खबर लहरिया औरतें काम पर एसिड अटैक नहीं तोड़ सकता हमारा हौसला। महिला दिवस स्पेशल

एसिड अटैक नहीं तोड़ सकता हमारा हौसला। महिला दिवस स्पेशल

कहते हैं अगर हौसला हो तो समाज के साथ कदमों ,से कदम मिला कर चला जा सकता है। इसमें आपकी सूरत शक्ल मायने नहीं रखती, माईने रखता है तो आपकी मेहनत, हिम्मत और हौसला । भेदभाव और ज़ुल्म मिटायेंगे, दुनिया नई बसायेंगे, नयी है डगर नया है सफर, अब हम नारी आगे बढ़ते जायेंगे। – आज महिला दिवस के अवसर पर हम आप के लिए कुछ ऐसी प्रेरणादायक महिलाओं की कहानी लेकर आये हैं जिनको सुनकर आप भी कहेंगे, नारी शक्ति ज़िंदाबाद!

आइए मैं मिलाती हूँ कुछ ऐसी ही हिम्मती लडकियों से जो अपनी पहचान खोने के बाद एक नई पहचान बना रही हैं। आपने समाज में महिलाओं पर हिंसा के अनेकों रूप देखें होंगे ,जिसमें महिलाओं की हत्या भी कर दी जाती है और कई बार तो आग लगा कर जान से मार दिया जाता है या उन्हें फांसी लगाने पर मजबूर कर दिया जाता है।

इसके साथ ही यौन हिंसा एवं शारारिक उत्पीड़न के और भी बहुत तरीक़े हैं ,जिससे महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है व जान से मार दिया जाता है। उन्हीं में एक सबसे ज्यादा दिल दहला देने वाली घटना होती है एसिड अटैक की जिसमें जिन लड़कियों ,महिलाओं पर एसिड अटैक किया जाता है वो बच तो जाती हैं , लेकिन उनकी पहचान बाकी नहीं रहती।

उनकी दुनिया ही बदल जाती है ,उनसे कोई बात करना पसंद नहीं करता वो अपनी पहचान छिपा कर चलती हैं, अपना चेहरा ढक कर चलती हैं। जैसे ऐसिड अटैक का शिकार होना उनकी खुद की गलती है , समाज उन्हें गंदी नज़रों से देखता है जैसे उन्होंने बहुत बड़ी गलती की हो। हमने इस मुद्दे पर ऐसिड अटैक पीड़ित इलाहाबाद की 21 साल की संगीता से बात की जिनकी सर्जरी तीन बार हुई लेकिन उनकी वो पुरानी पहचान वापस नहीं आ पाई। संगीता कहती हैं एसिड अटैक उनके ऊपर 18 साल की उर्म में हुआ था जिसका कारण एकतरफा प्यार था।

संगीता ने बताया उनके ही मोहल्ले का एक लड़का उनसे प्यार करता था और उसको मना करने पर उसने रात मे सोते समय संगीता के ऊपर तेजाब डाल दिया, पास में उनकी मां भी लेटी थी और उनके उपर भी तेजाब की छीटें पड़ गई थी जिससे वो भी काफी जल गई थीं। इस हादसे ने संगीता की जिन्दगी ही बदल कर रख दी बिना गलती के उन्हें ही अपनी पहचान छिपा कर चलना पड़ रहा है।

बनारस की बदामा जो लगभग 35 साल की हैं और एसिड अटैक से पीड़ित हैं, वो कहती हैं कि उनका कसूर ये था कि वो अपने माँ बाप की एकलौती संतान थीं। उनका कहना है कि मां बाप की संम्पत्ति पर उनका अधिकार था इसलिए चाचा और उनके बेटे ने सम्पत्ति के लालच में उनके ऊपर तेजाब डाल दिया ये दोनों महिलाएं अब ऑरेंज कैफ़े नाम के एक रेस्टोरेंट में काम करती हैं और इस जगह के मालिक अजय इनका बहुत ख़याल भी रखते हैं। साथ ही अजय एक्शन ऐड नाम की एक संस्था के साथ भी जुड़े हैं जो ऐसी महिलाओं के सशक्तिकरण में मदद करती है।