विजयवाड़ा देश के बाकी छोटे शहरों के तरह ही है जहाँ पवित्र हल्दी की खुशबू महसूस होती है। यहाँ भी मंदिरों, घाटों और ‘टॉलीवुड‘ के सितारे चिरंजीवी के बड़े-बड़े पोस्टर देखने को मिलते हैं। यहीं की रहने वाली हैं भारतीय महिला टीम की बल्लेबाज़ वेदा कृष्णामूर्ति ।
वेदा यानी मंत्र और कृष्णामूर्ति यानी भीड़ को उत्साहित करना। 10 नवम्बर को, वेदा कृष्णामूर्ति ने अपनी भारतीय महिला टीम की कप्तान मिताली राज के साथ खेलने हुए 50 रन बनाये और आउट नहीं हुई। यह एक शानदार मैच था जिसे भारत ने छह विकेट से वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलते हुए जीता था। 13 नवम्बर को भी वह वहां थी जब पांच विकेट से जीत मिली थी। इसके बाद, 16 नवम्बर को भी वेदा मैच को सुरक्षित करते हुए 71 रन जड़े जिसमें 10 सीमा ने बाहर मारे थे। तब रस्सियों के पार गेंद के जाने पर भीड़ को उत्साहित करते हुए वेदा ने विराट कोहली की तरह कहा, “मुझे सुनाई नहीं दे रहा, जरा जोर से….” और भीड़ में यह सुनते ही और उत्साह आ गया था।
इस जीत के बाद मिताली राज के 800 प्रशंसकों ने लगातार वेदा का नाम लेकर उनके समर्थन में पुरे जोश और उत्साह के साथ उनका मनोबल बढ़ाया। बंगलौर से आये वेदा के माता-पिता ने उनका मैच देखा और खुश हुए कि उनकी बेटी की मेहनत रंग लायी।
कृष्णामूर्ति की एक अपील में उन्होंने अपने प्रशंसकों से कहा, “वो एक व्यस्त बल्लेबाज हैं, उनके रन एक अच्छी स्ट्राइक रेट पर बने। इस मैच में उनके 50 रन 74.28 और 89.87 पर रन रेट पर आ गये। अगर आगे भी वह खेलती रहती तो शायद इस महिला चैम्पियनशिप में 70 पार करके गेंद को गुमा देतीं।”
एक मध्यक्रम बल्लेबाज के रूप में कृष्णामूर्ति और मिताली राज अच्छे तालमेल के साथ खेलती हुई नजर आती हैं। जबकि दूसरे दिन उन्हें हरमनप्रीत कौर अपने साथी के रूप में मिलती हैं। जब उनकी टीम 4 विकेट पर 103 रन पर थी और शुरूआती सभी चार अच्छे खिलाड़ी जा चुके थे तब उन्होंने खुद को एक जिम्मेदार बड़े खिलाड़ी की तरह मैदान में खेलने के लिए तैयार किया।
15 रनों से जीतने के बाद कृष्णामूर्ति ने कहा, पहले दो खेलों में मेरे साथ मिताली थी। तब मैं खुल कर खेल रही थी। लेकिन आज मैं बल्लेबाजी के लिए आई तो मेरे साथ हरमनप्रीत थी जिसके साथ मुझे जिम्मदारी बाँटनी थी। हरमन के साथ खेलना हमेशा असान होता है क्योंकि हमें पता होता है कि वो हमारी मदद के लिए यहाँ है। लेकिन जब देविका आई तब पहले दो ओवर में कैसे खेलना है इसकी हमने योजना बना ली थी। उसने अच्छा खेला और मुझे भी उत्साहित किया”।
गेंदबाजों और टीम का कहना था कि हम मैच जीत पाए क्योंकि वेदा ने 50 रन बनाये।
यह दूसरी बार था जब वेदा ने भारत की तरह से खेला था। इससे पहले उन्होंने 18 साल की उम्र में अपनी पहली पारी भारत की तरफ से 2011 में खेली थी। कुछ सालों बाद उन्होंने 2015 में न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ खेलने के लिए टीम में वापसी की। आने के बाद वेदा ने पूरे आत्मविश्वास के साथ टीम के साथ मिल के खेला और अपनी जिम्मदारी निभाते हुए बाकी टीम के सदस्यों के साथ मैदान में विरोधियों के छक्के छुड़ाये। आशा है आने वाले समय में यदि वह इसी तरह खेलती रहीं तो निश्चित ही दुनिया वेदा कृष्णामूर्ति का नाम जपेगी।
फोटो और लेख साभार: विजडेन इंडिया