जिला वाराणसी। एक ऐसा पौधा जिसका छोटे पर साग, थोड़ा बड़ा होने पर सब्जी, और पूरी तरह तैयार होने पर उसके छिलके से तरह तरह की रस्सी और उसके डण्ठल का नरी (हाथकरघा में साड़ी बुनने के लिए जिस पर धागा भरा जाता है) बनता है। वह है सन का पौधा।
सन को जब खेत में बोते हैं तो उसके छोटे और मुलायम रहने पर उसका साग खाया जाता है। कुछ समय बाद जब उसका फल लगता है तो उसका सब्जी बनती है। जब वो कड़ा हो जाता है तो उसके फल को आगे बीज के लिए रख दिया जाता है। उसके छिलके से तरह तरह की मोटी-पतली रस्सियंा और चारपाई बीनने वाली रस्सी भी बनाई जाती हैं। अन्त में उसके डण्डे का नरी के लिए उपयोग कर लिया जाता है।
पौधा एक, फायदे अनेक
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