वो भी क्या दिन थे जब गांवों में ढोलक और खंजरी की गूंज सुनाई पड़ती थी। न लाउडस्पीकर का शोरगुल होता था न घड़ी के अलार्म घनघनाते थे। अब तो सब कुछ बदल गया। अब इनकी आवाजें गुम सी गई हैं। ऐसे में गुम होती इस आवाज को संजोयें हुए हैं बाँदा जिले के खैरी गाँव के युवा अनिल कुमार यादव।
अनिल कुमार बी.ए तक पढाई कर चुके हैं उनका सपना था खंजरी बजाना और वह बजा रहे हैं। बाँदा ही नहीं अन्य कई शहरों में इनकी बहुत पहचान है। उनका डांस देखकर लोग बहुत मग्न हो जाते हैं और 5000 से लेकर 10, 000 तक का इनाम भी मिलता है।
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