उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार गायों की सुरक्षा के लिए चाहे जितने उपाय कर रही हो, न तो गायों की दुर्दशा में कमी आ रही है और न ही गायों की होने वाली मौतों में। प्रयागराज में 35 गायों की दर्दनाक मौत का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है।
मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के तखतपुर विकासखंड के अंतर्गत मेड़पार ग्राम पंचायत का है। जहाँ पंचायत भवन के छोटे से कमरे में गायों को बंद किया गया था ख़बरों के अनुसार लगभग 60 गायें थी। रूम में बंद सभी गायों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी। जिस कारण 43 गायों ने दम घुटने के वजह से अपने प्राण त्याग दिए। मामला 25 जुलाई का बताया जा रहा है।
कमरे से दुर्गन्ध आने से मामले का हुआ खुलासा
समाचार पत्रों के अनुसार जब रूम में दुर्गंध आने लगी, तो कुछ गांव वालों ने खिडक़ी खोल कर देखा तो उन्हें कुछ गाय मरी हुई दिखाई दी। जिस कारण उन्होंने दरवाजा खोल कर बची हुई 17 गायों को रेस्क्यू किया।
पशु क्रूरता अधिनियम का केस दर्ज
पुलिस ने पूरे मामले में पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 13 तथा आईपीसी की धारा 429 के तहत केस दर्ज किया है। गायों को रूम में किसने बंद किया उसे लेकर भी जांच जारी है।
दोषियों के खिलाफ कार्यवाई के आदेश
बिलासपुर जिले के जिलाधिकारी सारांश मित्तर ने बताया है कि जिले के तखतपुर विकासखंड के अंतर्गत मेड़पार ग्राम पंचायत में गायों की मौत की जानकारी मिली है। सूचना के बाद स्थानीय अधिकारी और मवेशियों के चिकित्सक वहां पहुंचे तब तक 45 गायों की मौत हो चुकी थी। 15 गायों की हालत नाजुक है।
पोस्टमार्टम के बाद मृत गायों को दफना दिया गया है। इसके अलावा अतिरिक्त जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया गया है। इसमें जो लोग भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।
बिलासपुर के मुख्यमंत्री भूपेश बघेलने कहा, यह दुर्भाग्य की बात है। मैंने कलेक्टर को मामले को देखने और कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है कई जानवरों को एक छोटी सी जगह में रखा गया था, इसलिए शायद घुटन से उनकी मौत हो गई। ये बात पोस्टमार्टम के बाद स्पष्ट हो जाएगी।
It’s unfortunate. I’ve directed Collector to look into the matter & take strict action. Many animals were kept in a small space, so they probably suffocated to death. It’ll be clear after post-mortem: Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel on reports of close to 50 cow deaths in Bilaspur pic.twitter.com/iq0dX2zw78
— ANI (@ANI) July 25, 2020
प्रयागराज में हप्ते भर पहले हुई थी 35 गायों की मौत
योगी सरकार गायों की रक्षा के लिए कई प्रवाधान लगा चुकी है। इन सब के बावजूद योगीराज मेंजगह-जगह इतनी ज्यादा संख्या में गायों के मरने से सरकार की गौरक्षा पर भी सवाल उठने लगा है। प्रयागराज के बहादुरपुर ब्लॉक के कांदी गांव के गौशाला में 35 गायों की मौत हो गई है। गौशाला में न तो शेड है और न ही कोई साफ-सफाई की व्यवस्था। गौशाला से पानी निकलने का भी इंतजाम नहीं है। खबरों के मुताबिक, भारी बारिश के बाद गौशाला में पानी जमा हो गया था। गाएं कीचड़ में फंस गई थीं। वहीं प्रशासन ने गायों की मौत के पीछे बिजली गिरना बताया है।
प्रयागराज के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी सीएस वर्मा का कहना था, “सभी 35 जानवरों का पोस्टमॉर्टम कराया गया था। गोशाला में बिजली गिरने की वजह से वहां करंट फैल गया और गायों की मौत हो गई।”
ग्रामीणों का आरोप है कि पोस्टमार्टम में भले ही गायों की मौत करंट से होना बताया गया हो लेकिन गोशाला तालाब को पाटकर बनाई गई थी। बारिश के चलते तालाब में पानी भर गया और जो अस्थाई तरीक़े से तालाब को पाटा गया था उसकी वजह से आस-पास दलदल भी हो गया।ज़्यादातर गायों की मौत उसी दलदल में फंसकर हो गई।
क्या हैं ज़मीनी हालात?
उत्तर प्रदेश सरकार का गाय के प्रति प्रेम किसी से छिपा नहीं है। गायों के प्रति उनकी इस संवेदनशीलता का ही नतीजा है कि राज्य में सरकार बनने के बाद से ही गायों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और उनकी देखभाल के लिए कई फ़ैसले लिए गए, गोशालाएं बनवाने के निर्देश दिए गए और बजट में अलग से इसके लिए प्रावधान किया गया। लेकिन शायद ही कोई ऐसा इलाक़ा हो जहां से आए दिन गायों के मरने की ख़बर न आती हो।
चारा पानी की कमी
राज्य सरकार ने इसी साल सभी गांवों में गोशाला बनवाने के निर्देश दिए थे लेकिन ज़्यादातर आश्रय स्थलों में गायें चारे और पानी के अभाव में दम तोड़ दे रही हैं, या फिर उन्हें बाहर ही घूमने के लिए छोड़ दिया जा रहा है। ऐसा भी बताया जाता है की जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो किसान उसे खुला छोड़ देता है. हर साल इसके चलते सैकड़ों गायें भूखी प्यासी दम तोड़ देती हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए कुल 4.79 लाख करोड़ रुपये काबजट पेश किया था, जिसमें से 247.60 करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंश के रखरखाव के लिए गोशालाओं के निर्माण के लिए आवंटित किए गए थे। इसके बावजूद भारी संख्या में गायों का मरना गौरक्षा के तमाम दावें फेल होना है।