खबर लहरिया जवानी दीवानी इक्कीसवी सदी भारत में भी, आखिर भूख से मौत क्यों?  

इक्कीसवी सदी भारत में भी, आखिर भूख से मौत क्यों?  

साभार: पिक्साबे

28 सितम्बर 2017 की घटना है। झारखंड में एक 11-वर्षीय बच्ची संतोषी कुमारी की मृत्यु हो गई थी। संतोषी  अपनी माँ को ‘भात-भात’ कहते-कहते चल बसी थी। बाद में पता चला था की आधार से लिंक न होने के कारण संतोषी के परिवार का राशन कार्ड रद्द कर दिया गया था इसका कारण था मई-जुलाई 2017 में झारखंड सरकार द्वारा चलाया गया अभियान जिसमें व्यापक पैमाने पर बिना आधार से जुड़े राशन कार्डों को रद्द कर दिया गया था।

झारखंड हो या बिहार, ओडिशा हो या उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र से लेकर कर्णाटक, और यहां तक की राजधानी दिल्ली में भी पिछले कुछ वर्षों में भूख से मौतों की खबरें लगातार आती रही हैं।

संतोषी की पुण्यतिथि पर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 2015 से लेकर अभी तक उन भूख से हुई मौतों की सूचि समेकित की है, जिनकी जानकारी उपलब्ध है। हर घटना में पीड़िता को, घर में खाना या पैसा न होने के कारण, लंबे समय तक भूखा रहना पड़ा और इसी कारणवश उसकी मृत्यु हो गई। लगभग हर घटना में ये स्पष्ट पता चला है की अगर पीड़िता को समय से खाना या पैसा मिलता, तो शायद उसकी मृत्यु ना होती।

 

यह आंशिक सूचि अंग्रेजी व हिंदी खबरों के गूगल सर्च पर आधारित है।

 

भूख से मौतों की संख्याआधार-सम्बंधित मृत्युजन वितरण प्रणाली / पेंशन में आधार लागू?
201570नहीं
201672कुछ राज्यों में
20171410हाँ
20183319हाँ

 

पिछले चार वर्षों में कम-से-कम 61 लोगों की भुखमरी से मौत हुई है। इनमें से 47 मौतें 2017 व 2018 में हुई हैं। यह भारत के गरीबों के जीवन में अनिश्चितता की स्थिति को दर्शाता है। अनेक गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन और जन वितरण प्रणाली जीवन रेखा समान रखी गयी है। अधिकांश मौतें, पेंशन या जन वितरण प्रणाली से राशन न मिलने के कारण हुई हैं। भुखमरी के शिकार हुए अधिकांश व्यक्ति वंचित समुदायों-आदिवासी, दलित व मुसलमान के हैं।

 

2017 और 2018 में जो 47 मौतें हुई, उनमें से 31 आधार संबंधित समस्याओं के कारण हुई थी। इनमें से कम-से-कम 21 मौतों के लिए सीधे तौर पर आधार ज़िम्मेदार था, जिसमे मुख्य कारण हैं – आधार से न जुड़े होने के कारण राशन कार्ड रद्द हो जाना या पेंशन सूचि से नाम कट जाना व आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था की विफलता। अनेक राज्यों में जन वितरण प्रणाली में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था अनिवार्य समान है। इनके अलावा 10 मौतें संभवतः आधार के कारण ही हुई हैं, जिनमें से अधिकांश व्यक्ति अपने राशन या राशन कार्ड से वंचित थे, जिसके लिए आधार ज़िम्मेवार हो सकता है।

 

भूख से मौतों की सूचनाएं झारखंड और उत्तर प्रदेश से लगातार आती रही हैं। अभी तक इन दोनों राज्यों से 16-16 व्यक्तियों की मृत्यु की सूचनाएं मिली हैं। झारखंड में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था लगभग हर राशन दुकान में अनिवार्य है। उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को देर से व अव्यवस्थित तरीके से लागू किया है।

 

2015-2018 में भूखमरी से मरनेवाले लोगों के अख़बारों में दिए गये आंकड़ों की विस्तृत सूची।

नाम और उम्र जिला और ब्लॉक जन्म तिथि विवरण Sources
शिव कुमार माझी, 4 साल (पुरुष)सुरगुजा, छत्तीसगढ़May 2015आदिवासी!, परिवार का पीडीएस राशनकार्ड निरस्त था; पिता एक मजदूर, परिवार के पास राशन कार्ड नहीं था; इसलिए आशंका सहित पीडीएस कार्ड निरस्त हुआIndian Express
जंगले सिंह,(पुरुष)पेंड्रा ब्लॉक, बिलासपुर, छत्तीसगढ़27 May 2015दलित और आदिवासी;रिपोर्ट और खबरों के अनुसार, मौत के समय उसके पेट में एक अन्न का दाना भी नहीं था.Indian Express
लम्बूराम, 60 साल (पुरुष)बगीचा, जशपुर, छत्तीसगढ़October 2015आदिवासी;अपने पिता के चिकित्सा खर्चों को पूरा करने के लिए पीडीएस राशन कार्ड बंधक करना पड़ा, जो फिर कभी वापस नहीं मिला.Catch News
जोभा मांझी, 60 साल (पुरुष)शेखपुरा, बिहार25 March 2016मुसहर (महादलित); मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनके पास एएई कार्ड था और जनवरी 2016 में अनाज मिला था.TOI report

The Telegraph

रामसूरत, 50 साल (पुरुष)नालंदाJune 2016दलित; 10-20 दिनों से नहीं खाया गया था; इस बीच एक 8 साल के बेटा बच गयाNewsx.com
गोविंदा 5 साल, (पुरुष),

ऐश्वर्या/मुन्नी, 2 साल (महिला)

कोरनसराय,डुमराव, बक्सर, बिहार26 August,

1 September, 2018

मुसहर(दलित) पिता विरोध प्रदर्शन के चलते जेल में बंद थे, परिवार के पास पीडीएस राशन कार्ड था लेकिन आधार कार्ड नहीं बन सका, जिसकी वजह से पिछले 8 महीनों से घर में राशन नहीं आया और वहां नरेगा में भी काम नहीं थाBhaskar.com and

The Wire

पारो 2 साल, शिखा 4 साल, औरमानसी 8 साल (महिला)मंडावली, ईस्ट डेल्ही, डेल्ही25 July, 2018मां मानसिक रूप से बीमार थी, पिता बेरोजगार था इसलिए रिक्शा चलाता था, राशन कार्ड नहीं था. Post mortem confirmed starvation and found 0 grams of fat.Delhi Rozi Roti AdhikarAbhiyan
इंद्रदेव माली 40 साल (पुरुष)हजारीबाग, झारखंडDecember 2016दलित; मृत्यु से तीन दिन पहले घर में खाना नहीं पका था। मृत्यु से पहले दो महीनेमें परिवार को राशन नहीं मिला।News18.com and DainikJagran
संतोषी कुमारी 11 साल (महिला)सिमडेगा, झारखंड28 September, 2017दलित; संतोषी के परिवार को उनकी मृत्यु से छह महीने पहले राशन से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि यह आधार से जुड़ा नहीं था।RTFC Jharkhand statement
बैजनाथ रविदास, 40 साल (पुरुष)झरिया, धनबाद, झारखंड21 October, 2017दलित; रिक्शा खींचने वाला, दीर्घकालिक वंचित; पीडीएस राशन कार्ड के लिए कई बार आवेदन किया था, लेकिन इसे नहीं मिला। उनकी मृत्यु के बाद परिवार को राशन कार्ड मिला, उनकी पत्नी विधवा पेंशन का इंतजार कर रही है.Report of fact finding by HRLN

News18.com

रूपलाल मरांडी 60 साल (पुरुष)देओघर, झारखंड23 October, 2017आदिवासी; रूपलाल के परिवार को दो महीने तक राशन नहीं दिया गया क्योंकि यह एबीबीए के जरिए अपनी पहचान साबित नहीं कर सका.HRLN fact finding report
ललिता कुंवर 45 साल (महिला)गढ़वा, झारखंडOctober 2017आदिवासी; ललिता के परिवार को उनकी मृत्यु से छह महीने पहले राशन से वंचित कर दिया गया था.Prabhat Khabar
प्रेमानीकुंवर, 64 साल(महिला)गढ़वा, झारखंड1 December 2017ओबीसी; 2017 सितम्बर के बाद, प्रेमानी की सामाजिक सुरक्षा पेंशन को उनके आधार से जुड़े किसी और के बैंक खाते में भेज दिया गया था, खुद को साबित करने के बाद भी नवंबर 2017 में उन्हें राशन नहीं मिला.RTFC Jharkhand fact finding
इटवरीया देवी, 67 साल (महिला)गढ़वा, झारखंड25 December 2017ओबीसी; एबीबीए की विफलता के कारण इटवारी के परिवार को राशन से देने से इनकार कर दिया गया, दिसंबर 2017 में चूँकि वो साबित नही कर सकी इसलिए उनकी पेंशन नहीं मिली थी।.RTFC Jharkhand fact finding report
बुधनी सोरेन, 40 साल (महिला)गिरीडीह, झारखंड13 January 2018आदिवासी; बुद्धनी को राशन कार्ड जारी नहीं किया गया था क्योंकि उसके पास आधार नहीं था और इसलिए भी उसे विधवा पेंशन जारी नहीं की गई थी।eNewsRoomऔरTimes of India
लुखी मुर्मू 30 साल (महिला)पाकुर, झारखंड23 January, 2018आदिवासी; एबीबीए विफलता के कारण अक्टूबर 2017 से लूखी के परिवार को राशन से वंचित कर दिया गया था.RTF Jharkhand fact finding
सारथी महतीं, (महिला)धनबाद, झारखंड29 April, 2018सरथी को उनके राशन और पेंशन से इनकार कर दिया गया क्योंकि वह बीमारी के कारण राशन की दुकान या एबीबीए के लिए बैंक नहीं जा सकी.DainikJagranऔरJansatta.com
सावित्री देवीमहतो, 55 yrs (महिला)गिरीडीह, झारखंड2 June, 2018ओबीसी; सावित्री के परिवार को राशन कार्ड जारी नहीं किया गया था और न ही उन्हें पेंशन मिली क्योंकि उनका खाता आधार से जुड़ा नहीं था.RTFC Jharkhand fact finding report
मीना मुसहर, 45 साल (महिला)छत्तरा, झारखंड4 June, 2018दलित; न तो मीना और न ही उसके बेटे के परिवार को एएई राशन कार्ड जारी नहीं किया गया था.RTF Jharkhand report
चिंतामनमल्हार, 40 साल (पुरुष)रामगढ़,झारखंड14 June, 2018मुशहर (दलित); चिंतमान के परिवार को राशन कार्ड जारी नहीं किया गया था. सिर्फ यही नहीं, पूरा गांव भी राशन, पेंशन और अन्य बुनियादी अधिकारों से वंचित था.RTFC fact finding report
लालजी महतो, 70 साल (पुरुष)जम्तारा, झारखंड10 July, 2018ओबीसी; उन्हें पिछले तीन महीनों से उनकी पेंशन नहीं मिली थीDainikJagran
राजेंद्रबिरहोर, 39 साल (पुरुष)रामगढ़, झारखंड24 July, 2018आदिवासी; राजेंद्र के परिवार को राशन कार्ड जारी नहीं किया गया, इसे विशेष रूप से कमजोर जनजातियों को दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी नहीं  मिली जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई.Report of RTFC fact finding team, NDTV.com
चमतुसबर, 45 साल (पुरुष)धालभूमगढ़, ईस्ट सिंहभूम16 September, 2018विशेष कमजोर जनजातीय समूह (आदिवासी), समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, उनके घर में 4-5 दिनों से खाने के लिए कुछ भी नहीं था, अंत्योदय कार्ड के वो हकदार नहीं माना गया, इसलिए उसे ये कार्ड नहीं दिया गया और वो टीबी बीमारी से भी ग्रसित था.Prabhat Khabar
नारायण 55साल, सुब्बू 52 साल, वेंकटरमा 46 साल(पुरुष)गोकर्ण, कर्नाटक2 Jul, 8 Jul and 13 Jul, 2017दलित भाइयों, भाइयों के परिवार को उनकी मृत्यु से छह महीने पहले राशन से वंचित कर दिया गया था। उनका राशन कार्ड हटा दिया गया क्योंकि यह आधार से जुड़ा नहीं था।PPT based on fact finding

PUCL Report

The Quint

Anand, child (m)Majhgavan, Satna, Madhya PradeshSeptember 2018Adivasi, not getting PDS grain since three months; child had been admitted to Nutritional Rehabilitation Centre, released from there, but relapsed; official admitted that parents mental health had also suffered due to hunger
ललितरंगारी, 36 साल (महिला)गोंदिया, महाराष्ट्रJuly 2015दलित; विधवा, दो बच्चे, जिनमें से एक दृष्टिहीन था.India Today
गोविंदा गवाई, 65 साल, (पुरुष)मलकापुर, महाराष्ट 22 September 2018परिवार को दो महीने के लिए राशन से इंकार कर दिया क्योंकि राशन कार्ड आधार से जुड़ा नहीं था। आधार से जुड़े राशन कार्ड प्राप्त करने के लिए तीन दिनों के लिए असफल प्रयास किया।
बिष्णु चरण, 65 साल (पुरुष)राजनगर ब्लॉक, केंद्रापरा, ओडिशाOctober 2015एनएफएसए रोलआउट के दौरान नाम उनका नाम पीडीएस राशन कार्ड सूची से हट गया था, दो बेटे थे, एक विकलांग और विवाहित था जो तनाव से मर गया था, उसका नाम एनएफएसए की संदिग्ध सूचीपर रखा गया थाOdisha Times
सुआदेई, 55 साल (महिला)घुतुपाली गाँव, बलांगीर, ओडिशा8 December 2015इनके घर में महीनों से पीडीएस अनाज नहीं मिला था.Times of India
टीके मोहनंदा, 65 साल (पुरुष)कोमना ब्लॉक,नुआपाड़ा14 December 2015दलित, भूमिहीन, इनके दो मानसिक रूप से कमजोर बच्चे हैं। पहले ये एए लाभार्थी थे, लेकिन एनएफएसए रोलआउट के दौरान पीडीएस राशन कार्ड सूची से इनका नाम हट गया था.The Hindu
खेत्रबासीप्रधान, 80 साल (पुरुष)दासपल्ला, नयागढ़March 2016इन्हें पेंशन नहीं मिल सकी क्योंकि इनके वोटर कार्ड पर गलत उम्र लिख दी गयी थी.Odisha Sun Times
रंकनिधिखुरा, 39 साल(पुरुष)बलिछारा गाँव, जूनागढ़, कालाहांडी, ओडिशा25 March 2017खुरा एक मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति था जो अपनी बूढी मां और एक मानसिक रूप से बीमार भाई के साथ रहता था. परिवार में पीडीएस कार्ड नहीं था या पेंशन पूरी तरह से अपनी मां की कमाई पर निर्भर थी, जिसके बाद लम्बे समय से खाना न मिलने के कारण उनकी मौत हो गई.The New Indian Express
बिलास सिंह, 30 साल (महिला)बर्चना,जयपुर, ओडिशा14 October, 2017उनके पति ने कहा कि उन्हें कोई चिकित्सा सहायता नहीं मिली है, हालांकि उन्होंने स्थानीय आशा, एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से संपर्क किया था.The New Indian Express
गोबिंद बहेरा, (पुरुष)शांतिपाडा, बिंझापुर, जयपुर20 May 2017पत्नी की मृत्यु के बाद अकेले रह रहे थे और पड़ोसियों द्वारा प्रदान किए गए भोजन पर जीवित थे.Odisha Sun Times
कुंती साहू, 35 साल (महिला)खापराखोल,बोलांगीर, ओडिशा28 July 2018खाररा (दलित), हरिशंकर रोड रेलवे स्टेशन पर उनका निधन हो गया, वो अपनी मां के साथ वहां रहती थीं कारण 2 महीने में उनकी मौत हो गईं, मां को वृद्धावस्था पेंशन मिल सकती थी अगर उनका राशनकार्ड होता.RTF Odisha fact finding report
कुंद्रा नाग, 68 साल (महिला)खूंटापल्ली, सदर ब्लॉक, बरगढ़, ओडिशा12 June 2018बुजुर्ग विधवा, पति और पत्नी को 300 रु मिलती थी; अंत्योदय कार्ड पर पीडीएस अनाज नहीं मिलता था, पड़ोसी ने भी चावल देने से इंकार कर दिया था.Odisha Post,

Scroll.in.

मुंगरे चूरा, 59 साल (महिला)जेरपाडा, बोंगोमुंडा, बोलांगीर, ओडिशा~22 August, 2018डोम (दलित); 5-7 साल पहले विधवा हुई थीं,  उन्हें पेंशन नहीं मिलती थी,  एनएफएसए के रोलआउट से पहले पीडीएस राशन कार्ड उन्हें मिला था, लेकिन बाद में उन्हें इससे हटा दिया गया. पेंशन और अन्त्योदय  राशन कार्ड के साथ मिल कर 35 किलोग्राम चावल मिल रहा था.New Indian ExpressऔरRTF Odisha fact finding
चुन्नी बाई, 75 साल (महिला)राजसमंद, राजस्थान  27 September 2018वह और उसके पति अपनी मृत्यु से पांच दिन पहले नहीं खाते थे। उन्हें पिछले दो महीनों के लिए राशन या पेंशन नहीं मिला क्योंकि आधार-आधारित ईपीओएस मशीन में उनके फिंगरप्रिंट को प्रमाणित नहीं किया जा सका।
श्रीकांतदीक्षित, 40 साल (पुरुष)बाराबंकी, यूपीJune 2016पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके पेट में 50 ग्राम भोजन मिला था.India.com
नाथूप्रसाद 40 साल (पुरुष)नरैनी, बंका, यूपी1 May 2016दलित; चार दिनों तक कुछ न खाने की वजह से उन्ही मौत हुई, मुख्यमंत्री ने मुआवजे के तौर पर उनके परिवार को 5 लाख रूपये दिए.The Hindu

Khabar Lahariya

धर्मेन्द्र, 28 साल (पुरुष)सोरोन तहसील, इलाहाबाद, यूपी23 October, 2016दलित, “गरीबी रेखा से नीचे परिवारों के लिए सब्सिडी वाले राशन कार्ड को बनवाने के उनके पास आधार कार्ड नहीं था”, जिसके बाद, जिला प्रशासन ने स्थानीय राशन डीलर के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है।Daily Mail

NDTV

सुभाष सिंह, 42 साल (पुरुष)दुदही, कुशीनगर, यूपी10 April, 2017उनकी मृत्यु से एक सप्ताह पहले, डीलर ने उन्हें पीडीएस मिलने वाले अनाज का देने से  इनकार कर दिया था जिसके बाद चार दिनों तक कुछ न खाने के कारण उनकी मौत हो गई.Patrika.com
शकीना, 50 साल (महिला)बरेली, यूपी14 November, 2017लकवाग्रस्त, कमजोर शकीना के पास अन्त्योदय कार्ड था लेकिन उन्हें नवम्बर से अनाज नहीं मिला क्योंकि वो दुकान तक जाने में सक्षम नहीं थीं.NDTV
नेम चंद, 42 साल (पुरुष)कुडालिया लख्लासपुर, बरेली, यूपी4 January, 2018पिछले तीन दिनों उनके पास खाना नहीं था, इसलिए 82 वर्षीय मां ने पीडीएस से मिला केरोसिन और अनाज बेच दिया था, फिर वो नाई का काम करने लगी लेकिन लकवा होने के बाद ये भी छुट गया.Times of India
आमिर जहान, 36 साल, पुरुष/महिलामुरादाबाद, यूपी25 January, 2018पीडीएस राशन कार्ड जारी नहीं किया गया था; लेकिन मृत्यु के बाद उसे दिया गया थाRTFC fact finding report
राजवती 60 साल, रानी 25 (महिला)बरेली, यूपी5 July, 2018परेशान हो कर आत्महत्या की..आधार की कमी के कारण राशन कार्ड रद्द कर दिया गया.Navbharat Timesऔर Jansatta.com
ख़ुशी, 8 साल (महिला)विदाई गाँव,सादाबाद, हाथरस, यूपी10 September, 2018पिता एक मजदूर थे लेकिन दो महीने तक काम पर नहीं गये थे,  परिवार में राशन कार्ड नहीं था इसलिए एक सप्ताह तक किसी ने कुछ नहीं खाया था, अन्नू, उनकी छोटी बहन भी बेहोश हो गई थी जो फिर काफी गंभीर हालात में रही.The Wire
संगीता, 30 साल (महिला), सूरज, 8 साल (पुरुष)

बेटी, दो माह (महिला)

दुदही, कुशीनगर, यूपी6 and 11 September, 2018 मुसहर (दलित) परिवार, मां और बेटे की मृत्यु हो गई और एक सप्ताह बाद 2 महीने की बच्ची की मौत हो गई, उनके पास राशन कार्ड था और पिछले महीने ही अनाज मिला थाNDTV
फेंकू, 22 साल, पप्पू 16 साल (पुरुष)पडरौना, कुशीनगर, यूपी12-13 September, 2018मुशहर (दलित) भाई, ईंट भट्ठी में काम करते थे, बेहद कमजोर होने और अस्वस्थ होने की वजह से दो दिनों में उनकी मौत हो गई.Newsclick.in
मलिखे, 45 साल (पुरुष)सीतापुर, यूपी 21 September, 2018राशन कार्ड के लिए आवेदन किया था, लेकिन नहीं मिला था। उन्हें ऑनलाइनप्राप्त करने में कठिनाइयां थीं। मौत का कारण आधार से संबंधित होने की संभावना है
सुरथकुमार गायेन, 63 साल(पुरुष)जयपुर, वेस्ट बंगाल24 March, 20182017 डिजिटलीकरण के दौरान हुई परेशानियों के कारण उनके परिवार को पीडीएस अनाज नहीं मिलता था और आधार की कमी के कारण पेंशन प्राप्त नहीं हुईReport of Right to Food and Work Campaign, West Bengal fact finding team
बिमला पांडेय, 68 साल (महिला)  पुरुलिया, पश्चिम बंगाल9 August, 2018उंच्च जाती, विधवा, राशन कार्ड और पेंशन ना होने के कारण, भीक से ज़िन्दगी गुज़ारती थी। लगातार बारिशों की वजह से कुछ दिनों से भीक मांगने नहीं गई थी।    Indian Express

 

एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र में भूख से मौतें बड़ी खबर होनी चाहिए व इस पर गंभीर चर्चा और
सक्रीय प्रतिक्रिया होना चाहिए। चंद मौतें कुछ हद तक चर्चित तो हुई, लेकिन उस चर्चा से ऐसा
निरंतर दबाव नहीं बन सका जिससे भूख से मौतों को रोकने के लिए सरकार को कार्यवाई करने के
लिए विवश किया जा सके। इनमें से अधिकांश मामले ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ के दौर में मुख्य समाचार का
हिस्सा भी नहीं बन पाए। जन वितरण प्रणाली में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था से
व्यापक पैमाने पर हो रही समस्याओं के बावज़ूद केंद्र सरकार इसे पूरे देश में अनिवार्य करने पर लगी
हुई है।

यह रिपोर्ट और सूची रीतीका खेरा और सिराज दत्ता ने स्वाती नारायण के योगदान , और ओडिशाझारखंडपश्चिम बंगाल, दिल्ली में खाद्य अभियान के अधिकार के साथ तैयार की थी। यह रिपोर्ट का एडिटेड रूप है।