जिला चित्रकूट ब्लाक मऊ गांव कोटवा माफी यहां मार्च से लॉकडाउन हुआ है तब से यहां गर्भवती महिला धात्री महिला और छोटे-छोटे बच्चों को पोषाहार आंगनबाड़ी के तरफ से नहीं दिया गया जबकि सरकार के तरफ से नियम था घर घर आंगनबाड़ी सहायिका मिलकर पोषाहार बाटेंगे पर यहां 5 महीना बीत गया पर अभी तक का यहां पोषाहार नहीं मिला है |
इस तरह की इस गांव में स्थिति है यह आउट का गांव है जंगल इलाका है यहां कोई अधिकारी नहीं आते हैं इस कारण से यहां आंगनवाड़ी मनमानी करती हैं जबकि सरकार की तरफ से पोषाहार आया था लेकिन गांव में बटवाया नहीं गया है लोगों का कहना है कि एक तरह से वैसे भी गरीब आदमी बेरोजगार है घर में खाने के लिए कुछ नहीं था जो सरकार का लाभ भी मिलता था वह भी पूरा बंद हुआ किसी ना किसी तरह मजदूरी करके खाता है |
लेकिन छोटे बच्चों को पजूरी मिलती रहे वह भी सब बंद हुआ इस गांव में सिर्फ आंगनवाड़ी बीच में आई थी सब का आधार कार्ड का सर्वे करके चली गई हैं और जब कभी टीका भी लगता है तो ना गर्भवती को ना किसी को पोषाहार नहीं दिया जाता है आंगनबाड़ी का यह कहना है कि यहां नहीं आ रहा है इस कारण से नहीं बांटा जा रहा इस तरह की इस गांव में स्थिति है थोड़ा बहुत बच्चे खा भी लेते थे पंजीरी लेकिन यहां कुछ मिलता ही नहीं है एक टाइम के लिए तो बच्चे स्कूल चले जाते रहे हैं लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है |
तब से कुछ भी बच्चों को ना गर्भवती महिला को किसी को कुछ नहीं मिला है इस लाल डाउन में सरकार का जो योजना भी था वह सब पूरा बंद हो गया है एक तरह से गरीब मजदूर इंसान हर तरह से मारा जा रहा है आंगनबाड़ी सहायिका उर्मिला का कहना है कि यहां लॉकडाउन से ही पोषाहार नहीं आया है जब आंगनवाड़ी से कहते हैं और कहते हैं कि नहीं आया है तब से यहां इस गांव में पोषाहार नहीं आया जब आता है तो हम बाट देते हैं जब हमारे पास आया ही नहीं है तो हम क्या बाटे है टीका करवा देते है आंगनबाड़ी सुमन का कहना है पोषाहार आया है हम बैठे हैं लोग झूठ बोलते हैं हम वहां का काम ही छोड़ देंगे इस तरह लोग कह रहे हैं उनका इस तरह का जवाब है ऑडियो रिकॉर्डिंग में भेजे हैं इस तरह से आंगनबाड़ी का जवाब देना है मऊ सीडिपीओ विनय कुमार का कहना है की हर गांव मे पोषाहार लाकडाउन मे भेजा गया है यदि नही बटा तो जांच करवाया जायेगा