28 सितम्बर 2017 की घटना है। झारखंड में एक 11-वर्षीय बच्ची संतोषी कुमारी की मृत्यु हो गई थी। संतोषी अपनी माँ को ‘भात-भात’ कहते-कहते चल बसी थी। बाद में पता चला था की आधार से लिंक न होने के कारण संतोषी के परिवार का राशन कार्ड रद्द कर दिया गया था इसका कारण था मई-जुलाई 2017 में झारखंड सरकार द्वारा चलाया गया अभियान जिसमें व्यापक पैमाने पर बिना आधार से जुड़े राशन कार्डों को रद्द कर दिया गया था।
झारखंड हो या बिहार, ओडिशा हो या उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र से लेकर कर्णाटक, और यहां तक की राजधानी दिल्ली में भी पिछले कुछ वर्षों में भूख से मौतों की खबरें लगातार आती रही हैं।
संतोषी की पुण्यतिथि पर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 2015 से लेकर अभी तक उन भूख से हुई मौतों की सूचि समेकित की है, जिनकी जानकारी उपलब्ध है। हर घटना में पीड़िता को, घर में खाना या पैसा न होने के कारण, लंबे समय तक भूखा रहना पड़ा और इसी कारणवश उसकी मृत्यु हो गई। लगभग हर घटना में ये स्पष्ट पता चला है की अगर पीड़िता को समय से खाना या पैसा मिलता, तो शायद उसकी मृत्यु ना होती।
यह आंशिक सूचि अंग्रेजी व हिंदी खबरों के गूगल सर्च पर आधारित है।
भूख से मौतों की संख्या | आधार-सम्बंधित मृत्यु | जन वितरण प्रणाली / पेंशन में आधार लागू? | |
2015 | 7 | 0 | नहीं |
2016 | 7 | 2 | कुछ राज्यों में |
2017 | 14 | 10 | हाँ |
2018 | 33 | 19 | हाँ |
पिछले चार वर्षों में कम-से-कम 61 लोगों की भुखमरी से मौत हुई है। इनमें से 47 मौतें 2017 व 2018 में हुई हैं। यह भारत के गरीबों के जीवन में अनिश्चितता की स्थिति को दर्शाता है। अनेक गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन और जन वितरण प्रणाली जीवन रेखा समान रखी गयी है। अधिकांश मौतें, पेंशन या जन वितरण प्रणाली से राशन न मिलने के कारण हुई हैं। भुखमरी के शिकार हुए अधिकांश व्यक्ति वंचित समुदायों-आदिवासी, दलित व मुसलमान के हैं।
2017 और 2018 में जो 47 मौतें हुई, उनमें से 31 आधार संबंधित समस्याओं के कारण हुई थी। इनमें से कम-से-कम 21 मौतों के लिए सीधे तौर पर आधार ज़िम्मेदार था, जिसमे मुख्य कारण हैं – आधार से न जुड़े होने के कारण राशन कार्ड रद्द हो जाना या पेंशन सूचि से नाम कट जाना व आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था की विफलता। अनेक राज्यों में जन वितरण प्रणाली में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था अनिवार्य समान है। इनके अलावा 10 मौतें संभवतः आधार के कारण ही हुई हैं, जिनमें से अधिकांश व्यक्ति अपने राशन या राशन कार्ड से वंचित थे, जिसके लिए आधार ज़िम्मेवार हो सकता है।
भूख से मौतों की सूचनाएं झारखंड और उत्तर प्रदेश से लगातार आती रही हैं। अभी तक इन दोनों राज्यों से 16-16 व्यक्तियों की मृत्यु की सूचनाएं मिली हैं। झारखंड में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था लगभग हर राशन दुकान में अनिवार्य है। उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को देर से व अव्यवस्थित तरीके से लागू किया है।
2015-2018 में भूखमरी से मरनेवाले लोगों के अख़बारों में दिए गये आंकड़ों की विस्तृत सूची।
नाम और उम्र | जिला और ब्लॉक | जन्म तिथि | विवरण | Sources |
शिव कुमार माझी, 4 साल (पुरुष) | सुरगुजा, छत्तीसगढ़ | May 2015 | आदिवासी!, परिवार का पीडीएस राशनकार्ड निरस्त था; पिता एक मजदूर, परिवार के पास राशन कार्ड नहीं था; इसलिए आशंका सहित पीडीएस कार्ड निरस्त हुआ | Indian Express |
जंगले सिंह,(पुरुष) | पेंड्रा ब्लॉक, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ | 27 May 2015 | दलित और आदिवासी;रिपोर्ट और खबरों के अनुसार, मौत के समय उसके पेट में एक अन्न का दाना भी नहीं था. | Indian Express |
लम्बूराम, 60 साल (पुरुष) | बगीचा, जशपुर, छत्तीसगढ़ | October 2015 | आदिवासी;अपने पिता के चिकित्सा खर्चों को पूरा करने के लिए पीडीएस राशन कार्ड बंधक करना पड़ा, जो फिर कभी वापस नहीं मिला. | Catch News |
जोभा मांझी, 60 साल (पुरुष) | शेखपुरा, बिहार | 25 March 2016 | मुसहर (महादलित); मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनके पास एएई कार्ड था और जनवरी 2016 में अनाज मिला था. | TOI report |
रामसूरत, 50 साल (पुरुष) | नालंदा | June 2016 | दलित; 10-20 दिनों से नहीं खाया गया था; इस बीच एक 8 साल के बेटा बच गया | Newsx.com |
गोविंदा 5 साल, (पुरुष), ऐश्वर्या/मुन्नी, 2 साल (महिला) | कोरनसराय,डुमराव, बक्सर, बिहार | 26 August, 1 September, 2018 | मुसहर(दलित) पिता विरोध प्रदर्शन के चलते जेल में बंद थे, परिवार के पास पीडीएस राशन कार्ड था लेकिन आधार कार्ड नहीं बन सका, जिसकी वजह से पिछले 8 महीनों से घर में राशन नहीं आया और वहां नरेगा में भी काम नहीं था | Bhaskar.com and |
पारो 2 साल, शिखा 4 साल, औरमानसी 8 साल (महिला) | मंडावली, ईस्ट डेल्ही, डेल्ही | 25 July, 2018 | मां मानसिक रूप से बीमार थी, पिता बेरोजगार था इसलिए रिक्शा चलाता था, राशन कार्ड नहीं था. Post mortem confirmed starvation and found 0 grams of fat. | Delhi Rozi Roti AdhikarAbhiyan |
इंद्रदेव माली 40 साल (पुरुष) | हजारीबाग, झारखंड | December 2016 | दलित; मृत्यु से तीन दिन पहले घर में खाना नहीं पका था। मृत्यु से पहले दो महीनेमें परिवार को राशन नहीं मिला। | News18.com and DainikJagran |
संतोषी कुमारी 11 साल (महिला) | सिमडेगा, झारखंड | 28 September, 2017 | दलित; संतोषी के परिवार को उनकी मृत्यु से छह महीने पहले राशन से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि यह आधार से जुड़ा नहीं था। | RTFC Jharkhand statement |
बैजनाथ रविदास, 40 साल (पुरुष) | झरिया, धनबाद, झारखंड | 21 October, 2017 | दलित; रिक्शा खींचने वाला, दीर्घकालिक वंचित; पीडीएस राशन कार्ड के लिए कई बार आवेदन किया था, लेकिन इसे नहीं मिला। उनकी मृत्यु के बाद परिवार को राशन कार्ड मिला, उनकी पत्नी विधवा पेंशन का इंतजार कर रही है. | Report of fact finding by HRLN |
रूपलाल मरांडी 60 साल (पुरुष) | देओघर, झारखंड | 23 October, 2017 | आदिवासी; रूपलाल के परिवार को दो महीने तक राशन नहीं दिया गया क्योंकि यह एबीबीए के जरिए अपनी पहचान साबित नहीं कर सका. | HRLN fact finding report |
ललिता कुंवर 45 साल (महिला) | गढ़वा, झारखंड | October 2017 | आदिवासी; ललिता के परिवार को उनकी मृत्यु से छह महीने पहले राशन से वंचित कर दिया गया था. | Prabhat Khabar |
प्रेमानीकुंवर, 64 साल(महिला) | गढ़वा, झारखंड | 1 December 2017 | ओबीसी; 2017 सितम्बर के बाद, प्रेमानी की सामाजिक सुरक्षा पेंशन को उनके आधार से जुड़े किसी और के बैंक खाते में भेज दिया गया था, खुद को साबित करने के बाद भी नवंबर 2017 में उन्हें राशन नहीं मिला. | RTFC Jharkhand fact finding |
इटवरीया देवी, 67 साल (महिला) | गढ़वा, झारखंड | 25 December 2017 | ओबीसी; एबीबीए की विफलता के कारण इटवारी के परिवार को राशन से देने से इनकार कर दिया गया, दिसंबर 2017 में चूँकि वो साबित नही कर सकी इसलिए उनकी पेंशन नहीं मिली थी।. | RTFC Jharkhand fact finding report |
बुधनी सोरेन, 40 साल (महिला) | गिरीडीह, झारखंड | 13 January 2018 | आदिवासी; बुद्धनी को राशन कार्ड जारी नहीं किया गया था क्योंकि उसके पास आधार नहीं था और इसलिए भी उसे विधवा पेंशन जारी नहीं की गई थी। | eNewsRoomऔरTimes of India |
लुखी मुर्मू 30 साल (महिला) | पाकुर, झारखंड | 23 January, 2018 | आदिवासी; एबीबीए विफलता के कारण अक्टूबर 2017 से लूखी के परिवार को राशन से वंचित कर दिया गया था. | RTF Jharkhand fact finding |
सारथी महतीं, (महिला) | धनबाद, झारखंड | 29 April, 2018 | सरथी को उनके राशन और पेंशन से इनकार कर दिया गया क्योंकि वह बीमारी के कारण राशन की दुकान या एबीबीए के लिए बैंक नहीं जा सकी. | DainikJagranऔरJansatta.com |
सावित्री देवीमहतो, 55 yrs (महिला) | गिरीडीह, झारखंड | 2 June, 2018 | ओबीसी; सावित्री के परिवार को राशन कार्ड जारी नहीं किया गया था और न ही उन्हें पेंशन मिली क्योंकि उनका खाता आधार से जुड़ा नहीं था. | RTFC Jharkhand fact finding report |
मीना मुसहर, 45 साल (महिला) | छत्तरा, झारखंड | 4 June, 2018 | दलित; न तो मीना और न ही उसके बेटे के परिवार को एएई राशन कार्ड जारी नहीं किया गया था. | RTF Jharkhand report |
चिंतामनमल्हार, 40 साल (पुरुष) | रामगढ़,झारखंड | 14 June, 2018 | मुशहर (दलित); चिंतमान के परिवार को राशन कार्ड जारी नहीं किया गया था. सिर्फ यही नहीं, पूरा गांव भी राशन, पेंशन और अन्य बुनियादी अधिकारों से वंचित था. | RTFC fact finding report |
लालजी महतो, 70 साल (पुरुष) | जम्तारा, झारखंड | 10 July, 2018 | ओबीसी; उन्हें पिछले तीन महीनों से उनकी पेंशन नहीं मिली थी | DainikJagran |
राजेंद्रबिरहोर, 39 साल (पुरुष) | रामगढ़, झारखंड | 24 July, 2018 | आदिवासी; राजेंद्र के परिवार को राशन कार्ड जारी नहीं किया गया, इसे विशेष रूप से कमजोर जनजातियों को दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी नहीं मिली जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई. | Report of RTFC fact finding team, NDTV.com |
चमतुसबर, 45 साल (पुरुष) | धालभूमगढ़, ईस्ट सिंहभूम | 16 September, 2018 | विशेष कमजोर जनजातीय समूह (आदिवासी), समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, उनके घर में 4-5 दिनों से खाने के लिए कुछ भी नहीं था, अंत्योदय कार्ड के वो हकदार नहीं माना गया, इसलिए उसे ये कार्ड नहीं दिया गया और वो टीबी बीमारी से भी ग्रसित था. | Prabhat Khabar |
नारायण 55साल, सुब्बू 52 साल, वेंकटरमा 46 साल(पुरुष) | गोकर्ण, कर्नाटक | 2 Jul, 8 Jul and 13 Jul, 2017 | दलित भाइयों, भाइयों के परिवार को उनकी मृत्यु से छह महीने पहले राशन से वंचित कर दिया गया था। उनका राशन कार्ड हटा दिया गया क्योंकि यह आधार से जुड़ा नहीं था। | PPT based on fact finding |
Anand, child (m) | Majhgavan, Satna, Madhya Pradesh | September 2018 | Adivasi, not getting PDS grain since three months; child had been admitted to Nutritional Rehabilitation Centre, released from there, but relapsed; official admitted that parents mental health had also suffered due to hunger | |
ललितरंगारी, 36 साल (महिला) | गोंदिया, महाराष्ट्र | July 2015 | दलित; विधवा, दो बच्चे, जिनमें से एक दृष्टिहीन था. | India Today |
गोविंदा गवाई, 65 साल, (पुरुष) | मलकापुर, महाराष्ट | 22 September 2018 | परिवार को दो महीने के लिए राशन से इंकार कर दिया क्योंकि राशन कार्ड आधार से जुड़ा नहीं था। आधार से जुड़े राशन कार्ड प्राप्त करने के लिए तीन दिनों के लिए असफल प्रयास किया। | |
बिष्णु चरण, 65 साल (पुरुष) | राजनगर ब्लॉक, केंद्रापरा, ओडिशा | October 2015 | एनएफएसए रोलआउट के दौरान नाम उनका नाम पीडीएस राशन कार्ड सूची से हट गया था, दो बेटे थे, एक विकलांग और विवाहित था जो तनाव से मर गया था, उसका नाम एनएफएसए की ‘संदिग्ध सूची‘ पर रखा गया था। | Odisha Times |
सुआदेई, 55 साल (महिला) | घुतुपाली गाँव, बलांगीर, ओडिशा | 8 December 2015 | इनके घर में महीनों से पीडीएस अनाज नहीं मिला था. | Times of India |
टीके मोहनंदा, 65 साल (पुरुष) | कोमना ब्लॉक,नुआपाड़ा | 14 December 2015 | दलित, भूमिहीन, इनके दो मानसिक रूप से कमजोर बच्चे हैं। पहले ये एए लाभार्थी थे, लेकिन एनएफएसए रोलआउट के दौरान पीडीएस राशन कार्ड सूची से इनका नाम हट गया था. | The Hindu |
खेत्रबासीप्रधान, 80 साल (पुरुष) | दासपल्ला, नयागढ़ | March 2016 | इन्हें पेंशन नहीं मिल सकी क्योंकि इनके वोटर कार्ड पर गलत उम्र लिख दी गयी थी. | Odisha Sun Times |
रंकनिधिखुरा, 39 साल(पुरुष) | बलिछारा गाँव, जूनागढ़, कालाहांडी, ओडिशा | 25 March 2017 | खुरा एक मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति था जो अपनी बूढी मां और एक मानसिक रूप से बीमार भाई के साथ रहता था. परिवार में पीडीएस कार्ड नहीं था या पेंशन पूरी तरह से अपनी मां की कमाई पर निर्भर थी, जिसके बाद लम्बे समय से खाना न मिलने के कारण उनकी मौत हो गई. | The New Indian Express |
बिलास सिंह, 30 साल (महिला) | बर्चना,जयपुर, ओडिशा | 14 October, 2017 | उनके पति ने कहा कि उन्हें कोई चिकित्सा सहायता नहीं मिली है, हालांकि उन्होंने स्थानीय आशा, एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से संपर्क किया था. | The New Indian Express |
गोबिंद बहेरा, (पुरुष) | शांतिपाडा, बिंझापुर, जयपुर | 20 May 2017 | पत्नी की मृत्यु के बाद अकेले रह रहे थे और पड़ोसियों द्वारा प्रदान किए गए भोजन पर जीवित थे. | Odisha Sun Times |
कुंती साहू, 35 साल (महिला) | खापराखोल,बोलांगीर, ओडिशा | 28 July 2018 | खाररा (दलित), हरिशंकर रोड रेलवे स्टेशन पर उनका निधन हो गया, वो अपनी मां के साथ वहां रहती थीं कारण 2 महीने में उनकी मौत हो गईं, मां को वृद्धावस्था पेंशन मिल सकती थी अगर उनका राशनकार्ड होता. | RTF Odisha fact finding report |
कुंद्रा नाग, 68 साल (महिला) | खूंटापल्ली, सदर ब्लॉक, बरगढ़, ओडिशा | 12 June 2018 | बुजुर्ग विधवा, पति और पत्नी को 300 रु मिलती थी; अंत्योदय कार्ड पर पीडीएस अनाज नहीं मिलता था, पड़ोसी ने भी चावल देने से इंकार कर दिया था. | Odisha Post, |
मुंगरे चूरा, 59 साल (महिला) | जेरपाडा, बोंगोमुंडा, बोलांगीर, ओडिशा | ~22 August, 2018 | डोम (दलित); 5-7 साल पहले विधवा हुई थीं, उन्हें पेंशन नहीं मिलती थी, एनएफएसए के रोलआउट से पहले पीडीएस राशन कार्ड उन्हें मिला था, लेकिन बाद में उन्हें इससे हटा दिया गया. पेंशन और अन्त्योदय राशन कार्ड के साथ मिल कर 35 किलोग्राम चावल मिल रहा था. | New Indian ExpressऔरRTF Odisha fact finding |
चुन्नी बाई, 75 साल (महिला) | राजसमंद, राजस्थान | 27 September 2018 | वह और उसके पति अपनी मृत्यु से पांच दिन पहले नहीं खाते थे। उन्हें पिछले दो महीनों के लिए राशन या पेंशन नहीं मिला क्योंकि आधार-आधारित ईपीओएस मशीन में उनके फिंगरप्रिंट को प्रमाणित नहीं किया जा सका। | |
श्रीकांतदीक्षित, 40 साल (पुरुष) | बाराबंकी, यूपी | June 2016 | पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके पेट में 50 ग्राम भोजन मिला था. | India.com |
नाथूप्रसाद 40 साल (पुरुष) | नरैनी, बंका, यूपी | 1 May 2016 | दलित; चार दिनों तक कुछ न खाने की वजह से उन्ही मौत हुई, मुख्यमंत्री ने मुआवजे के तौर पर उनके परिवार को 5 लाख रूपये दिए. | The Hindu |
धर्मेन्द्र, 28 साल (पुरुष) | सोरोन तहसील, इलाहाबाद, यूपी | 23 October, 2016 | दलित, “गरीबी रेखा से नीचे परिवारों के लिए सब्सिडी वाले राशन कार्ड को बनवाने के उनके पास आधार कार्ड नहीं था”, जिसके बाद, जिला प्रशासन ने स्थानीय राशन डीलर के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। | Daily Mail |
सुभाष सिंह, 42 साल (पुरुष) | दुदही, कुशीनगर, यूपी | 10 April, 2017 | उनकी मृत्यु से एक सप्ताह पहले, डीलर ने उन्हें पीडीएस मिलने वाले अनाज का देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद चार दिनों तक कुछ न खाने के कारण उनकी मौत हो गई. | Patrika.com |
शकीना, 50 साल (महिला) | बरेली, यूपी | 14 November, 2017 | लकवाग्रस्त, कमजोर शकीना के पास अन्त्योदय कार्ड था लेकिन उन्हें नवम्बर से अनाज नहीं मिला क्योंकि वो दुकान तक जाने में सक्षम नहीं थीं. | NDTV |
नेम चंद, 42 साल (पुरुष) | कुडालिया लख्लासपुर, बरेली, यूपी | 4 January, 2018 | पिछले तीन दिनों उनके पास खाना नहीं था, इसलिए 82 वर्षीय मां ने पीडीएस से मिला केरोसिन और अनाज बेच दिया था, फिर वो नाई का काम करने लगी लेकिन लकवा होने के बाद ये भी छुट गया. | Times of India |
आमिर जहान, 36 साल, पुरुष/महिला | मुरादाबाद, यूपी | 25 January, 2018 | पीडीएस राशन कार्ड जारी नहीं किया गया था; लेकिन मृत्यु के बाद उसे दिया गया था | RTFC fact finding report |
राजवती 60 साल, रानी 25 (महिला) | बरेली, यूपी | 5 July, 2018 | परेशान हो कर आत्महत्या की..आधार की कमी के कारण राशन कार्ड रद्द कर दिया गया. | Navbharat Timesऔर Jansatta.com |
ख़ुशी, 8 साल (महिला) | विदाई गाँव,सादाबाद, हाथरस, यूपी | 10 September, 2018 | पिता एक मजदूर थे लेकिन दो महीने तक काम पर नहीं गये थे, परिवार में राशन कार्ड नहीं था इसलिए एक सप्ताह तक किसी ने कुछ नहीं खाया था, अन्नू, उनकी छोटी बहन भी बेहोश हो गई थी जो फिर काफी गंभीर हालात में रही. | The Wire |
संगीता, 30 साल (महिला), सूरज, 8 साल (पुरुष) बेटी, दो माह (महिला) | दुदही, कुशीनगर, यूपी | 6 and 11 September, 2018 | मुसहर (दलित) परिवार, मां और बेटे की मृत्यु हो गई और एक सप्ताह बाद 2 महीने की बच्ची की मौत हो गई, उनके पास राशन कार्ड था और पिछले महीने ही अनाज मिला था | NDTV |
फेंकू, 22 साल, पप्पू 16 साल (पुरुष) | पडरौना, कुशीनगर, यूपी | 12-13 September, 2018 | मुशहर (दलित) भाई, ईंट भट्ठी में काम करते थे, बेहद कमजोर होने और अस्वस्थ होने की वजह से दो दिनों में उनकी मौत हो गई. | Newsclick.in |
मलिखे, 45 साल (पुरुष) | सीतापुर, यूपी | 21 September, 2018 | राशन कार्ड के लिए आवेदन किया था, लेकिन नहीं मिला था। उन्हें ‘ऑनलाइन‘ प्राप्त करने में कठिनाइयां थीं। मौत का कारण आधार से संबंधित होने की संभावना है। | |
सुरथकुमार गायेन, 63 साल(पुरुष) | जयपुर, वेस्ट बंगाल | 24 March, 2018 | 2017 डिजिटलीकरण के दौरान हुई परेशानियों के कारण उनके परिवार को पीडीएस अनाज नहीं मिलता था और आधार की कमी के कारण पेंशन प्राप्त नहीं हुई | Report of Right to Food and Work Campaign, West Bengal fact finding team |
बिमला पांडेय, 68 साल (महिला) | पुरुलिया, पश्चिम बंगाल | 9 August, 2018 | उंच्च जाती, विधवा, राशन कार्ड और पेंशन ना होने के कारण, भीक से ज़िन्दगी गुज़ारती थी। लगातार बारिशों की वजह से कुछ दिनों से भीक मांगने नहीं गई थी। | Indian Express |
एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र में भूख से मौतें बड़ी खबर होनी चाहिए व इस पर गंभीर चर्चा और
सक्रीय प्रतिक्रिया होना चाहिए। चंद मौतें कुछ हद तक चर्चित तो हुई, लेकिन उस चर्चा से ऐसा
निरंतर दबाव नहीं बन सका जिससे भूख से मौतों को रोकने के लिए सरकार को कार्यवाई करने के
लिए विवश किया जा सके। इनमें से अधिकांश मामले ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ के दौर में मुख्य समाचार का
हिस्सा भी नहीं बन पाए। जन वितरण प्रणाली में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था से
व्यापक पैमाने पर हो रही समस्याओं के बावज़ूद केंद्र सरकार इसे पूरे देश में अनिवार्य करने पर लगी
हुई है।
यह रिपोर्ट और सूची रीतीका खेरा और सिराज दत्ता ने स्वाती नारायण के योगदान , और ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली में खाद्य अभियान के अधिकार के साथ तैयार की थी। यह रिपोर्ट का एडिटेड रूप है।