अक्टूबर 2019 जब हमारा देश पूरी तरह स्वच्छ हो जायेगा, ऐसा हम नहीं हमारे देश के प्रधानमंत्री का कहना है। 2014 M3 शुरू हुई यह योजना अपना चार साल पूरा करने वाली है, लेकिन जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। शौचालय बनवाने की रफ्तार 2017 में बढ़ाई गई है और गांवों में शौचालय बनवायें गये। बुन्देलखण्ड जहां पीने के पानी के लिए लोग तरसते हैं, इन शौचालय का क्या करेगें। छतरपुर जिले में भी एक गांव है हमां, जहां पिछले साल शौचालय बना पर इसका इस्तेमाल लोग आज तक नहीं कर रहे हैं। ग्राम सेवक सहायक सुनील कुमार रावत का कहना है कि यहां दो सौ सोलह शौचालय बन गये है लेकिन पानी की समस्या के कारण चालीस-पैतालीस शौचालय इस्तेमाल होते है। पानी की समस्या खत्म करने लिए पाइपलाइन का काम चल रहा है।
गिरजा का कहना है कि एक साल पहले शौचालय बना था, पानी न होने के कारण इसका इस्तेमाल नहीं होता है। सरकार ने कहा कि बनवा लों तो बनवा लिया। पीने के लिए पानी नहीं है तो शौचालय के लिए कहां से लायें। नन्दकिशोर का कहना है कि पानी के कारण शौचालय का इस्तेमाल नहीं होता है। रोहिणी यादव का कहना है कि बाहर शौच जाते है तो बार-बार उठना पड़ता है।
कार्यपालन यंत्री एस. के. जैन का कहना है कि हमां गांव की पानी समस्या के लिए हल निकाला जायेगा।
रिपोर्टर- नसरीन