किसानों द्वारा गणतंत्र दिवस के दिन निकाली गयी ट्रैक्टर परेड ने हिंसा का रूप ले लिया। परेड शुरू होने के बाद ही किसानों द्वारा दिल्ली में घुसने के लिए पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेडस को तोड़ दिया गया। जिसके बाद किसानों और पुलिस के बीच काफ़ी हिंसात्मक झड़प देखने को मिली। जिसमें किसानों सहित कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए। जानकारी के अनुसार, रैली में हिंसा की वजह उपद्रवियों को बताई जा रही है। जिन्होंने परेड को हिंसात्मक बनाने की दिशा दी। मंगलवार, 26 जनवरी के दिन हुई हिंसा के बाद कई लोगों पर रिपोर्ट भी दर्ज़ की गयी है। साथ ही मामले की जांच को लेकर लगातार सरकार और पुलिस के बीच बातचीत भी जा रही है। आपको बता दें, किसान पिछले दो महीनों से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर और टिकड़ी बॉर्डर पर तीन कृषि बिलों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। ट्रैक्टर परेड भी उसी आंदोलन का एक हिस्सा था।
200 लोगों को लिया हिरासत में
बुधवार, 27 जनवरी को मिली आधिकारिक सूचना के अनुसार दिल्ली पुलिस ने अभी तक 200 लोगों को अपनी हिरासत में ले लिया है। जिनका संबंध ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा से था। पुलिस का कहना है कि जल्द ही और लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। दिल्ली पुलिस ने बताया कि हिंसा के दौरान कुल 300 पुलिसकर्मियों को भी चोट आई है।
#WATCH | Delhi: Protestors attacked Police at Red Fort, earlier today. #FarmersProtest pic.twitter.com/LRut8z5KSC
— ANI (@ANI) January 26, 2021
इन धाराओं के तहत हुई एफआईआर
दिल्ली पुलिस ने किसान ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद आईपीसी की धारा 135 (डकैती), 397 ( मौत या मारने की कोशिश करना), 120 बी ( आपराधिक साजिश करने की सज़ा) आदि के तहत एफआईआर दर्ज की। पूरे मामले की जांच–पड़ताल क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है।
हिंसा के बाद ट्विटर ने किए 300 एकाउंट रद्द
बुधवार, 27 जनवरी को ट्विटर द्वारा दी गयी आधिकारिक सूचना के अनुसार, ट्विटर ने अभी तक 300 एकाउंट को रद्द कर दिया है। इन एकाउंट्स का संबंध 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से था। जिसमें इन एकाउंट्स के लोगों द्वारा प्लेटफार्म का इस्तेमाल स्पैम और जानकारी में हेरफेर करने को लेकर था।
ट्विटर के प्रवक्तता ने इंडो एशियन न्यूज़ सर्विस को बताया कि कंपनी ने हिंसा और धमकियों को उकसाने वाली पोस्ट से जुड़े लोगों के खिलाफ़ सख्त कार्यवाही की है ताकि ऑफलाइन में लोगों को हिंसा और धमकियों का सामना ना करना पड़े।
राहुल गांधी ने कहा : मोदी सरकार वापस ले कानून
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज 27 जनवरी को मंगलवार, गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा को लेकर ट्वीट करते हुए लिखा……
“विनम्र तरीक़े से आप दुनिया हिला सकते हैं।”
–महात्मा गांधी
एक बार फिर मोदी सरकार से अपील है कि तुरंत कृषि–विरोधी क़ानून वापस लिया जाए।“
“विनम्र तरीक़े से आप दुनिया हिला सकते हैं।”
-महात्मा गांधी
एक बार फिर मोदी सरकार से अपील है कि तुरंत कृषि-विरोधी क़ानून वापस लिए जाएँ।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 27, 2021
22 लोगों पर हुई एफआईआर दर्ज़
दिल्ली में 26 जनवरी के दिन हुई हिंसा के बाद पुलिस अब आरोपियों की पहचान में जुट गई है। दिल्ली पुलिस के अलग–अलग थानों में अब तक इस संबंध में 22 एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है। मंगलवार देर रात पूर्वी दिल्ली में पांच, नजफगढ़, हरिदास नगर, उत्तम नगर में एक–एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है। वहीं आईटीओ पर हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने इंद्रप्रस्था स्टेट थाने में एक एफआईआर दर्ज की है। इस एफआईआर में ट्रैक्टर पर स्टंट करते हुए जिस व्यक्ति ने पुलिस पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की थी उसका नाम है। हालांकि ट्रैक्टर पलटने से उसकी मौत हो गई। इस मामले में कई अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। सेंट्रल दिल्ली में यही एक एफआईआर दर्ज़ हुई है।
लाल किले पर लगाया “निशान साहिब“, नहीं किया राष्ट्रीय ध्वज का अपमान – दीप सिद्धू
किसान आंदोलनकारियों का एक जुट ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किला पहुंचा। जहां पर किसानों द्वारा धार्मिक झंडा फहराए जाने का वीडियो वायरल होने लगा। जिसके जवाब में घटना के दौरान मौजूद रहे अभिनेता दीप सिद्धू ने कहा कि लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया है। बल्कि प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर सिर्फ ‘निशान साहिब’ का झण्डा लगाया था। ‘निशान साहिब’ सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है।
सिद्धू ने अपनी फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में दावा किया कि कुछ भी योजनाबद्ध नहीं किया गया था और उन्हें कोई साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए जैसा कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा है। सिद्धू ने कहा, ‘‘नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराने के लिए, हमने ‘निशान साहिब’ और किसान झंडा लगाया और साथ ही किसान मजदूर एकता का नारा भी लगाया।’’ उन्होंने ‘निशान साहिब‘ की ओर इशारा करते हुए कहा कि झंडा देश की ‘‘विविधता में एकता’’ का प्रतिनिधित्व करता है। लालकिले पर ध्वज–स्तंभ से राष्ट्रीय ध्वज को नहीं हटाया गया। जब लोगों के वास्तविक अधिकारों को नजरअंदाज किया जाता है तो इस तरह के एक जन आंदोलन में ‘‘गुस्सा भड़क उठता है।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘आज की स्थिति में, वह गुस्सा भड़क गया।’’ सिद्धू अभिनेता सनी देओल के सहयोगी थे। जब अभिनेता ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान गुरदासपुर सीट से चुनाव लड़ा था। भाजपा सांसद ने पिछले साल दिसंबर 2020 में किसानों के आंदोलन में शामिल होने के बाद सिद्धू से दूरी बना ली थी। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं में से स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि ‘‘हमने सिद्धू को शुरू से ही अपने प्रदर्शन से दूर कर दिया था।’
शशि थरूर ने कहा : पवित्र तिरंगा ही फहरना चाहिए
वहीं अलग–अलग पार्टियों के नेताओं ने लाल किले पर हुई हिंसा की घटना की निंदा की है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने घटना का एक वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया कि “वह शुरुआत से ही किसान प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं। लेकिन अराजकता स्वीकार नहीं कर सकते। गणतंत्र दिवस के दिन कोई और तिरंगा नहीं बल्कि लाल किले पर पवित्र तिरंगा ही लहराना चाहिए।“
Most unfortunate. I have supported the farmers’ protests from the start but I cannot condone lawlessness. And on #RepublicDay no flag but the sacred tiranga should fly aloft the Red Fort. https://t.co/C7CjrVeDw7
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 26, 2021
हिंसा के बाद संयुक्त मोर्चा किसान ने ज़ारी की विज्ञप्ति
गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद संयुक्त मोर्चा किसान ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। प्रेस विज्ञप्ति में संयुक्त किसान मोर्चा ने लिखा, “आज के किसान गणतंत्र दिवस परेड में अभूतपूर्व भागीदारी के लिए हम किसानों को धन्यवाद देते हैं। हम उन अवांछनीय और अस्वीकार्य घटनाओं की भी निंदा करते हैं और खेद जताते हैं, जो आज घटित हुई हैं तथा इस तरह के कृत्यों में लिप्त लोगों से हम खुद को अलग करते हैं।“
संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे लिखा, “हमारे सभी प्रयासों के बावजूद कुछ संगठनों और लोगों ने मार्ग का उल्लंघन किया और निंदनीय कृत्यों में लिप्त रहे। असामाजिक तत्वों ने शांतिपूर्ण आंदोलन में घुसपैठ की। हमने हमेशा माना है कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है और कोई भी उल्लंघन आंदोलन को नुकसान पहुंचाएगा।“
“हम परेड के मार्ग और मानदंडों पर दृढ़ता से चलने के लिए सभी से अपील करते हैं और किसी भी हिंसक कार्यवाही या राष्ट्रीय प्रतीकों और गरिमा को प्रभावित करने वाली किसी भी चीज़ में लिप्त नहीं हो। हम सभी से अपील करते हैं कि वे ऐसे किसी भी कृत्य से दूर रहें।“
गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा ट्रैक्टर परेड निकाले जाने का विरोध पहले से किया जा रहा था। साथ ही दिल्ली पुलिस ने एकदम आखिरी में किसानों को परेड के लिए इज़ाज़त दी थी। उसके साथ ही किसानों को ट्रैक्टर परेड निकालने के लिए मार्ग भी निश्चित किए गए थे। जिसे सभी किसानों द्वारा माना भी गया था। लेकिन 26 जनवरी को दोपहर के 12 बजे ट्रैक्टर परेड शुरू होने के कुछ समय बाद ही देखा गया कि ट्रैक्टर परेड को दिल्ली में लाए जाने की कोशिश की गयी। जिस दौरान हिंसा भड़की और लोगों को तित्तर–बित्तर करने के लिए पुलिस द्वारा किसानों पर आँसू गैस के गोले छोड़े गए व लाठीचार्ज भी किया गया। ऐसी ही तस्वीर लाल किले में निशान साहेब का झंडा लगाने के दौरान देखने को मिली थी।
फिलहाल, इस पूरे मामले में उपद्रवियों का हाथ बताया जा रहा है, जिसकी जांच शरू कर दी गयी है। साथ ही हिंसा से जुड़े कुछ लोगों को हिरासत में भी ले लिया गया है। देखना यह है कि पूरे मामले में और कितने लोगों को पकड़ा जाता है। साथ ही यह भी कि हिंसा योजनाबद्ध थी या नहीं, इस सवाल का जवाब भी ढूंढा जा रहा है।