खबर लहरिया Blog भारत न्याय रिपोर्ट 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेंडिंग मामलों की गंभीर स्थिति

भारत न्याय रिपोर्ट 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेंडिंग मामलों की गंभीर स्थिति

भारत न्याय रिपोर्ट 2025 के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 60 लाख तक पहुंच गई है, जो न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश में सबसे अधिक है। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक वकील के दफ़्तर में रखी पुरानी फाइल ( तस्वीर आभार: बीबीसी)

 

ये खबर चौकने वाली है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में 60 लाख लंबित मामले हैं जिसका मतलब है कि 11 लाख केसों पर कोई कार्यवाही या कोई भी सुनवाई नहीं की गई है। अभी देश भर में 5.2 करोड़ से ज़्यादा मुक़दमें सभी अदालतों के सामने लंबित है, इनमें 60 लाख से ज़्यादा मामले 10 साल से ज़्यादा समय से चलते आ रहा है। ये आँकड़े कोर्ट और सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड’ से  पेश किए गए हैं। इसमें ख़ास तौर पर उत्तर प्रदेश लंबित केसों की समस्या ज़्यादा गम्भीर है। हाल में इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबे समय तक केसों के चलते रहने का मामला काफ़ी चर्चा में रहा है। इस रिपोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट को लेकर एक स्पष्ट संकेत मिलता है कि न्यायिक प्रणाली में सुधार की अत्यधिक आवश्यकता है।

हाईकोर्ट के लंबित मामलों की संख्या के आँकडें 

हाल ही में हुए प्रकाशित भारत न्याय रिपोर्ट 2025’ के रिपोर्ट में पाया गया कि इलाहाबाद के हाई कोर्ट में लगभग सभी जजों के सामने 15,000 मामले लंबित हैं। भारत न्याय रिपोर्ट के मुताबिक़ इलाहाबाद के कोर्ट में मामले लगभग 11 साल से ज़्यादा समय से लंबित थे। इस रिपोर्ट के लिए 25 प्रदेशों की अदालतों का अध्ययन किया गया था।

मामलें लंबित क्यों हो रहे हैं ?

दिनांक 19-0-2025 बीबीसी के रिपोर्ट के अनुसार पता चला कि कुछ वकीलों ने लंबित होने के कारण को बताया है और कहा है की इसका कारण है वकीलों की कमी होना, वर्तमान में कोर्ट के लगभग काम ऑनलाइन तरीक़े से होता है, वकील ऑनलाइन बहस करते हैं लेकिन इलाहाबाद में ये सुविधाएँ कम हैं। बेहतर कार्यपालिका, बेहतर वकील और जज होने को भी एक कारण बताया गया ताकि केस को सही तरीक़े से हैंडल किया जा सके। इलाहाबाद हाई कोर्ट में कुल 160 जजों के पद हैं  इसमें लखनऊ बेंच भी शामिल है। हालाँकि, सरकारी डेटा के मुताबिक फ़िलहाल केवल 88 पदों पर जजों की नियुक्ति हुई है यानी जजों के 72 पद खाली हैं। 

लंबित मामलों का लोगों पर प्रभाव 

इसमें सबसे बड़ा सवाल और  मुश्किल उन लोगों के प्रति है जिनके केस सालों से पेंडिंग (रुकी हुई ) में हैं, और उन पर क्या असर पड़ रहा है या पड़ सकता है। केस लंबित होना ये सिर्फ़ आँकड़ा नहीं है इसका मतलब है जिनके साथ रेप हुआ है वो न्याय के लिए भटकते रहेंगे, जो जेल में है वो सालों से वहाँ से अपने बाहर आने के इंतज़ार में रहेंगे, दंपत्ति का मामला दशकों तक रुके रहना आदि। ऐसे कई मुश्किलों के दौर से लोगों को गुजरना होगा। मज़दूर, किसान जो लोग दो वक्त के रोटी के लिए दिन रात महेनत करते हैं ऐसे लोगों के भी केस पेंडिंग में रहना ये कितना मुश्किल हो सकता है ये उसके अलावा और कोई नहीं समझ सकता। उनके केस फ़ाइलों में ही दबी हुई हैं। इससे नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल सकता है कि अगर अदालतों में जल्दी केस नहीं निपटाए जाएँगे तो इससे हताश लोग क़ानून अपने हाथ में लेने लगेंगे। लोग ग़ैर क़ानूनी तरीक़ों से न्याय पाने की कोशिश करेंगे।

भारत न्याय रिपोर्ट 2025 के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित मामलों की संख्या चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुकी है। न्यायाधीशों की कमी और न्यायिक मूलभूत सुविधाएँ में सुधार की आवश्यकता है। इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है। यह स्थिति अदालतों की कार्यप्रणाली के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। 

 

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Comments:

  1. File nu.ber 6645/2000 reetb hamara sempark number 9720547707 /9720945754 saharanpur

  2. Hum district Saharanpur se hai tahsilrampur, manyaran hai. Amara case bought dinon se pending hota hai

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