खबर लहरिया Blog Colonel Sofiya Qureshi: बीजेपी नेता विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान पर हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने लगायी फटकार

Colonel Sofiya Qureshi: बीजेपी नेता विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान पर हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने लगायी फटकार

मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह पर हाई कोर्ट की प्रतिक्रिया के बाद एफआईआर दर्ज, MP के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंत्री पर कार्यवाही के दिए निर्देश। सुप्रीम कोर्ट से भी लगी फटकार।  

कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की तस्वीर (फोटो साभार: प्रोफेसर अली खान मेहमूदाबाद फेसबुक अकाउंट)

लेखन – हिंदुजा वर्मा

जहाँ एक तरफ हरियाणा महिला आयोग ने प्रोफेसर अली खान मेहमूदाबाद को समन भेजा है, वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता विजय शाह के वाकई आपत्तिजनक बयान पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 14 मई को स्वतः संज्ञान लेना पड़ा। हाई कोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला ने मंत्री विजय शाह को कड़ी फटकार लगाई और पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश भी दिया। इसके बाद भाजपा नेता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने भी मंत्री को भी कड़ी फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने विजय शाह के भाषण पर टिप्पणी देते हुए कहा कि मंत्री ने “गटर लैंग्वेज का इस्तेमाल किया है।”

दरअसल, विजय शाह ने 12 मई को रायकुंडा गांव, इंदौर ग्रामीण जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था और उन्होंने अपने भाषण में कर्नल सोफिया कुरैशी को “आतंकवादियों की बहन” बोला था। नेता ने अपने भाषण में कहा, ” जिन्होंने हमारे बेटियों के सिन्दूर उजड़े थे, उन लोगों को हमने उन्हीं की बहन भेज करके हमने उनकी ऐसी की तैसी की।

हाई कोर्ट ने विजय शाह के बयान को “खतरनाक” बताते हुए कहा कि ऐसे बयान अब सशस्त्र बलों के जवानों को सीधे निशाना बनाते दिख रहे हैं जो कि गलत है। 

जिसके बाद उन्हें अपनी पार्टी से भी गुस्से का शिकार होना पड़ा। हलाकि, वियज शाह ने x पर माफ़ी मांगते हुए कई पोस्ट्स डाले और एक वीडियो भी जारी किया जिसमे वो ” मै दिल से न केवल शर्मिंदा हूँ, दुखी हूँ बल्कि माफ़ी भी चाहता हूँ ” कहते हुए नज़र आये। 

 

विजय शाह मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री हैं। उनके इस बयान से आये पार्टी में गुस्से और हाई कोर्ट से आदेश आने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। ऐसा भी माना जा रहा है कि विजय शाह की कुर्सी ज्यादा दिनों तक नहीं है।

 

विपक्ष के राजनीतिक दलों से भी इस मामले पर तेज प्रतिक्रिया आई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए इस बयान को “शर्मनाक” और “एक बीमार मानसिकता” दिखने वाला बताया। इसी तरह के आलोचनात्मक बयान अन्य नेताओं ने भी दिए, जिनमें सचिन पायलट, बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती और तृणमूल कांग्रेस सांसद सागरिका घोष शामिल हैं।

 

हरियाणा महिला आयोग ने अशोका विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को समन भेजा है। यह समन उनके ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दिए गए बयान पर भेजा गया है, जिसे आयोग ने “भारतीय सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों का अपमान करने वाला और साम्प्रदायिक मनमुटाव फैलाने वाला” बताया है।

प्रोफेस्सर महमूदाबाद को 14 मई को हरियाणा महिला आयोग के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया है। अली खान मेहमूदाबाद विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख हैं। 8 मई की एक फेसबुक पोस्ट में प्रोफेसर ने दक्षिणपंथी (right winger) विचारधारा या बीजेपी के समर्थको के द्वारा कर्नल सोफ़िया कुरैशी की प्रशंसा करने पर मगर कॉमन मुस्लिम की भीड़ द्वारा मारपीट से हत्या कर देने पर चुप रहने को विरोधाभास बताया था।

उन्होंने ये भी कहा कि क़ुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा प्रेस ब्रीफिंग्स का “दिखावा” (ऑप्टिक्स ) महत्वपूर्णथा लेकिन यह दिखावट ज़मीन पर वास्तविकता में तब्दील होनी चाहिए, वरना यह केवल पाखंड होगा।

फेसबुक पोस्ट के शुरुआत में ऑपरेशन सिन्दूर के ऊपर लिखते हुए खान ने ये भी ज़ाहिर किया कि भारतीय सशस्त्र बलों ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि सैन्य या नागरिक प्रतिष्ठानों या ढांचों को निशाना न बनाया जाए, ताकि युद्ध आगे न बढे। उन्होंने यह भी लिखा कि भारत का “संदेश स्पष्ट है: अगर आप अपनी आतंकवाद समस्या से नहीं निपटते, तो हम निपटेंगे!”

हलाकि प्रोफेसर ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सैद्धांतिक दृष्टिकोण साफ़ किया और कहा की भारत ने पाकिस्तान के नागरिकों और मिलिट्री को निशाना नहीं बनाया, उसके साथ ही उन्होंने कोई भी युद्ध क्यों ख़राब है इसपर भी अपनी टिप्पणी दी।

पोस्ट में उन्होंने कहा कि देश के नागरिक हमेशा युद्ध में सबसे ज़्यदा प्रभावित होते हैं तो जब आप युद्ध के लिए शोर मचाते हैं या किसी देश को नष्ट करने की बात करते हैं, तो आप असल में क्या माँग रहे हैं? युद्ध में गरीब लोग असामान्य रूप से पीड़ित होते हैं और इसका फायदा केवल राजनेता, राजनैतिक पार्टियां और रक्षा कंपनियाँ उठाती हैं।

प्रोफेसर ने युद्ध के खिलाफ टिप्पणी देते हुए ये भी कहा की नागरिकों की जान का नुकसान दोनों पक्षों के लिए दुखद है और यह मुख्य कारण है कि युद्ध को टाला जाना चाहिए।

प्रोफेसर अली खान मेहमूदाबाद द्वारा फेसबुक पर किए गए पोस्ट में लिखा कि “आख़िर में, मुझे यह देखकर खुशी हुई कि इतने सारे दक्षिणपंथी टिप्पणीकार कर्नल सोफिया कुरैशी की सराहना कर रहे हैं। लेकिन क्या वे उतने ही प्रबल रूप से उन लोगों के लिए भी आवाज़ उठा सकते हैं जिनकी भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी या उनके लिए जो, मनमानी बुलडोज़िंग और भाजपा की नफ़रत फैलाने वाली राजनीति के शिकार हुए हैं — ताकि उन्हें भी एक भारतीय नागरिक की तरह सुरक्षा मिल सके? दो महिला सैनिकों द्वारा ऑपरेशन सिंदूर पर अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने का दृश्य., लेकिन अगर ये दृश्य ज़मीनी हक़ीक़त में नहीं बदलते तो यह सिर्फ़ पाखंड रह जाएगा। जब एक प्रमुख मुस्लिम नेता ने “पाकिस्तान मुर्दाबाद” कहा और इसके लिए पाकिस्तानी सोशल मीडिया यूज़र्स ने उन्हें ट्रोल किया — तब भारतीय दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों ने उनका बचाव करते हुए कहा, “वो हमारे मुल्ला हैं।” यह बात मज़ाकिया लग सकती है, लेकिन ये बात यह भी दिखाती है की भारतीय राजनीति सांप्रदायिकता से कितनी गहराई से प्रभावित है।”

ये प्रोफेसर अली खान मेहमूदाबाद के फेसबुक पोस्ट का एक हिस्सा है जिससे हमने ट्रांसलेट किया है। ओरिजिनल और पूरा पोस्ट देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

 

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