बिहार। हाल ही में बिहार राज्य को केंद्र सरकार की ओर से बारह हज़ार करोड़ का पैकेज मिला था। अब बिहार सरकार ने आंगनवाड़ी केंद्रों का बजट नौ हज़ार से सोलह हज़ार प्रति माह बढ़ाने की घोषणा की है। इसके चलते आंगनवाडि़यों ने गर्भवती महिलाओं और बच्चों के बहतर पोषण के लिए नया मीनू जैयार किया है।
बिहार के समेकित बाल विकास सेवाएं (आइ.सी.डी.एस.) की निदेशक बंदना प्रेयाषी ने बताया कि नए मीनू में पौष्टिक स्थानीय खाना शामिल किया जाएगा जिसमें अब से फल, गुड़ और सूजी का हल्वा भी आंगनवाड़ी केंद्रों में बंटेगा। इसके पहले तक सिर्फ खिचड़ी दी जाती थी। खाने को बपापे के लिए अनाज, फल और सब्जी स्थानीय विक्रेताओं से खरीदा जाएगा। नया मीनू पहले चरण में राज्य के उन्नीस सबसे प्रभावित जिलों में लागू किया जाएगा।
बिहार में मातृ और बाल कुपोषण पूरे देश में सबसे ज़्यादा है। कम उम्र में लड़कियों के गर्भवती होने के कारण राज्य में शिशु मृत्यु दर भी सबसे ज़्यादा है क्योंकि अधिकतर बच्चे कुपोषित पैदा होते हैं। साथ ही, एक सर्वे में पाया गया कि राज्य की पैंतालीस प्रतिशत महिलाओं का वज़न सामान्य से कम पाया गया है। बंदना प्रेयाषी ने बताया कि कुपोषण की गंभीर समस्या और बढ़ते दामों को देखते हुए आंगनवाड़ी के मासिक बजट का बढ़ना ज़रूरी था।
बिहार राज्य में पांच साल की उम्र से कम बच्चों में लगभग अस्सी प्रतिषत बच्चे और छांछठ प्रतिषत महिलाएं कुपोषण का शिकार हैं। नए आंगनवाड़ी मीनू के अनुसार निम्न खाना दिया जाएगा-
4 दिन – पुलाओ (चावल और सब्जि़यां)
4 दिन – रसियाब (चावल और गुड़)
4 दिन – सूजी का हल्वा
16 दिन – खिचड़ी
25 दिन – गर्भवती महिलाओं को राषन
रोज़ाना केंद्र में फल, बिस्कुट और गुड़-चावल दिया जाएगा।