खबर लहरिया Blog Ashoka University Professor Ali Khan Mahmudabad: क्या है प्रोफ़ेसर अली ख़ान महमूदाबाद मामला

Ashoka University Professor Ali Khan Mahmudabad: क्या है प्रोफ़ेसर अली ख़ान महमूदाबाद मामला

अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली ख़ान महमूदाबाद को हरियाणा पुलिस ने यूनिवर्सिटी सिंदूर के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद गिरफ़्तार कर लिया गया, जिसे सेना के आलोचना के तौर पर देखा गया।

अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली ख़ान महमूदाबाद की तस्वीर (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

7-10 मई 2025 तक देश में भारत पाकिस्तान के युद्ध (ऑपरेशन सिंदूर) से कोई भी अंजान नहीं है। इससे सम्बंधित हर कोई अपने सोशल मीडिया चैनल पर अपने विचार लिख रहे हैं। यह खबर भी जगजाहिर है कि कर्नल सोफिया कुरैशी (एक भारतीय सेना) और व्योमिका सिंह (विंग कमांडर) ने भी मई 2025 में हुए भारत और पाकिस्तान के युद्ध में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी दी है। ठीक इसी तरह प्रोफेसर अली ख़ान महमूदाबाद ने भी अपने सोशल मीडिया चैनल पर सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह के साथ साथ युद्ध से सम्बंधित पोस्ट लिखा था। इसी पोस्ट को हरियाणा के राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया और हरियाणा के जठेरी गांव के सरपंच द्वारा महिलाओं और देश के बारे में अपमानजनक पोस्ट लिखने के आरोप में अली ख़ान महमूदाबाद पर रिपोर्ट दर्ज कराया गया और 18 मई को उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया।

कौन हैं अली ख़ान महमूदाबाद?

अली ख़ान महमूदाबाद, महमूदाबाद के राजा साहब के पोते हैं और एक प्रतिष्ठित इतिहासकार, कवि और लेखक हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा लखनऊ, अमेरिका, सीरिया और इंग्लैंड से प्राप्त की है। वर्तमान में वे हरियाणा के सोनीपत में स्थित अशोका विश्वविद्यालय में इतिहास और राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।

क्या था विवाद?

अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को रविवार 18 मई को गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर उनके फेसबुक पोस्ट के दस दिन बाद हुई है जिससे विवाद पैदा हो गया था। 8 मई को भारतीय रक्षा बलों द्वारा पाकिस्तान में आतंकवादी स्थलों पर सैन्य हमले शुरू करने के एक दिन बाद, अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने फेसबुक पर भारत-पाकिस्तान संघर्ष का सारांश देते हुए एक पोस्ट लिखी जिसमें उन्होंने कहा था –
“रणनीतिक रूप से भारत ने वास्तव में पाकिस्तान में सैन्य और आतंकवादी (गैर-राज्य अभिनेताओं) के बीच के अंतर को खत्म करने के मामले में एक नया चरण शुरू किया है” और आगे कहा गया है कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि “आतंकवादी हमलों का जवाब सैन्य प्रतिक्रिया से दिया जाएगा और दोनों के बीच किसी भी तरह के अर्थगत अंतर को खत्म कर दिया गया है। ”… उन्होंने ये भी कहा इसके अलावा, खान कहते हैं कि जो लोग “बिना सोचे-समझे युद्ध की वकालत कर रहे हैं” वे कभी संघर्ष क्षेत्र में रहे या गए नहीं हैं। “युद्ध क्रूर है। गरीब लोग असमान रूप से पीड़ित हैं और केवल राजनेता और रक्षा कंपनियाँ ही लाभान्वित होती हैं। ”

“मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि इतने सारे दक्षिणपंथी टिप्पणीकार कर्नल सोफिया कुरैशी की सराहना कर रहे हैं लेकिन शायद वे उतनी ही ज़ोर से यह भी मांग कर सकते हैं कि भीड़ द्वारा हत्या, मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने और भाजपा के नफ़रत फैलाने के शिकार लोगों को भारतीय नागरिक के रूप में सुरक्षा दी जाए। दो महिला सैनिकों द्वारा अपने निष्कर्षों को प्रस्तुत करने का नज़रिया महत्वपूर्ण है, लेकिन यह नज़रिया ज़मीन पर वास्तविकता में तब्दील होना चाहिए, अन्यथा यह सिर्फ़ पाखंड है… मेरे लिए यह प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ़ एक झलक थी- एक भ्रम और शायद एक ऐसे भारत की ओर इशारा जिसने उस तर्क को खारिज कर दिया जिस पर पाकिस्तान बनाया गया था। जैसा कि मैंने कहा, आम मुसलमानों के सामने जो जमीनी हकीकत है, वह सरकार द्वारा दिखाए जाने वाले से अलग है लेकिन साथ ही प्रेस कॉन्फ्रेंस से पता चलता है कि एक भारत, अपनी विविधता में एकजुट, एक विचार के रूप में पूरी तरह से मरा नहीं है। ”

इसमें यह भी कहा गया है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक मुस्लिम सेना अधिकारी को सबसे आगे रखा गया था, जिससे यह झलक मिलती है कि “भारत, जो अपनी विविधता में एकजुट है, पूरी तरह से मरा नहीं है।”
ऊपर लिखे वाक्य अली खान महमूदाबाद द्वारा उनके फेसबुक पोस्ट पर लिखे गए थे जिसके कारण उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

अली ख़ान महमूदाबाद के ऊपर लगी धाराएँ –

हरियाणा महिला आयोग अध्यक्ष रेणु भाटिया के शिकायत द्वारा अली खान महमूदाबाद पर एफ.आइ.आर दर्ज कराई गई जिसमें धारा 353: अशांति फैलाने, धारा 79: महिलाओं का अपमान करना और धारा 152- भारत के अखंडता को ख़तरा पहुँचाने यानी देशद्रोह की धारा लगी है। 18 मई को उन्हें हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ़्तार भी किया गया।

अली खान महमूदाबाद के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर लगे आरोप को गलत बताते हुए इस गिरफ़्तारी का जमकर विरोध किया। उनके गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई और कोर्ट सुनवाई के लिए राज़ी भी हो गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने 19 मई को सीजीआइ बी.आर.गवई और जस्टिस ‘स्टेन जॉर्ज मसीह’ के सामने मामला उठाया और कहा कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को देशभक्त से भरे बयान के लिए गिरफ़्तार किया गया। इसे मंगलवार या बुधवार को सुनवाई के लिए लिस्ट करें। सीजीआइ गवई ने उनकी माँग मान ली और याचिका को लिस्ट करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट अगले दो दिनों के भीतर इस मामले की सुनवाई करेगा।

 

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