जिला चित्रकूट, ब्लाक, रामनगर, गांव पराको हिंया रहै वाली राम का बचपन से सिकौला बनावै का बहुतै सउख रहा हवैं। अब व सिकौला अउर बेनवा बना के बेंच लेत हवैं। जेहिसे वहिकर घर खर्चा खातिर कुछ रुपिया मिल जात हवैं।
राम का कहब हवै कि बचपन मा मैं आपन मइके मा बड़ी अम्मा का सिकौला बिनत देखत रहिहौं या सब हाथ अउर आंखी का गुन आय जउन इनतान सिकौला बिन लेत हौं। सिकौला बिने खातिर कांसा अउर पन्नी दुइ चीज लागत हवैं।
कांसा लावै खातिर हमें एक कोस जाये का पडत हवै। एक सिकौला बिने मा पांच से आठ दिन लागत हवैं। पहिले खेती करत रहिहौं तौ समय नहीं मिलत रहैं। जबै से दुकान होइ गे हवै तबै से सिकौला अउर बेनवा बनावै का कम करत रहत हौं। बेनवा मा गोटा अउर पन्नी लागत हवैं फेर ऊंन या पन्नी से सिल दीन जात हवै जउन देखै मा बहुतै नीक लागत हवै।
रिपोर्टर- सहोद्रा