मैं बुन्देलखन्ड का बलराम किसान हूं । मैं अपनी तरफ से सारे किसान भाईयों की दुख भरी कहानी और समस्याओं को अपने खत के माध्यम से बताना चाहता हूं। ये खत लिखना इस लिए भी मेरे लिए जरूरी हो गया है क्योकि 31 अक्टूबर को 80 फुट के पैर, 70 फुट के हाथ, ऊंचाई 600 फुट सरदार बल्लभ भाई पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई गई और इस मूर्ति पर पांच हजार करोड़ रूपये तक की लागत लगाई गई है। इसको देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग गुजरात गये। स्पेशल ट्रेन चलाई गई। एक महापुरूष की प्रतिमा बनाई गई मैं इसका विरोध नहीं कर रहा हूं ,लेकिन इस धन की बर्बादी से जुड़े मेरे कई सवाल हैं। जहां पर हम बुन्देलखण्ड के किसान अकाल की स्थिति से जूझ रहे हैं, जी रहें हैं, आत्म हत्या कर रहे हैं, हमारे यहां पर खेती में पैदावारी नहीं हो रही है।
लगातार कभी सूखा, कभी बाढ, कभी ओला वृस्टी तो कभी वेमौसम बरसात ने हमारी फसलें बर्बाद कर दी है। इसके अलावा मिलने वाला सरकारी लाभ और सुविधाएं हमें नहीं मिल रही हैं। न हमको पर्याप्त बिजली मिलती है, अगर मिलती भी है तो इतना लो बोल्टेज होता है की बोर से खेतों की सिचाई नहीं कर पाते हैं। इस समय रवि की बोआई का सीजन चल रहा है। नहरों में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा जा रहा है जिससे हम अपने खेतों का पलेवा नहीं कर पा रहे हैं। खाद और बीज के दाम कई गुना बढा दिए गए हैं। आपने सपथ लेते ही किसानों के कर्जमाफी की बात कही थी लेकिन बहुत सारे किसान ऐसे हैं जिनका कर्ज माफ नहीं हुआ है, फसल नष्ट का पिछले कई सालों का मुआवजा नहीं मिला है और अगर मिलता भी है तो मजाक के तौर पर कभी सौ तो कभी पचास रूपए तक का चेक दे दिया जाता है।
किसान क्रेडिट कार्ड के तहत किसानों को जबरजस्ती कर्ज दिया जाता है। एक कर्ज किसान अदा नहीं कर पाता है की सरकार दूसरे साल फिर से उसे कर्ज दे देती है। मना करने पर भी नहीं मानती है। इस तरह से कर्ज के बोझ में लद कर किसान आत्महत्या कर रहें हैं। बुन्देलखण्ड में हर दिन किसान कर्ज के बोझ में मर रहा है। हम लोग किसानों की समस्याओं को लेकर पिछले एक साल से लगातार धरना प्रदर्शन, भूख हडताल ,अधिकारियों का घेराव कर रहे हैं, पर हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पिछले महीने हमने अपने खून से चिट्ठी लिख कर सरकार को भेजी थी पर सरकार हमारे ऊपर कोई तरस नहीं खा रही है। मोदी जी हम कई बारी अपनी मांगों को लेकर लखनऊ और दिल्ली तक भी गए हैं। पर हमारी बात सुनी नहीं गई हैं, बल्कि न्याय के बदले में हमको पुलिस की लाठियां खानी पड़ी हैं। हम लहूलुहान होकर वापस आये हैं। आपके पास हमारे लिए मुफ्त पानी की सुविधा नहीं है? न ही मुफ्त बिजली है? मुआवजा के लिए भी पैसे नहीं हैं? हमारी मांगे आप क्यों नहीं मान रहे हो? तो एक पत्थर की निर्जीव मूर्ती को बनाने के लिए आपके पास करोड़ो-करोड़ो में पैसे कहां से आ गये? अगर मूर्ती ही बनवानी थी तो एक छोटी मूर्ती कम लागत में भी बनाई जा सकती थी बाकी का पैसा किसानो की फसल को बचाने में लगाया जा सकता था। आप क्यों पैसो की बर्बादी कर रहे हो? क्यों उचित जगह में पैसे नहीं खर्च कर रहे हो? सिर्फ भाषण बाजी से काम चलने वाला नहीं है, आपको अब हमारी मांगे पूरी करनी पड़ेंगी।
सरकार ने 2018-19 का बजट पेश करते वक्त भी किसानों को रिझाने की कोशिश की। बुंदेलखंड के विकास के लिए 650 करोड़ का इंतज़ाम किया गया है। प्रदेश के सबसे ज्यादा सूखा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल बुंदेलखंड में इस वित्त वर्ष में 5 हजार तालाब खुदवाने और 131 करोड़ रुपये सोलर पंप के लिए दिए। बुंदेलखंड के सातों जिलों में लघु और सीमांत किसानों की संख्या लगभग 11.77 लाख है। कुल किसान 15.40 लाख हैं। किसान आत्महत्या के मुद्दे पर साईनाथ का भी कहना है कि, ‘वर्तमान सरकार किसान आत्महत्या से जुड़े आंकड़े सार्वजनिक नहीं करना चाहती। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार पिछले बीस साल यानी 1995 से 2015 के बीच 3.10 लाख किसानों ने आत्महत्या की। पिछले दो साल से किसान आत्महत्या के आंकड़ों को जारी नहीं किया जा रहा है’।
लेकिन बुन्देलखंड की स्थिति ज्यो का त्यों बनी हुई है। कहाँ गए पांच हजार तालाब, 131 करोड़ रुपये के सोलर पंप कहाँ गए? 650 करोड़ रूपये कहां पर खर्च हुए हैं? क्या इस पैसे से आपके अधिकारियों का विकास हुआ है या फिर फाईलों में दिखा दिया गया है की काम हो गया है? क्या ये पैसा भी सरदार बल्लभ भाई की ऊंची प्रतिमा को बनाने में लगा दिया गया है? क्या आप हम किसानो के दर्द को समझ पाएंगे? क्या आप हमारी मांगे पूरी करेगें?