राज्यसभा में 10 अगस्त 2017 को एक सवाल के जवाब में बताया गया की भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत हर दिन 11 लोगों पर मामले दर्ज होते हैं। इसके साथ ही भारत के 1629 मामलों में 9960 लोग शामिल हैं।
2015 की बजाए 2016 में भ्रष्टाचार के मामले 10 फीसदी ज्यादा हुए हैं। 2016 में ऐसे मामले 617 से बढ़कर 673 तक पहुंच गए हैं। वहीं, इस साल के पहले छह महीने में 339 मामले दर्ज किए गए हैं।
इंडियास्पेंड के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि 9960 में से 6023 या 60 फीसदी लोग आम नागरिक है, जबकी 3896 या 39 फीसदी सरकारी अधिकारी हैं। साथ ही 41 राजनेता भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल हैं।
30 जून, 2017 तक पिछले ढाई सालों में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत हर तीन दिन में तकरीबन 2303 लोग भ्रष्टाचार मामले में अपराधी ठहराए गए हैं। इनमें से 1356 (59%) सरकारी अधिकारी थे। 943 (41%) निजी नागरिक हैं और चार राजनेता थे।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 में अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने का प्रतिशत 2015 के मुकाबले 16% अधिक था। पिछले साल 503 मामले में आरोपी के दोषी ठहराए जाने पर खत्म हुए। वहीं, इस साल के शुरुआती छह महीने तक 199 केस में आरोपी को दोषी ठहराया गया।
सूचना की मानें तो 30 जून, 2017 तक 6414 भ्रष्टाचार मामले आगामी थे, जिनमें 35,770 लोग शामिल थे। इसमें 18780 आम नागरिक, 16875 सरकारी अधिकारी और 115 राजनेता थे। साल 2015 में विचाराधीन मामलों की बात करें तो 6663 केस विचाराधीन थे तो इस साल 30 जून तक 6414 मामले कोर्ट में विचाराधीन रहे।
केंद्रीय सतर्कता आयोग ने बताया था कि भ्रष्टाचार के 850 मामलों में सीबीआई जांच कर रही है। बता दें कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी किए गए करप्शन परसेप्शंस इंडेक्स में भारत का पद गिरा है। जनवरी में जारी सूचना में पिछले साल के मुकाबले 3 स्थान खिसक कर भारत 79वें नंबर पर आ गया है। इस रिपोर्ट में न्यूजीलैंड और डेनमार्क नंबर एक पर आए थे। वहीं, ब्रिटेन और जर्मनी दोनों 10 वें नंबर पर रहे।