कोरोनावायरस से बचाव के लिए लगाए जा रहे टीकाकरण से अभी तक 580 ऐसे मामले सामने आए, जिसमें टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं देखने को मिली है। साथ ही सात व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती भी कराया गया है। सरकार ने कहा कि दो लोगों की मौत हुई है लेकिन उनकी मौत का संबंध कोरोना टीके से नहीं है। 16 जनवरी को पूरे भारत में स्वास्थ्य से संबंधित लोगों का टीकाकरण किया गया था। जिसमें 3.8 लाख लोगों को कोरोना टीका लगाया गया। जिसके बाद से ही कोरोना टीके के प्रतिकूल असर सामने आने लगे।
टीका लगने के बाद हुई दो लोगों की मौत, वजह अलग
एनडीटीवी द्वारा प्रकाशित 19 जनवरी की रिपोर्ट में बताया गया कि 18 जनवरी की शाम को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से एक व्यक्ति की मौत की सूचना मिली थी। सरकारी अस्पताल के 46 साल के वार्ड बॉय महिपाल सिंह को 24 घंटे पहले कोरोना की वैक्सीन लगी थी। लेकिन जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि मौत की वजह टीकाकरण से संबंधित नहीं है। राज्य सरकार ने कहा कि पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में “कार्डियो–पल्मोनरी डिसीज़” यानी हृदय तथा फेफड़ो से जुड़ी बीमारी के बारे में बताया गया। वहीं परिवारों वालों के अनुसार व्यक्ति पहले से ही बीमार था।
मरने वाला दूसरा व्यक्ति कर्नाटक के बेल्लारी में एक 43 साल व्यक्ति था। सरकार के अनुसार व्यक्ति की मौत कार्डियो–पल्मोनरी फेलियर यानी दिल से संबंधित बीमारी से हुई है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गयी है।
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने कहा कि वैक्सीन की वजह से व्यक्ति को दिल का दौरा नहीं पड़ा है। “व्यक्ति को बड़े पैमाने पर दिल का दौरा पड़ा है। साथ ही उसे पहले से मधुमेह और को मोरबीडीटी बीमारी भी थी। ” उन्होंने कहा कि शनिवार, 16 जनवरी को व्यक्ति को टीका लगाया गया था और उसमें किसी भी तरह के कोई लक्षण नहीं पाए गए थे। हालांकि, दोनों मामलों में एक बात बहुत अटपटी सी लगती है कि दोनों की मौत की वजह दिल से जुड़ी बीमारियों को बताया गया।
कोरोना टीके के बाद अस्पताल में भर्ती हुए 7 लोग
कोरोना टीकाकरण के बाद अस्पताल में भर्ती सात लोगों में से तीन लोग दिल्ली के हैं। दो व्यक्तियों को छुट्टी दे दी गई है और एक दिल्ली के मैक्स अस्पताल में निगरानी में है। कर्नाटक से दो मामले सामने आए हैं, जिनमें से एक मरीज अभी भी निगरानी में है। उत्तराखंड के ऋषिकेश में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिस में एक व्यक्ति उत्तराखंड सरकार की निगरानी में है। छत्तीसगढ़ के राजनंद गाँव में एक व्यक्ति अस्पताल में भर्ती है। किसी भी व्यक्ति की पूरी जानकारी सरकार द्वारा नहीं दी गयी है।
यूरोप में कोरोना वैक्सीन से हुई 29 लोगों की मौत
यूरोप देश के नॉर्वे में कोरोना पीफाइजर वैक्सीन लगाने के बाद 29 लोगों के मरने के मामले सामने आए हैं। इंडियन एक्सप्रेस की 19 जनवरी की रिपोर्ट में बताया गया कि नॉर्वे के अधिकारियों ने लोगों के मरने की पुष्टि की है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्वे में सिर्फ पीफाइजर बायोएनटेक ही शुक्रवार, 15 जनवरी तक कोरोना वैक्सीन बना रही थी। नॉर्वे के मेडिसिन एजेंसी ने कहा कि “सभी मौतें वैक्सीन से जुड़ी हुई हैं।” अभी तक 13 लोगों की मौत का आंकलन किया गया है। जिसमें बताया गया कि बुज़ुर्ग व्यक्ति जिसे पहले से गंभीर बीमारी थी, उनकी मौत वैक्सीन लेने के बाद हुई है।
टीके बहुत बुज़ुर्ग या मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए जोखिम भरे हो सकते हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया कि यह, “एक यूरोपीय स्वास्थ्य प्राधिकरण से अभी तक दिया हुआ सबसे सजग करने वाला बयान है।“
टीके को लेकर नॉर्वे चिकित्सा अधिकारी का सुझाव
नॉर्वे के मेडिकल डायरेक्टर स्टीनर मैडसेन ने कहा कि “डॉक्टरों को सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए कि किसका टीकाकरण किया जाना चाहिए। जो लोग बहुत कमजोर हैं और जीवन के अंतिम पड़ाव में हैं, उनका मूल्यांकन करने के बाद ही टीका लगाया जा सकता है। ”
हर जगह किसी न किसी व्यक्ति की मौत कोरोना टीका लगने के बाद हुई है। लेकिन सरकार द्वारा मौत की वजह आसानी से दिल से जुड़ी बीमारियों को बताया जा रहा है। हालांकि, सामने आए सभी मामलों की पूरी जानकारी अभी तक सरकार द्वारा नहीं दी गयी। यह भी कहा जा रहा है कि वैक्सीन का प्रभाव ज़्यादातर बुज़ुर्ग लोगों पर पड़ रहा है। लेकिन सामने आए मामलों में कोई भी व्यक्ति बुज़ुर्ग नहीं था। लोगों की संतुष्टि के लिए सरकार द्वारा सामने आए मामलों की जानकारी कब तक रखी जाती है। यह जानना बेहद महत्त्वपूर्ण रहेगा। साथ ही कोरोना वैक्सीन से हुए प्रभावों की वजह से लोगों में वैक्सीन को लगाने को लेकर काफ़ी डर भी बनता जा रहा है। सरकार लोगों के डर को खत्म करने के लिए क्या करती और कहती है और वो भी कब तक। यह भी जानना ज़रूरी है।