जिला फैजाबाद, ब्लाक तारुन, गांव मीर का पुरवा। हिंआ जमीनी विवाद का लइके दुई पक्ष मा भै मारपीट। जमीन खरीदिन बीसन साल पहिले लकिन केहू के नाम नाय भै बाय। पक्ष कै भोला कै अम्मा कमला, बाबू , रामबहादुर बताइन कि बहुत पुरान जमीन आय जवन श्री नाथ पण्डित कै आय वै लगभग दस साल होइगा सबका बांटि के थोर- थोर दै दिये रहे। तौ सबके घर उठाये लिहिन हमरे नाय उठाये हयी तौ सब कब्जियावत चला आवत अहै यही से झगड़ा हुआ करा थै। हमार बेटवा वहीं जमीन मा छप्पर धरे बाय वहीं जात रहा तौ विपक्ष के शान्ती के टटिया मा साइकिल फंस गै वै हमरे बेटवा का मारै लागिन। खड़न्जा पै ढकेल दिहिन। पट्टी बंधवायेन दवा चलति बाय। जमीन खरीदे हयी लकिन अबही तक हमरे सबके नाव नायन। विपक्ष कै शान्ती देवी पड़ोसी जयराम बताइन कि हमरे सब तौ गेंहू काटै गा रहेन लकिन आयेन तौ बताइन कि झगड़ा भै। पक्ष वाले सोचा थे कि दबाव डालब तौ विधवा हुवै अकेलै अहै छोड़ि के भागि जइहै यही से हरदम लड़ा करा थे।
श्रीनाथ पण्डित बताइन कि हम जमीनदार रहेन तौ हम जमीन थोर-थोर सबका, केहू से थोर बहुत पैसा लइके केहू का वैसे दै दिहे रहेन कि यनहू सब कमाय खाय यै सब मजदूर रहे तौ हम कहेन इनही सब का दै दी। लकिन दै दिहेन तौ यै अपसै मा झगरा करा थे। कहिन कि एक जने कूरी कै ठाकुर आय रहे प्रधान का लइके कि इ जमीनिया हमै दै दिया लकिन हम कहेन यै सब गरीब अहै हम बेंचब ना। जमीनदार बताइन कि यहमा भोला कै गल्ती बाय ऊ विधवा मेहरारु आय वका सतावा थे। अगर इनके सब यइसे लड़िहै तौ हम जेतना पैसा इनके सबसे लेहे हुअब वका जोड़ के बतावै अउर वसे दस-बीस रुपया ज्यादा दै दियब। मनई कि नाय रहैं नाही तौ हम बेंचि दियब।