सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड पर फैसला सुनाते हुए उसकी संवैधानिक वैधता को बरकार रखा है। कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने कुछ शर्तों के साथ आधार के पक्ष में फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि सीबीएसई, एनईईटी और यूजीसी के लिए आधार जरूरी होगा, लेकिन स्कूल एडमिशन में ये जरूरी नहीं होगा। आधार अब बैंक अकाउंट और मोबाइल सिम के लिए भी जरूरी नहीं होगा। हालांकि कोर्ट ने पैन कार्ड के लिए आधार की अनिवार्यता को बरकरार रखा है।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार बायॉमीट्रिक डेटा को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर कोर्ट की इजाजत के बिना किसी और एजेंसी से शेयर नहीं करेगी। कोर्ट ने केंद्र को हिदायत भी दी है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड न मिले।
जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार कार्ड ने गरीबों को पहचान और ताकत दी है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है, ‘आधार नामांकन के लिए यूआइडीएआई द्वारा नागरिकों के न्यूनतम जनसांख्यिकीय (जनसंख्या संबंधी) और बॉयोमीट्रिक डेटा एकत्र किए जाते हैं। किसी व्यक्ति को दिया गया आधार संख्या अनन्य है और किसी अन्य व्यक्ति के पास नहीं जा सकता।’
जस्टिस एके सिकरी ने कहा, ‘आधार समाज के हाशिए वाले वर्ग (गरीबों) को अधिकार देता है और उन्हें एक पहचान देता है, आधार अन्य आईडी प्रमाणों से भी अलग है
आधार की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट मे निजता के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का मुद्दा उठा था, जिसके बाद कोर्ट ने आधार की सुनवाई बीच में रोक कर निजता के मौलिक अधिकार पर नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सुनवाई की और निजता को मौलिक अधिकार घोषित किया। इसके बाद पांच न्यायाधीशों ने आधार की वैधानिकता पर सुनवाई शुरू की थी।
सरकार की ओर से कहा गया था कि आधार कानून इसलिए लाया गया है ताकि सुविधाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंद तक पहुंचे। एकत्र किया गया डेटा सरकार के पास सुरक्षित है इसके अलावा डेटा सुरक्षित रखने के बारे में कानून बनाने पर विचार हो रहा है।