खबर लहरिया Blog तबलीगी जमात मामले में सभी विदेशी हुए बरी, अदालत ने कहा ‘नहीं है कोई सबूत’

तबलीगी जमात मामले में सभी विदेशी हुए बरी, अदालत ने कहा ‘नहीं है कोई सबूत’

delhi saket court

दिल्ली की साकेत अदालत ने मंगलवार, 15 दिसंबर को मर्कज़ में शामिल 36 विदेशियों को बरी कर दिया है। मार्च 2020 में वह दिल्ली के निजामुद्दीन मस्जिद में तबलीगी जमात में शामिल होने आए थे। जिन्हें यह कहकर गिरफ़्तार किया गया था कि उन्होंने कोविड-19 नियमों की जानबूझकर अवहेलना की है और महामारी को और लोगों में भी संक्रमित करने को बढ़ावा दिया है। साथ ही निज़ामुद्दीन से ही अन्य 14 राज्यों में भी कोरोना महामारी फैलायी गयी है।

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अभियोजन रहा नाकमायब

अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन (जो मर्कज़ में शामिल लोगों के खिलाफ मामले को लड़ रहे थे) मर्कज़ परिसर के अंदर अभियुक्तों की मौजूदगी को साबित करने में नाकामयाब रहा। साथ ही गवाहों के बयान में विरोधाभास भी देखने को मिला, जिन्होंने पहले तबलीगी जमात के लोगों के मर्कज़ में शामिल होने की पुष्टि की थी। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए तबलीगी जमात के लोगों को रिहा किया गया।

अदालत ने रिहाई पर दी ये दलील

All foreigners acquitted in Tabligi Jamaat case

रिहाई का आदेश पारित करते हुए मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने हज़रत निजामुद्दीन के थाना गृह अधिकारी और मामले के शिकायकर्ता की कड़ी निंदा की। थाना गृह अधिकारी द्वारा मर्कज़ में शामिल लोगों की गलत तरह से पहचान की गयी थी। गवाहों के बयानों में अंतर की बात को रखते हुए, अदालत अभियुक्तों की दलीलों को मंज़ूर करती है और कहती हैसंबंधित अवधि में इनमें से कोई भी मर्कज़ में शामिल नहीं था और उन्हें अलगअलग जगहों से उठाया गया था ताकि गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार उन लोगों पर मुकदमा चलाया जा सके।

अदालत ने पुलिस की करी निंदा

अदालत यह भी कहती है कि इंस्पेक्टर सतीश कुमार 2,342 लोगों में 952 विदेशियों की पहचान बिना किसी परीक्षण पहचान परेड के बिना कैसे कर सकते हैं। वो भी गृह मंत्रालय द्वारा दी गयी सूची के आधार पर। साथ ही थाना गृह अधिकारी को कोरोना महामारी के नियमों की अवहेलना करते हुए भी पाया गया।

अदालत ने यह भी कहा किथाना गृह अधिकारी इंस्पेक्टर मुकेश वालिया ने अपने बयान में बदलाव किया है। मुकेश वालिया को शुरुआत से ही मर्कज़ में इकट्ठा हुए लोगों की वास्तविक संख्या पता थी। सरकारी दिशानिर्देशों के बारे में पता होने के बावजूद भी उन्होंने इकट्ठा हो रहे लोगों में नियमों की जानकारी नहीं दी और सही समय पर कदम उठाने में विफल रहे।

अगस्त 8,2020 को भी कुछ लोग हुए थे रिहा

सभी अभियुक्त अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, सूडान, ट्यूनीशिया, श्रीलंका, तंजानिया, यूनाइटेड किंगडम, थाईलैंड, कज़ाकिस्तान और इंडोनेशिया सहित कई देशों से थे।

36 में से 44 विदेशी ऐसे थे जिन्हें वीज़ा नियमों और कोविड नियमों के उल्लंघन करने के तहत पकड़ा गया था। जिन्हें अगस्त 8, 2020 को उनके खिलाफकोई भी प्राथमिक सबूत”  ना मिलने पर अदालत द्वारा छोड़ दिया गया था।

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इन धाराओं के तहत चल रहा था मामला

भारतीय दंड संहिता और धारा 3 (अवज्ञा विनियमन) की धारा 188 के तहत विदेशियों के खिलाफ 24 अगस्त को आरोप के मामले दर्ज किए गए थे। इसमें धारा 269 (बीमारी से जीवन के लिए खतरनाक बीमारी फैलने की लापरवाही) महामारी अधिनियम, 1897 धारा 51 (बाधा) आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत भी आरोप तय किए गए थे। साथ ही उन पर विदेशी अधिनियम की धारा 14 (1) (बी) (वीजा मानदंडों का उल्लंघन) के तहत भी मामला दर्ज किया गया था। 

मार्च 2020 में तबलीगी जमात का मामला देश मे हिंसात्मक तौर पर फैला था। जहां पहले तो बिना किसी सबूत के लोगों को पकड़कर उन पर ठोस धाराएं लगा दी गयी। हालांकि, अदालत द्वारा आज उन्हें सारी धाराओं से मुक्त कर दिया गया है। लेकिन क्या अदालत द्वारा उन पुलिसकर्मियों पर कड़े कदम नहीं उठाने चाहिए, जिन्होंने बिना किसी ठोस सबूत के लोगों को इतने समय तक गिरफ्तार रखा?

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