आवास के मामले में धांधली की खबर आये दिन सुनने को मिलती है ताज़ा मामला बाँदा जिले के एक गाँव से सामने आया है। जहाँ ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि उनके नाम से आया आवास किसी और को दे दिया गया है।
बांदा जिला के बिछवाही गांव में लोगों के आवास नहीं बने हैं। लोगों का आरोप है कि वह पात्र हैं फिर भी उन्हें आवास नहीं मिला और अब वह झोपड़ी डालकर या खपरैल के घर में अपना गुजारा कर रहे हैं। खपरैल का घर बरसात में टपकता है और झोपड़ी का क्या कहें वह आंधी और तूफ़ान से कई बार उड़ जाती है और उसे बार-बार बनाना पड़ता है।
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आवास के लिए पैसों की मांग
ममता ने बताया कि उनका 2011 की सूची में आवास के लिए नाम आया था लेकिन प्रधान द्वारा उनका नाम हटाकर दूसरे का नाम चढ़ा कर आवास बेच दिया गया है। प्रधान से कई बार सवाल किया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? और उनका आवास किसी और को क्यों दिया तो प्रधान द्वारा तमाम तरह की धमकी दी गई। साथ ही यह भी कहा कि आपका नाम सूची में नहीं है और ना ही आपको आवास दिया जाएगा, आपको जो करना हो करिए।
गरीबों का हक़ छीन रहे बिचौलिये-ग्रामीण
इसी तरह अनारकली ने बताया है कि प्रधान द्वारा 10,000 रूपये की मांग की गई है। पैसा ना देने के कारण आवास किसी दूसरे को बेच दिया गया है। जब इस बारे में बात की गई तो धमकी देकर भगा दिया। ऐसे में अनारकली बहुत निराश हैं और वह सरकार से मांग कर रही हैं कि गरीबों का हक गरीबों को क्यों नहीं मिलता है? बीच के बिचौलिये, कर्मचारी और दलाल गरीबों का हक छीन कर खा लेते हैं। इसलिए हमारी मांग है कि लोगों के घरों की जांच कराई जाए और गरीबों का लाभ गरीबों को दिया जाए। अगर गरीब पात्र लोग कच्चे मकान में परिवार के साथ गुजारा कर रहे हैं तो उनको आवास का लाभ दिलाया जाए जिसके वह हकदार हैं।
बिछवाही निवासी रामादेवी का आरोप है कि उनके गाँव में बहुत मनमानी चल रही है। गरीबों के नाम आवास में तो डाले जाते हैं लेकिन जब आवास आ जाते हैं तो उनसे पैसों की मांग की जाती है। अगर उनके मुंह का मांगा पैसा नहीं दिया जाता है तो सचिव प्रधान द्वारा आवास काटकर जिनसे दस हजार रुपए मिल जाता है उन्हीं को दे दिया जाता है। अगर गरीब लोग ज्यादा कहते हैं तो उनके ऊपर कार्यवाही करने की धमकी दी जाती है इसलिए गरीब मजदूर लोग अपना हक नहीं ले पाते हैं। यहाँ के लोग अभी भी दबंगों से दबे रहते हैं। जब प्रधान को लोगों की जरूरत होती है तो लोगों से हाथ जोड़ते हैं विनती करते हैं कि हमको इस बार प्रधान बनाइए। आपको लाभ दिया जाएगा पर जीतने के बाद उनके मुंह से सुनने को मिलता है कि आपकी वोटर पैसे से खरीदी गई है इसलिए आपका किसी तरह का लाभ नहीं दिया जाएगा। ऐसे में ग्रामीण करें भी तो क्या करें?
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योजना का लाभ लेने के लिए पात्र लाभार्थी
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लाभ ऐसे लाभार्थी ले सकते हैं जिनकी आय कम है। जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। जिनके पास पक्का मकान नहीं है
सरकारी नौकरी या गाड़ियाँ नहीं है ऐसे लोगों को आवास का लाभ दिया जाता है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना लिस्ट में उन्ही उम्मीदवारों का नाम होगा जिन्होंने योजना के लिए रजिस्ट्रेशन प्रकिया को पूरा किया हो। उम्मीदवार भारत का मूल निवासी होना अनिवार्य है। सभी लाभार्थी जिन्होंने योजना के लिए रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरे है वे मुफ्त में अपना नाम ऑनलाइन चेक कर सकते हैं।
प्रधान ने ग्रामीणों के आरोप को बताया झूठा
सीताराम प्रधान से जब इस मामले में बात की गई तो उनका कहना है कि का कहना है कि 2021 की सूची के आधार पर 22 आवास आये थे जो पात्र हैं उन्हें दे दिया गया है। अब दुबारा से सर्वे करके लिस्ट नए तरीके से बनाई जाएगी और बचे हुए लोगों को लाभ दिया जाएगा। पैसे की बात पर उनका कहना है कि लोग झूठा आरोप लगाकर गलत मुकदमें में फंसाना चाहते हैं। जिनके नाम से आवास आता है उसे प्रधान द्वारा काटा नहीं जा सकता है क्योंकि जिला, ब्लॉक हर स्तर पर उसका रिकॉर्ड होता है उसमें वह कोई परिवर्तन नहीं कर सकते हैं।
इस खबर की रिपोर्टिंग शिव देवी द्वारा की गयी है।
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