जिला वाराणासी में चिरई गांव ब्लाक पचरा गांव की आरती यादव ने दोहा में दिखाया था अपना दम यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल था जो कि 2010 में खेला था आरती यादव का कहना था कि राह में रुकावटें हो या संसाधन का भाव अगर संकल्प सच्चा है तो मंजिल कदमों में होता है यही दिखाया है
बनारस के जाल्हुपुर गांव असली भारत के उत्तर की राजधानी दोहा में आयोजित स्कूल गेम्स में हासिल की 300 मीटर दौड़ में दूसरा स्थान हासिल किया आरती ने 9 मिनट 54 सेकंड में रजत पदक जीता था कम समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली आरती यादव के पिता मजदूर करने वाले माता गुहणी का काम करती थी माता-पिता इस बात से बहुत खुश थे कि उनकी आरती इतने कम समय में अपना इतना ज्यादा पहचान बना लिया है
2007 में राष्ट्रीय स्तर हरियाणा में खेला था झारखंड इन आपस में लास्ट नेशनल जून 2007 में 2008 में स्कूल नेशनल केरला कोची में एटलीस्ट का गेम खेला था 2009 में चैंपियनशिप 2010 में वर्ल्ड चैंपियनशिप दोहा कतर 2011 में जूनियर नेशनल बेंगलुरु में 2012 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी कोलकाता कल्याणी में 2017 में ऑल इंडिया कटारी छत्तीसगढ़ में एथलेटिक्स गेम खेला था जिसमें कि हर जगह पहला ओर दुसरा स्थान आया इसी को देखते हुए 2013 में 2 फरवरी को माननीय अखिलेश यादव मुलायम सिंह नैनो कार से सम्मानित किया था
भारत सरकार के खेलो इंडिया में दमखम दिखाएंगे साहिल और हर्ष
पिता बच्चा राम यादव माता सुभावती देवी यह दोनों घर और खेत में कामकाज करके आरती को पढ़ा लिखा है और खूब मेहनत की इसे आगे बढ़ने में हालांकि गांव के लोग भी इसका काफी सपोर्ट की है आरती अपने गांव और बनारस के लिए एक मिसाल काम करती हैं और यह पिछले कुछ दिनों से अपनी पढ़ाई काशी विद्यापीठ से बीटेक की कर रही है
उसके साथ साथ 2020 में सिनियर नेशनल खेल एथलीट का खेला जाएगा उसके लिए हर रोज सुबह और शाम 3:00 3 घंटे का समय आरती यादव अपने लिए देती है खास बात यह कि इन का रहन सहन बिल्कुल लड़कों की तरह है जिसको लेकर 4 साल तक इनके कामकाज में काफी रुकावटें आए लेकिन इन्होंने उसको भी 4 साल छोड़ने के बाद फिर से अपनी तैयारी में लगी हुई हैं और यह चाहती है कि मैं दूसरों के लिए एक प्रेरणा बनूं ताकि जो लोग देखें तो वह कहे कि हमारी भी बेटी जो है की आरती यादव जैसी बने