जिला बांदा| यहां पर बांदा परिवार न्यायालय कोर्ट में धारा 125 मेंटीनेंस के 707 मुकदमा चल रहा है| दसिवों साल से चल रहे इस केश में कई महिलाएं जीत गई और पैसा भी बंध गया पर वसुली नहीं है पा रही| महिलाओं का कहना है कि कोर्ट में हूं 10 सालों से चक्कर लगा लगा के और पैसा का खर्च करके थक चुकी है लेकिन अभी तक उनका कोई वसूली नहीं हो पा रही है | जिससे और घर खर्च में भी बाधाएं आ रही हैं| माया और गीता का कहना है कि उनका मुकदमा वनगना संस्था से चलता है| पहले उन्हें वहां से किराया और वकील के खर्च को पैसा दिया जाता था तो काफी आसान होता था| अब उन्हें कोर्ट में आने के लिए अपने से किराय भाडा और वकील का खर्च देना होता है| जिससे वह जल्दी नहीं जा पाती|
वकील का कहना है कि भैंस के मुकदमे में बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है इसमें सबसे बड़ी लापरवाही पुलिस की है जिसके चलते 35 सेंटी महिलाओं की वसूली हो पाती है बाकी बाकी पैसे पर्सेंट महिलाएं आज भी मेंटेनेंस वसूली के लिए भटक रही है इसके लिए कई बार तो वह संबधित थाना ऐसो को नोटिस कोर्ट से जारी करा देते हैं और वेतन रुकवा देते है फिर भी पुलिस बहुत बडी लापरवाही करती है क्योंकि वसुली पुलिस के जरिए ही होती है|
अगर कोई ऐसा ठोस कानुन बने जिसमें एसपी य डीआईजी को तलब कर हाई कोर्ट भेजा जाए जिससे वह पुलिस पर कडी निगरानी रखें और उनका वेतन रोके तो जैसे एक महिला वसुली न होने से एक एक रुपये को परेशान होती है | उसी तरह पुलिस भी होतो कोई दिक्कत नहीं होगी|परिवार न्यायालय में 2015 से 2019 तक के 707 मेंटीनेंस मुकदमे हैं|