आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने “पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती” वाक्य को सच कर दिखाया है। हमारी मुलाकात उस महिला से 8 अगस्त को हुई थी। महिला का नाम हेमलता है। जिनकी उम्र 76 साल है। जब हमने महिला से बात की तो उन्होंने बताया कि वह प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका थी। उनका जन्म साल 1944 में चित्रकूट जिले के कस्बे मऊ में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई 12वीं तक की। जिसके बाद चित्रकूट जिले के ही हेमलता गांव में उनकी शादी सरजू प्रसाद श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति के साथ हो गयी।
वह कहती हैं कि उन्हें शुरू से ही पढ़ाई का बहुत शौक था। लेकिन जब वह ससुराल आई तो उनकी हिम्मत नहीं हुई की वह कुछ कह पाए। परिवार में सब शिक्षित थे। लेकिन कोई महिला नौकरी नहीं करती थी। एक दिन हिम्मत करके उन्होंने अपने पति को कहा कि उन्हें आगे पढ़ना है। जिसके बाद वह भी मान गए। वह भी इस शर्त पर कि उन्हें घर के काम और रिश्ते सब निभाने होंगे। फिर उन्होंने एम.ए में समाजशास्त्र किया।
उन्हें लगा कि अब उन्होंने बहुत पढ़ लिया है और उन्हें कुछ करना चाहिए। फिर उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाना शुरू किया। सुबह जल्दी उठना और सारे काम करना, बेहद मुश्किल था। तब तक उनके चार बच्चे भी हो गए थे। उन्होंने इस दौरान न तो अपने रिश्तों को टूटने दिया और न ही उनके काम को। बाद में उन्होंने “भाव निर्झर” नाम की एक किताब लिखी। जिसमें उन्होंने महिलाओं, बैंडबाजे,चुनाव और छोटे-छोटे सामाजिक मुद्दों के बारे में बताया। जो कई बार लोगों को नज़र नहीं आते। वह बताती है कि उन्हें लिखने का इतना जूनून था कि वह तकिये के नीचे कागज़ और कलम रखकर सोती थी। जो भी दिमाग में अचानक से आ जाता तो लिख देती। इसी तरह से लिखते-लिखते उन्होंने अपनी ही एक किताब लिख डाली।