बलात्कार और हत्या समेत कई अन्य जघन्य अपराधों की सच्चाई से प्रेरित कहानी है आश्रम .किस तरह हम किसी बाबा के जाल में फसते जाते है उसके बाद न सिर्फ अपना आत्म सम्मान बल्कि ही नहीं अपना सब कुछ लुटा बैठते है. जी हाँ आज हम बात करने वाले है हाल ही में मैक्स प्लेयर पर रिलीज़ हुई बेब सीरीज़ आश्रम का तो चलिए थोड़ा फ़िल्मी हो जाते है। कहानी शुरू होती है दलित परिवार की पम्मी के कुस्ती मैच से जहाँ पूर्व मुख्य मंत्री भी मौहजूद रहते है और पम्मी के साथ हुए नाइंसाफ़ी को भी वो अपने वोट बैंक के लिए नज़रअंदाज कर देते है. और मैच उच्च जाती वाली लड़की के फेवर में जाता है. हरियाणा समेत अन्य राज्यों में दलित-ऊंची जाति के विभेद की एक झलक आश्रम में बखूबी दिखती है, तभी तो ये भेदभाव सिर्फ कुश्ती तक सिमित नहीं रहता और जब पम्मी के चचेरे भाई की शादी में घोड़ा चढ़ने को लेकर दलित और ऊंची जाति के लोगों के बीच भयंकर झड़प होती है. पम्मी बाद में एक लोकल रिपोर्टर की मदद से थाने जाकर अपने भाई सत्ती के ऊपर हमला करने वालों के खिलाफ हत्या की कोशिश धारा में मुकदमा दर्ज कराती है. इसके बाद तो जैसे हंगामा मच जाता है. ऊंची जाति के लिए हॉस्पिटल पर हमला कर डॉक्टरों को बंधक बना लेते हैं और ऊंची जाति के लिए हॉस्पिटल पर हमला कर डॉक्टरों को बंधक बना लेते हैं और पम्मी के भाई सत्ती के इलाज में रुकावट डालते हैं. इसके बाद दलितों के मसीहा के रूप में बाबा निराला यानी बॉबी देओल अपने करीबी भोपा और सुरक्षा अधिकारी माइकल के साथ अस्पताल पहुंचते हैं और ऊंची जाति के गणमान्य लोगों को सबक सिखाकर सत्ती का इलाज कराते हैं. बाद में पम्मी के चचेरे भाई की धूमधाम से बारात भी निकलवाते हैं. इस घटना से पम्मी काफी प्रभावित होती है और परिवार के इनकार के बावजूद बाबा निराला के आश्रम में साध्वी की जिंदगी गुजारना चाहती है. काफी जतन के बाद वह बाबा निराला के आश्रम पहुंचती है और वहां हॉस्टल में रहकर पढाई के कुश्ती की ट्रेनिंग भी करती है. इतना ही नहीं पम्मी का भाई भी उसी आश्रम में रहने लगता है। उसके बाद राजनीति बलात्कार और हत्या जैसे मामलों का खुलाशा होते जाता है जिससे बाबा निराला की धूर्त और घिनौना रूप सामने आता है. इसी ताने बाने के साथ आश्रम की कहानी आगे बढ़ती है. इस कहानी को बलात्कार और हत्या समेत कई अन्य जघन्य अपराधों के दोषी हरियाणा के ढोंगी बाबा गुरमीत राम रहीम की जिंदगी से प्रेरित कहानी ऐसी बुनी गई है कि आप 45-50 मिनट के हर एपिसोड में फंसते जाते हैं और 9 एपिसोड के इस सीरीज़ से महसूस करते हैं कि आस्था के नाम पर लोगों की भावनाओं और इज्जत से खेलने वाले बाबा निराला ने किस तरह पाप की दुनिया खड़ी की और एक राज्य की राजनीति के साथ ही सत्तासीन और सत्ता से बाहर के नेताओं को अपनी उंगलियों पर नचाया है। प्रकाश झा और बॉबी देओल इस सीरीज़ के साथ ऑनलइन प्लेटफॉम पर एंट्री की है. बाबा निराला के रूप में बॉबी देवल ने शानदार ऐक्टिंग की है. लेकिन इसकी खासियत जितनी है उतनी ही खामिया भी है जो इस इंटरेशटिंग मुद्दे को बोरिंग बना दिया है. पहला ये सीरीज़ काफी लम्बा है ऐसे लगता है इसे जबर्दश्ती इतना लम्बा खिंचा गया है जो आपको उबाने लगती है. दूसरी पूरी सीरीज़ देखने के बाद भी आपको अंत में कोई क्लाइमेक्स की जगह अगली सीरीज़ का प्रोमो दिखाया जाता है, जिससे सारा मज़ा किड़किडा हो जाता है. तो हमारी तरफ से इस बेब सीरीज़ को 5 मेसे 3 स्टार और आपको ये वेव सीरीज़ कैसी लगी हमें जरूर बताइयेगा। अगर आपको ये वीडियो पसंद आई हो तो लाइक और सेयर करना न भूले अगर आपने हमारा चैनल सब्स्क्राइव नहीं किया है तो अभी कर लें तो मिलते है अगले एपिसोड में तब तक के लिए नमस्कार।