खबर लहरिया Blog वैलेंटाइन डे नहीं Cow Hug Day मनाने की गई अपील, क्या इससे सुधरेगी गायों की दुर्दशा?

वैलेंटाइन डे नहीं Cow Hug Day मनाने की गई अपील, क्या इससे सुधरेगी गायों की दुर्दशा?

नोटिस में कहा गया है, सभी गाय प्रेमी 14 फरवरी को गौ माता के महत्व को ध्यान में रखते हुए और जीवन को खुशहाल और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखते हुए गाय हग डे के रूप में मना सकते हैं।

Appeal made to celebrate Cow Hug Day on Valentine's Day, will this improve the plight of cows?

14 फरवरी को वैलेंटाइन डे नहीं बल्कि लोगों से ‘गाय को गले लगाएं’ दिवस / Cow Hug Day मनाने की गुज़ारिश की गयी है और यह अपील पशु कल्याण बोर्ड द्वारा नोटिस ज़ारी करके की गयी है। एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया ( Animal Welfare Board of India) ने ‘‘Cow Hug Day’ मनाने से सकारात्मक ऊर्जा फैलाने व सामूहिक ख़ुशी को प्रोत्साहित करने की बात कही।

चलिए मान लेते हैं, गाय को गले लगाने का दिवस मनाने से वह सारी चीज़ें होंगी जिसकी बात पशु कल्याण बोर्ड ने कही पर इससे गायों को क्या मिलेगा? इस चीज़ से गायों का कल्याण कैसे होगा? या फिर ऐसे गायों को गले लगाने से वह मिलवर्तन की ओर सन्देश दे रहे हैं?

भारत देश जहां करोड़ों की संख्या में पशुओं को उचित सुविधा न मिल पाने की वजह से सड़कों, चौराहों पर आवारा घूमना पड़ता है। ठिठुरती ठण्ड में ठण्ड से बचने के लिए कोई शेड नहीं मिलता। गौशालाएं नहीं होती। जिन पशुओं की आये दिन सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है इत्यादि चीज़ों की ओर ध्यान देने की बजाय व इसका समाधान करने की बजाय पशु कल्याण बोर्ड बस गाये को गले लगाने की बात कहकर सकारात्मकता फ़ैलाने की बात करता है। इसे समझदारी कही जाए या राजनीति?

ये गाय को लेकर भारत में चलने वाली राजनीति आज तक थमी नहीं। गाय के नाम पर इतनी राजनीति हुई लेकिन गायों की दुर्दशा पर कोई फर्क नहीं पड़ा। हाँ, नाम के लिए योजनाएं व उनके लिए करोड़ों का बजट बस तय करके हाथ झाड़ दिया गया। जिन योजनाओं का लाभ तक पशुओं को नहीं दिया जाता जिनके नाम करोड़ों की राजनीति की खेली जाती है।

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क्या कहता है नोटिस?

                                पशुपालन विभाग द्वारा ज़ारी किया गया नोटिस

नोटिस में कहा गया है, “सभी गाय प्रेमी 14 फरवरी को गौ माता के महत्व को ध्यान में रखते हुए और जीवन को खुशहाल और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखते हुए गाय हग डे के रूप में मना सकते हैं।”

जनवरी 2022 के लाइव स्टॉक सेन्स डाटा के अनुसार, भारत में 5 मिलियन से भी ज़्यादा आवारा मवेशी हैं।

लोग तो खुशहाल हो जाएंगे पर आवारा पशुओं को खुशहाली कैसे दी जायेगी?

गाय व गौशाला – रिपोर्ट

खबर लहरिया की 24 जनवरी की प्रकाशित रिपोर्ट में किसान यूनियन के नरैनी तहसील अध्यक्ष दिनेश पटेल ने बताया, गौशालाओं में गौवंश की सुरक्षा के नाम पर खिलवाड़ होता है। इसे भक्ति कहें या गोवंश के साथ ज़्यादती। पहले यही गोवंश बिक जाते थे। अन्ना जानवर नहीं घूमते थे। सीमित होते थे तो लोग अपने घरों में बांधते थे जिससे किसानों की फसलें भी सुरक्षित रहती थी और जो गोवंश आज सड़कों पर हैं या गौशालाओं में ठंड से हो या भूख से मौत के शिकार हो रहे हैं, वह भी नहीं होते थे पर आज की स्थिति ऐसी है कि गोवंश जिसको गौ माता कहते हैं वह मारी-मारी फिर रही हैं। उन्हें रखने के लिए किसी के घरों में अब जगह ही नहीं है और सरकार जो गौशाला बनवाए हुए हैं और उनके खान-पान रख-रखाव के लिए बजट दे रही है, वह सिर्फ गौशालाओं और रख-रखाव के जिम्मेदार लोगों के लिए उनकी कमाई के ज़रिये से ज़्यादा और कुछ नहीं दिखाई देता। अभी हाल ही में हफ्ते भर पहले रिसौरा गांव में लगभग पांच गौवंश की मौत हुई है।

यह तो सिर्फ एक ही उदाहरण है लेकिन ऐसे कई और उदाहरण आपको देखने को मिल सकते हैं। सकारात्मकता सिर्फ गले लगाने से नहीं आएगी बल्कि देश में गायों की दुर्दशा को बेहतर करने से आएगी।

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