जिला बांदा| नगर कोतवाली अंतर्गत आने वाले एक मोहल्ले में 11 जुलाई की सुबह लगभग 7:00 बजे एक लड़की की लाश रेलवे ट्रैक पर पाई गई थी| उस दिन से मृतक का परिवार ने पाने के लिए दर-दर भटक रहा था 11 अगस्त से वह परिवार अनशन पर बैठ गया है| उस पीड़ित परिवार का कहना है कि 1 महीने से ऊपर हो गए उनकी लड़की की हत्या हुए लड़की के साथ पहले दुष्कर्म किया गया बाद में उसकी हत्या कर दी गई और अपना अपराध छुपाने के लिए रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया ताकि किसी को पता ना चले कि लड़की मारी गई है| तब से वह लोग न्याय पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला और उल्टे उनको धमकियां दी जा रही है कि अभी एक-दो लोगों को मारेंगे इसके बाद ही जेल जाएंगे| जिससे वह परिवार काफी दहशत में भी है और उनके बच्चे अकेले डर के कारण घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं| उनका कहना है कि वह अनशन पर जब तक बैठे रहेंगे जब तक उनके लड़की के हत्यारों का खुलासा नहीं हो जाता उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक तो 1 महीने से ऊपर हो गए थे उनकी f.i.r. तक दर्ज नहीं हुई थी लेकिन जब वह 11 अगस्त को अनशन में बैठे उसी रात नगर कोतवाली आया और उसने एक व्यक्ति बंटी नाम की खिलाफ एफ आई आर दर्ज की और खुद में आकर उन्हें उसकी नकल भी दे गया| लेकिन उनके हिसाब से यह एक व्यक्ति का काम नहीं है और भी लोग उसमें शामिल है जिसके वह नाम नहीं जानते उनको भी अज्ञात में लिखा जाए और जल्द से जल्द गिरफ्तारी कर खुलासा किया जाए उनका यह भी कहना है कि पुलिस यहां आती है और अनशन से हटने की बात करती है लेकिन वह इस अनशन को नहीं छोड़ेंगे साथ ही उन्होंने पुलिस विभाग का दरवाजा तो खटखटाया ही लेकिन डीएम के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर सीबीआई जांच की मांग भी की है उनका कहना है कि अगर उनके लड़की के कातिलों का खुलासा नहीं होता तो वह मुख्यमंत्री आवास पर भी धरना करेंगे लेकिन न्याय पाकर ही रहेंगे| लड़की की मां और बाप ने यह भी बताया कि पुलिस उन्हें उल्टे फंसाने की कोशिश कर रही है और अपराधियों को बचाने की कोशिश में लगी है उनसे कहती है कि वह खुद में बयान दें कि उनकी लड़की उस लड़के से प्यार करती थी और उसी के चलते हुए लड़का उसे परेशान करता था इसलिए उसने खुदकुशी कर ली है जबकि ऐसा मामला नहीं है और ना वह यह बात कहेंगे| उनका यह भी कहना है कि वह एक गरीब और मजदूर व्यक्ति हैं जो 2 जून की रोटी किसी तरह से पूजा कर अपने बच्चों का पेट पालन करते हैं और पढ़ाते लिख आते हैं सरकार की चाहे जितनी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की मंशा हो और अभियान चल रहा हो लेकिन वह तो अपनी बेटी को नहीं बचा पाए इसलिए उन्हें कोई भरोसा नहीं है| क्योंकि वह गरीब व्यक्ति हैं यहां चाहे जो भी योजनाएं और अभियान चले लेकिन पैसे वाले की ही सुनवाई होती है| वह लोग पैसे वाले हैं और उनकी तो बेटी गई है उनके पास पैसा नहीं है इसलिए वह कोशिश ही कर सकते हैं और न्याय पाने के लिए आगे बढ़ सकते हैं लेकिन पैसा नहीं दे सकते|
बांदा: बेटी को हमेशा के लिए खो देने के बाद क्या इस परिवार को मिलेगा न्याय?
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