ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Ax-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचे। आईएसएस पहुंचने के बाद अपने स्वागत समारोह में उन्होंने कहा कि ‘मैं 634वां अंतरिक्ष यात्री हूं। यहां पहुंचना मेरे लिए गर्व की बात है।
भारत के 39 वर्षीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 26 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंच कर अपना नाम इतिहस में दर्ज करा लिया है। उन्होंने बुधवार 25 जून 2025 को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी थी। अंतरिक्ष में पहुंचने वाले वो दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं। इसी के साथ वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में प्रवेश करने वाले 634वें अंतरिक्ष यात्री बन गए। शुक्ला इसरो और नासा के सहयोग से आयोजित एक्सिओम स्पेस के अंतरिक्ष मिशन के हिस्सा हैं। उनकी यह यात्रा करीब 28 घंटे लंबी थी। वे अगले 4 दिन अंतरिक्ष पर ही रुकने वाले हैं।
बता दें कि, शुभांशु शुक्ला के साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री पोलैंड के स्लावोश उज्नान्स्की, विसनिवस्की और हंगरी के तिबोर कापू भी पहली बार अंतरिक्ष में पहुंचे। अंतरिक्ष स्टेशन में पहुंचने पर उन्हें मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन और ‘एक्सपीडिशन 73’ के सदस्यों ने गर्मजोशी से गले लगाकर और हाथ मिलाकर स्वागत किया।
अंतरिक्ष पहुंच कर क्या कहा शुभांशु शुक्ला ने
शुभांशु शुक्ला ने स्वागत समारोह में कहा, “आप सभी को अंतरिक्ष से नमस्कार। मैं 634वां अंतरिक्ष यात्री हूं। यहां पहुंचना मेरे लिए गर्व की बात है। आप सबके प्यार और आशीर्वाद से मैं अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचा हूं। खड़ा रहना आसान लग रहा है लेकिन सिर थोड़ा भारी महसूस हो रहा है हालांकि ये छोटी समस्याएं हैं हम धीरे-धीरे इसके आदी हो जाएंगे। यह यात्रा का पहला कदम है।” उन्होंने आगे कहा, जैसे ही मैंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में कदम रखा और बाकी सदस्यों से मिला उन्होंने मुझे ऐसा महसूस कराया जैसे मैं किसी के घर आया हूं और उन्होंने अपने दरवाजे मेरे लिए खोल दिए हों। यह अनुभव मेरी उम्मीदों से कहीं ज्यादा बेहतर रहा दृश्य अद्भुत था लेकिन सबसे बढ़कर आप सभी लोग हैं।” अंत में उन्होंने कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले 14 दिन विज्ञान और शोध के लिए बेहतरीन साबित होंगे। हम मिलकर काम करेंगे और इस मिशन को सफल बनाएंगे।”
अंतरिक्ष में जाने का उद्देश्य
मिशन का उद्देश्य
Axiom 4 मिशन का मकसद है अंतरिक्ष में रिसर्च करना और नई तकनीकें आजमाना। ये एक बड़ी योजना का हिस्सा है जिसमें भविष्य में एक प्राइवेट अंतरिक्ष स्टेशन (एक्सियम स्टेशन) बनाया जाएगा जहां लोग रिसर्च और दूसरी जरूरी चीजें कर सकें।
वैज्ञानिक प्रयोग
इस मिशन में अंतरिक्ष में ऐसे प्रयोग किए जाएंगे जो जमीन पर नहीं हो सकते। वहां गुरुत्वाकर्षण बहुत कम होता है (इसे माइक्रोग्रेविटी कहते हैं)। इसी माहौल में देखा जाएगा कि बीज कैसे उगते हैं, दवाइयों पर क्या असर होता है और शरीर कैसे काम करता है।
नई तकनीक की जांच
इस मिशन में ऐसी नई मशीनें और उपकरण भी टेस्ट किए जाएंगे जो अंतरिक्ष में काम आ सकते हैं। ये चेक किया जाएगा कि वो कठिन हालात में भी सही से काम कर रहे हैं या नहीं।
देशों का साथ मिलकर काम
Axiom 4 मिशन में कई देशों के अंतरिक्ष यात्री हिस्सा ले रहे हैं। इससे यह दिखता है कि दुनिया के देश मिलकर अंतरिक्ष में भी एक साथ काम कर सकते हैं।
पढ़ाई और जागरूकता
मिशन का एक मकसद यह भी है कि अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारी स्कूलों और आम लोगों तक पहुंचे जिससे बच्चे और युवा विज्ञान में रुचि लें और कुछ नया सीखें।
क्या है Axiom 4 मिशन
Axiom मिशन 4 यानी Ax-4, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए भेजा गया चौथा प्राइवेट स्पेस मिशन है। इसे Axiom Space ने SpaceX और NASA के साथ मिलकर तैयार किया है।
इस मिशन का मकसद है कि अंतरिक्ष को रिसर्च और बिजनेस के लिए ज्यादा इस्तेमाल में लाया जाए। इसे अंतरिक्ष को आम लोगों और कंपनियों के लिए खोलने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस मिशन के ज़रिए अलग-अलग देशों के लोग मिलकर काम कर रहे हैं और माइक्रोग्रैविटी यानी बेहद हल्के गुरुत्व वाले माहौल में नई वैज्ञानिक खोजें की जा रही हैं।
शुभांशु अंतरिक्ष पर क्या करेंगे
शुभांशु वहां 14 दिनों तक रहेंगे और 7 प्रयोग करेंगे जो भारतीय शिक्षण संस्थानों ने तैयार किए हैं। इनमें ज्यादातर बायोलॉजिकल स्टडीज होंगी जैसे कि अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य और जीवों पर असर देखना। इसके अलावा वो NASA के साथ 5 और प्रयोग करेंगे जिसमें लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए डेटा जुटाएंगे। इस मिशन में किए गए प्रयोग भारत के गगनयान मिशन को मजबूत करेंगे।
भारत को कैसे होगा फायदा?
इस मिशन से इसरो के गगनयान मिशन को सीधे तौर पर फायदा मिलने की उम्मीद है। इस मिशन के तहत इंसानों को 2027 में अंतरिक्ष में भेजने की योजना है। शुभांशु शुक्ला की ये यात्रा न सिर्फ भारत-अमेरिका अंतरिक्ष संबंधों को मजबूत करेगी बल्कि भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में भी मजबूती देगी।
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