अचार का नाम लेते ही मुँह में पानी आ जाता है न। गर्मी शुरू होते ही लोग अचार रखना शुरू कर देते हैं। गर्मियों की चिलचिलाती धूप में घर की छतों पर, आँगन में आम सूखते नज़र आते हैं।
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – सुचित्रा
अचार ऐसे तो कई तरह के होते हैं जैसे – आम, मूली, गाजर, नीम्बू, कटहल यानी कुल मिलाकर अचार किसी भी सब्जी का बनाया जा सकता है, लेकिन क्या आप ने कभी अबिया का अचार खाया है या इसका स्वाद चखा है? नहीं तो अबिया के अचार की विधि के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बतायेंगे।
यूपी के चित्रकूट जिले के मऊ ब्लॉक के कनियाढ गांव में अबिया का अचार बनाया जाता है। इस गांव की रहने वाली अनिता बताती हैं कि इस गर्मी के मौसम में वे अबिया का अचार बनायेंगी। अबिया एक खट्टा फल होता है, जो आम की तरह दिखता है लेकिन आकार में छोटा होता है और हरे रंग का होता है। इसके अंदर रेशेदार जाली होती है, और इसका स्वाद कच्चे में खट्टा होता है, जबकि पकने के बाद इसका स्वाद खट्टा-मीठा हो जाता है।
अबिया के कई नाम
अबिया को अलग अलग जगह अलग नामों से जानते हैं। चित्रकूट में इसे अबिया कहते हैं। अयोध्या जिले में इसे अंबार कहा जाता है तो वहीं वाराणसी (बनारस) जिले में इसे अमलोला कहते हैं।
स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
अबिया न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होता है बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। गर्मी के मौसम में यह शरीर को ठंडक देने और भूख बढ़ाने में मदद करता है। इसका अचार बनाकर लोग साल भर दाल-चावल के साथ इसका आनंद लेते हैं।
अचार बनाने की परंपरा
गांव की महिलाएं गर्मी के मौसम में अचार बनाकर साल भर के लिए रख लेती हैं। पकने के बाद इसका अचार बहुत स्वादिष्ट होता है और चूसने में बड़ा मजा आता है। गर्मी या बारिश के दिनों में जब खाने में साधापन लगता है, तब अबिया का अचार दाल-चावल के साथ खाने का स्वाद दोगुना कर देता है।
अबिया की कीमत और व्यापार
गांव के लोगों ने बताया कि गांव में अबिया के ज्यादा पेड़ नहीं हैं लगभग 5 ही पेड़ हैं। लोग बाजार से इसे करीब 200 रुपये प्रति पसेरी की दर से खरीदते हैं। पेड़ पर जब फल पक जाता है, तो गांव के लोग उसे तोड़कर अचार बनाने के लिए इकट्ठा करते हैं।
रानी देवी बताती हैं कि पहले उन्हें यह पता नहीं था कि उनके गांव कनियाढ में अबिया का पेड़ है। जब पहली बार उन्होंने एक किलो अबिया मंगवाकर अचार बनाया, तो उसका स्वाद उन्हें इतना अच्छा लगा कि अब वे हर साल एक पसेरी (5 किलो) अबिया से अचार बनाती हैं, जो पूरे साल भर चलता है।
अचार बनाने की विधि
रानी देवी ने बताया कि हम पहले अबिया को पेड़ से तोड़वाते हैं और फिर उसे पानी से धो लेते हैं। धोने के बाद कुछ देर के लिए सूखने के लिए रखते हैं। उसके बाद हसिया से फल को दो-दो भाग में काट लेते हैं। फिर उसमें नमक और हल्दी मिलाकर किसी बर्तन में एक दिन के लिए रख देते हैं।
अगले दिन इसे फिर से सूखने के लिए छोड़ देते हैं। फिर आम के अचार जैसा मसाला तैयार करते हैं, जिसमें खड़ी धनिया, जीरा, सौंफ, मेथी, करायल, मिर्च, लहसुन और सरसों सभी डालकर चकरी या सिलबट्टे पर पीस लेते हैं। इसके बाद सरसों का तेल और मसाला अबिया में मिला कर बर्तन में रख देते हैं। इस तरह हमारा अचार तैयार हो जाता है।
अबिया का अचार बच्चे, बड़े, बूढ़े सभी इस अचार को बहुत पसंद करते हैं। जब बच्चे स्कूल जाते हैं, तो वे टिफिन में रोज़ाना अबिया का अचार लेकर जाते हैं। हमारा मायका मध्य प्रदेश में है, वहां भी हम अपने भाई-बहनों को यह अचार भेजते हैं। वे भी इसे बहुत पसंद करते हैं। अबिया आम को न समझे। इसका पेड़ और फल अलग तरह का होता है जो आप इस पेड़ से अंदाजा लगा सकते है। आम का जब छोटा और शुरुआती फल होता तो उसको भी अबिया कहा जाता है। लेकिन हम जिस अबिया के अचार की विधि बता रहे है ये आम से अलग है लेकिन अचार रखने की विधि आम के अचार के जैसे ही होती है। अगर आपके इलाके में भी अबिया होती है तो आप भी हमें बताये की आप कैसे अचार रखते हैं।
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