एस आर एल डायग्नोस्टिक्स, एक स्वास्थय जांच संस्था के आकड़ों के अनुसार लगभग 75 से 80 फीसदी भारतीय महिलाओं में विटमिन डी की भारी कमी है। ये जांच 2013 में शुरू कि गयी थी और इस साल ही इसके परिणाम आये है।
आकडें दक्षिण भारत में और भी गम्भीर है जहां पर 81 फीसदी महिलाएं के खून में विटमिन डी की कमी पायी गयी है।
विटमिन डी की कमी से मास पेशियों में बहुत ज़्यादा दर्द होता है और हमेशा कमजोरी महसूस होती है। हड्डियों कि कमजोरी भी इसे से होती है और ये महिलाओं के लिए बहुत जटिल बात है, क्यूंकि ज्यादा उम्र में जाकर ये एक बहुत बड़ा कष्ट बन जाता है। और यही नहीं ‘यूनिवर्सिटी ऑफ वॉरिक’ के एक अध्यन के अनुसार विटमिन डी मानसिक तनाव को झेलने में भी मदद करता है।
भारत में अक्सर ये देखा जाता है की इस कमी का कारण है महिलाओं के सेहत को गम्भीरता से नहीं लेना – महिलाएं खुद भी अपने आहार और पोषण को लेकर चुक जाती है। समाज सोच जो ये मानता है कि महिलाओं की सेहत पर ध्यान रखना इतना ज़रूरी नहीं है, ये इन आकड़ों के लिए भी दोषी है। सोनाली बेंद्रे, पूर्वी अभिनेत्री और ‘रिवाईटल एच वुमन’ की राजदूत ने भी इस बात पर जोर दिया है कि भारत में महिलाएं अपनी सेहत पर ध्यान नहीं देती है और अपने परिवार की सेहत को ज्यादा महत्वपूर्ण मानती है – ये ठीक नहीं है और उनके लिए हानिकारक.
साभार: शी द पीपल