाबरी मस्जिद की स्थापना तो नहीं की जाएगी? या फिर मोदी सरकार इसे आने वाले चुनावों में अपना सबसे बड़ा हथियार तो नहीं बना लेगी? ऐसे में इन सबके बीच अयोध्या वासी असली में क्या चाहते हैं ये कोई नही जानता है। इस मामले को लेकर शहर में हो रहे दंगों से उनकी ज़िन्दगी पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इस बारे में हम लोग सोच भी नहीं सकते हैं।