खबर लहरिया ताजा खबरें खनन मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के नाम खुला ख़त

खनन मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के नाम खुला ख़त

साभार: विकिमीडिया कॉमन्स

सेवा में

खनन मंत्री,

श्री नरेन्द्र सिंह तोमर

श्रीमान खनन मंत्री जी मैं आपको इस खुला खत के माध्यम से अपने गाँव वालों की समस्या बता रहा हूँ ।

मेरा नाम कालीचरन प्रजापति,है मेरी उम्र लगभग 60 साल है। मैं जिला महोबा, ब्लाक कबरई, मोहल्ला भगत सिंह नगर का रहने वाला हूँ। मेरा बचपन, जवानी और अब बुढ़ापा सब यही पर गुज़र रहा है। बचपन और जवानी में देखा कि मेरे यहां के पहाड कितने खूबसूरत थे क्योंकि मेरा घर ही पहाड़ के नीचे है।  प्रकृति हमारे जीवन का सबसे बड़ा साथी है, प्रकृति से हमको हवा पानी बिजली दवाईयां लकड़ी और तमाम जीवन जीने के लिए चीजें मिलती है । हम बहुत कुछ प्रकृति से सीखते भी हैं।  लेकिन अगर प्रकृति ही नहीं रह जायेगी तो आगे का हमारा जीवन कैसा होगा? ये बात आप सब जानते हैं ।

सुन्दर सुन्दर पहाड़ों को खोद खोद कर खाई बना दिया गया है। पर इस पर न सरकार रोक लगाती हैं न कभी ये मुद्दा चर्चा का विषय बनता है ।

जो पहाड़ थे उनका खनन करके उनको खाई में बदल दिया गया है।  भरतकूप और कर्वी का पूरा इलाका पहाड़ों से घिरा था उसकी खूबसूरती देखते ही बनती थी।   इसी तरह से बांदा के पनगरा का पहाड़ था लेकिन इन पहाड़ों को क्रेशर मालिकों ने खोद कर इससे ग्रेनाइट पत्थर निकाल लिए और अब पहाड़ पूरी तरह से खाई में  तब्दील हो गये हैं।  इसी तरह से महोबा के कबरई इलाके के पहाड़ों को भी खोद कर गढ्ढों में बदल दिया गया है।  अब यहां की सुंदरता भी चली गई है और यही वजह है की अब साफ हवा भी नहीं मिल रही।  न ही ज्यादा पानी बरस रहा है।  इस वजह से खेती किसानी में और हमारी जिन्दगी बुरा असर पड़ा है । लेकिन पहाड़ों की खुदाई में रोक नहीं लगी है । मेरे घर के बगल में क्रेशर मशीन लगी है  जिसमें रातों दिन पत्थर की पिसाई होती है।  क्रेशर से निकलने वाली धूल दो फुट हर दिन हमारे घरों में जम जाती है।  खाना, कपड़ा, अनाज सब कुछ धूल भरा खाते हैं।  मेरे देखते-देखते कई परिवार ने घर छोड़ कर पलायन करना शुरू कर दिया हैलेकिन मेरा अपनी जगह और भूमि से इतना लगाव है कि मैं नहीं गया।  पहाड़ों को खत्म होना देख कर मुझे रोना आता है और आने वाली पीढ़ी के लिए भारी चिंता है कि बिना सुद्ध हवा के कैसा जीवन होगा।

पहाड़ों को खत्म करने में सबसे बड़ा हाथ सरकार का है। सरकार पहाडो का ठेका देती है और बाहरी बड़ी-बड़ी कम्पनियों ने पट्टा करवा कर जैसी भी मशीने लगा कर उन पहाडों की खुदाई करवाई और अरबों की खुद की कमाई की।  लेकिन हम गरीबों का सब कुछ छिन गया । खनिज मंत्री आप इसे क्यों रोक नहीं पा रहे हैं? आखिर क्या मजबूरी है आपके सामने ?

कैग की रिपोर्ट वर्ष 2014 में बताया गया कि बुंदेलखंड के तीन जिलों ललितपुर, झांसी व महोबा की 12 खदानों में 50.33 करोड़ रुपए का अवैध खनन किया गया। झांसी में पांच खदानों में खनिज विभाग की ओर से माइनिंग प्लान स्वीकृत करते हुए 10,8000 क्यूबिक मीटर सैंड स्टोन खनन की अनुमति दी गई, लेकिन खदान मालिकों ने नियमों को दरकिनार कर माइनिंग प्लान के सापेक्ष 59,9270 क्यूबिक मीटर का अधिक खनन कर लिया।  देश के 18,000 करोड़ रुपए के रियल एस्टेट के कारोबार में बुंदेलखंड के पत्थर, मौरंग और बालू की बड़ी हिस्सेदारी है, लेकिन आनन फानन में हो रहा खनन इस विशाल क्षेत्र को बर्बाद कर रहा है।

इसमें छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक का कमीशन बंधा होता है लेकिन पहाड़ों के नीचे बसे गरीबों को कुछ भी नहीं मिल पाता है।  बल्की पहाड़ों से मिलने वाली लकड़ी , फल और तमाम तरह की चीजें बन्द हो गई हैं।  जो खेती हैं किसानों की, वो भी बंजर में बदल गई है।  क्योंकि पहाड़ों की खुदाई से निकली बजरी बालू और बालूई मिट्टी बह कर खेतों पर आती है।  तो वहीं कयी किसानों की खेती क्रेशर से निकले धूल की वजह से बर्बाद है।  अब इतनी सारी दिक्कतें हमारी सरकार को नहीं दिखती हैं।  और ऐसा भी नहीं है कि प्रशासन इन सब से अनजान हैं लेकिन पहाड़ों की खुदाई जारी है। क्या कभी हमारे पहाड़ भी चर्चा का विषय बनेंगे? सरकार इस पर कभी विचार करेगी ?