देश के चार राज्यों में डेल्टा प्लस वेरियंट के अबतक 40 मामले सामने आ चुके हैं। कोरोना वायरस के इस नए वेरियंट को भारत सरकार द्वारा “वेरियंट ऑफ़ कंसर्न” बताया जा रहा है, जिसका मतलब है कि यह नया वेरियंट एक चिंता का विषय है।
जब जब हमें लगता है कि कोरोना के कहर से अब हमारा देश बच चुका है, वैसे ही कोई न कोई दूसरी मुसीबत देशवासियों के सामने आकर खड़ी हो जाती है। जहाँ हमने देखा कि जून के महीने में कोरोना संक्रमित मरीज़ों के केसेस में काफी कमी आयी थी। और इसके साथ ही देश में कोरोना से बचाव के लिए चल रहे वैक्सीनेशन अभियान ने भी काफी तेज़ी पकड़ ली है। लेकिन इन सभी सकारात्मक ख़बरों के बीच यह खबर सामने आयी है कि देश में कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट के केसेस सामने आने लगे हैं।
बता दें कि 22 जून दिन बुधवार को सरकार ने इस बात की घोषणा की कि देश के चार राज्यों में डेल्टा प्लस वेरियंट के अबतक 40 मामले सामने आ चुके हैं। कोरोना वायरस के इस नए वेरियंट को भारत सरकार द्वारा “वेरियंट ऑफ़ कंसर्न” बताया जा रहा है, जिसका मतलब है कि यह नया वेरियंट एक चिंता का विषय है। बुधवार को सरकार ने महाराष्ट्र, केरल, मध्य प्रदेश और तमिल नाडु में पाए गए डेल्टा प्लस मामलों को लेकर चेतावनी भेजी है।
क्या है डेल्टा प्लस वेरियंट?
आप सब सोच रहे होंगे कि आखिर ये डेल्टा प्लस वेरियंट है क्या? देश के वैज्ञानिकों के अनुसार 2021 के अप्रैल और मई के महीने में भारत में आयी कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बेकाबू होने में डेल्टा नाम के वेरियंट ने मुख्य भूमिका निभायी थी। जैसा कि आपको पता ही है कि कोरोना वायरस हर पल अपना रूप-रंग बदल रहा है और तकनीकी भाषा में कहें तो हर थोड़े दिन पर अपना एक नया प्रकार या नए म्यूटैंट पैदा कर रहा है। इन्हीं म्यूटैंट में से एक हैं डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरियंट। तकनीकी तौर पर इसे B.1.617.2.1 या AY.1 नाम दिया गया है। रिपोर्ट्स की मानें तो जब डेल्टा वेरियंट ने कुछ हफ़्तों पहले तक देश में इतना हाहाकार मचाया था, ऐसे में अगर डेल्टा प्लस वेरियंट भी तेज़ी से फैलने लग गया तो इसे काबू कर पाना मुश्किल हो जाएगा।
INSACOG जो कि 28 प्रयोगशालाओं का एक संघ है, इस संघ का कहना है कि वर्तमान में भारत में ऐसे डेल्टा प्लस वेरियंट की संख्या बहुत कम है, लेकिन पिछले दो महीनों के दौरान विभिन्न राज्यों में आए डेल्टा प्लस वेरियंट से संक्रमित केसेस यह साफ़ दर्शाते हैं कि यह पहले से ही इन राज्यों में मौजूद था। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार को इस ओर ध्यान केंद्रित कर जल्द से जल्द स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने की ज़रुरत है और लोगों को भी ज़्यादा से ज़्यादा एहतियात बरतने की ज़रुरत है। संघ की मानें तो स्वास्थ्य विभाग को अब कोरोना वायरस परीक्षण और वैक्सीनेशन में बिलकुल देरी नहीं करनी चाहिए।
डेल्टा प्लस वेरियंट की बढ़ते खतरे को मद्देनज़र रखते हुए महाराष्ट्र शासन ने बताया है कि वो संक्रमित व्यक्तियों के यात्रा इतिहास और उन लोगों के टीकाकरण की स्थिति जैसे डेटा को जल्द से जल्द एकत्र कर रहा है।
कितनी कारगर होगी वैक्सीन-
सरकार का कहना है कि भारत में इस्तेमाल किए जा रहे दोनों टीके यानी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, अप्रैल-मई में आए डेल्टा वेरियंट के खिलाफ प्रभावी साबित हुई थीं, लेकिन आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार अभी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की तरफ से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि डेल्टा प्लस वेरियंट पर यह दोनों वैक्सीन काम करेंगी या नहीं।
विशेषज्ञ इसलिए भी चिंता में हैं कि कहीं कोविड के मौजूदा बचाव के तरीके इस नए वेरियंट पर असर ही न करें। और परिणाम स्वरूप यह दोनों टीके भी डेल्टा प्लस पर कारगर न साबित हों।
शोधकर्ता अभी इस बात का भी शोध कर रहे हैं कि इस नए डेल्टा वेरियंट के क्या कुछ अलग लक्षण होंगे और इससे बचाव के क्या उपाय हैं। लेकिन अभी यह सारी जानकारी नहीं मिल पाई है।
सख्त सावधानियां बरतने की है ज़रुरत-
कोरोना वायरस के इस नए वेरियंट ने वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के साथ-साथ आम जनता को भी चिंता में डाल दिया है। अभी जहाँ लाखों परिवार अपनों का साथ छूटने से उभर भी नहीं पाए थे और सरकार भी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को वापस से पटरी पर नहीं ला पायी थी, वहीँ ऐसे में अगर एक और शक्तिशाली वेरियंट ने हमारे देश में रफ़्तार पकड़ ली तो शायद इस बार नुकसान दोगुना हो जाए। जहाँ हम देख रहे हैं कि कई राज्यों ने वापस से लॉकडाउन हटा दिया है और लोग बिना मास्क और सोशल डिस्टन्सिंग का पालन किये बाहर निकल रहे हैं, ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर और अब इस नए वेरियंट से बचाव करना मुश्किल होता जा रहे है। सरकार को जल्द से जल्द कुछ सख्त कदम उठाने चाहिए और लोगों को भी कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन करना चाहिए।
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