महात्मा गांधी की विचारधाराओं पर आधारित और उनके द्वारा लिखित कई किताबों के भंडार से लैस वाराणसी में एक सेवा संस्थान राज घाट में मौजूद है। जुलाई के महीने में इस लाइब्रेरी को तहस-नहस कर दिया गया, यहाँ तक कि किताबों को भी लाइब्रेरी के बाहर निकाल कर फेंक दिया गया। ऐसे में इस संस्थान से जुड़े लोगों ने परेशान होकर मोर्चा निकालने और साइलेंट मार्च निकालने की ठानी है। ये लोग रोज़ाना लाइब्रेरी को वापस पाने के लिए जद्दोजहद में लगे हुए हैं।
ये भी देखें – “मेरे खून का हर एक कतरा देश को मजबूत करने में लगेगा” – इंदिरा गांधी, पहली महिला प्रधानमंत्री और उनका सफ़र
हम सभी जानते हैं कि शिक्षा, अहिंसा को बढ़ावा देने के साथ-साथ महात्मा गांधी ने स्वच्छ भारत का भी सपना देखा था जिसके लिए वह चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एक साथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। भारत सरकार साल 2014 से इसी सपने को आगे ले जाते हुए स्वच्छ भारत अभियान चला रही है। जिस तरह से हमने देखा कि गांधीवाद सोच के साथ चल रही इस लाइब्रेरी को तहस नहस कर दिया गया,उसी तरह स्वच्छ भारत का सपना भी अब सपने जैसा ही लगता है।
ये भी देखें – “हिन्दू राष्ट्र” बनता भारत, लक्ष्य एक “मुस्लिमों को….”, सुरक्षा-आज़ादी सिर्फ एक धर्म के नाम
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’