जयपुर में जन्मे तुषार का बचपन उत्तर प्रदेश के पिलानी में रहते हुए गुजारा। प्रारम्भिक शिक्षा बिरला पब्लिक स्कूल पिलानी से ही हुई उसके बाद सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री ली।
तुषार को जो बात सबसे अलग करती थी वो यह थी कि वह हमेशा देश भर के लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने बारे में सोचते थे। उनकी इस विचारधारा के कारण उन्हें कई पसंद भी नहीं करते थे। अपनी सोच को नया आयाम देने के लिए तुषार ने इंडिया फेलो का साल भर के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
इस स्वास्थ्य में नवीन आविष्कारों से जुड़ा यह संस्थान में तुषार ने स्वास्थ्य से जुड़े कई मुद्दों पर काम और जानकारी हासिल की। यह एक गैर सरकारी संगठन, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल के बारे में सिखाता था। साथ ही तुषार ने यहां टीबी की बीमारी से लड़ा जा सकता है यह भी सीखा।
यह एक नए आविष्कारों से जुड़ा संगठन है जो ग्रामीण इलाकों में फैली जानलेवा बिमारियों को स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने का प्रयास करता है।
तुषार ने एक बेहतर, आरामदायक और सुविधाजनक जिंदगी को छोड़ कर गांव की कठिन ज़िन्दगी को क्यों चुना?
इस सवाल पर तुषार कहते हैं, मेरी पढ़ाई और डॉक्टरी की तैयारी के दौरान मैंने देखा कि कैसे अच्छा इलाज केवल अमीरों की पहुँच तक सीमित रह गया है। जबकि अच्छे और सस्ते इलाज पर सभी का हक़ है। यही सब ग्रामीण इलाकों से दूर था जिसे मैंने सभी तक पहुँचाने का लक्ष्य बनाया है।
फोटो और लेख साभार: यूथ की आवाज़