सरकार ने फैसला किया है कि 2027 में होने वाली जनगणना पूरी तरह डिजिटल तरीके से की जाएगी। इस बार मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करके लोगों से जानकारी ली जाएगी। अगर कोई चाहे तो वेब-पोर्टल पर खुद भी अपनी जानकारी भर सकता है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार 9 दिसंबर 2025 को लोकसभा को बताया।
2011 के बाद अब जनगणना साल 2027 में दो चरणों में आयोजित की जाएगी, जिसका पहला चरण अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच होगा, जिसके बाद दूसरा चरण फरवरी 2027 में आयोजित किया जाएगा। इसकी जानकारी केंद्र सरकार ने मंगलवार 2 दिसंबर को संसद में दी गई।
क्या है जनगणना ?
जनगणना का मतलब है पूरे देश में गिनती करना। यह प्रक्रिया सरकार द्वारा की जाती है। इसमें हर व्यक्ति और हर घर की जानकारी इकट्ठी की जाती है। जैसे –
- घर में कितने लोग रहते हैं
- उनकी उम्र क्या है
- महिला हैं या पुरुष
- कौन-सा काम करते हैं
- वे कहाँ रहते हैं और कहाँ से आए हैं
- पढ़ाई, भाषा, घर का प्रकार जैसी जानकारी
यह काम आम तौर पर हर 10 साल में एक बार किया जाता है ताकि सरकार को पता चले कि देश में कितने लोग हैं और उनकी ज़रूरतें क्या-क्या हैं। लेकिन 2011 के बाद से अब तक जनगणना नहीं हुई। मतलब कि पिछली जनगणना के हुए करीब पंद्रह साल बीत चुके हैं।
आपको बता दें कि इस बार जनसंख्या के साथ-साथ जातियों की भी गिनती की जाएगी। यानी जाति जनगणना भी होगी। जाति जनगणना क्या है और जनगणना से जुड़ी जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।
Census 2027: भारत की अगली जनगणना 2027 में, पहली बार साथ होगी जाति गणना
जनगणना कैसे चल रही है, इसकी निगरानी और प्रबंधन भी एक अलग ऑनलाइन पोर्टल से किया जाएगा।
2027 में डिजिटल जनगणना (digitally)
सरकार अब पुरानी कागज़ वाली जनगणना की जगह मोबाइल ऐप के जरिए जानकारी जुटाने की योजना बना रही है। इसके साथ ही लोगों को एक ऑनलाइन पोर्टल पर खुद अपनी जानकारी भरने का विकल्प भी दिया जाएगा। 2027 में डिजिटल जनगणना होगी। इसकी जानकारी देते हुए केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि जनगणना करने का तरीका पहले जैसा ही रहेगा। यानी, जिस जगह पर व्यक्ति जनगणना के समय मौजूद होगा, उसकी जानकारी उसी जगह पर दर्ज की जाएगी। लोग कहाँ पैदा हुए, पहले कहाँ रहते थे, अभी के पते पर कितने समय से रह रहे हैं और क्यों जगह बदली ये सारी जानकारी पहले की तरह ही पूछी जाएगी।
It has been decided to conduct Census 2027 through digital means. It is planned to collect data through Mobile Apps. Respondents may also self-enumerate through web-portal. The Census process is to be managed and monitored through a dedicated portal. In Census, information of… pic.twitter.com/dLIzbC5NTS
— ANI (@ANI) December 9, 2025
आगे उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से जनगणना शुरू होने से पहले पूरी प्रश्नावली तैयार की जाती है और उसे सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है ताकि यह आधिकारिक हो जाए और पूरे देश में एक जैसी जानकारी जुटाई जाए।
डिजिटल की वजह से होने वाली समस्या
डिजिटल की दुनिया में हर काम अब डिजिटल तरह से हो रहा है। द वायर की एक रिपोर्ट में उन सवालों पर जोर दिया गया जो डिजिटलीकरण होने से सामने आई। रिपोर्ट के अनुसार डिजिटलीकरण की ओर बढ़ने से क्या भारत में उन लोगों की गिनती की जाएगी जिनके पास डिजिटल सुविधाओं तक पहुंच नहीं है – और क्या सरकार द्वारा एकत्र किए जाने वाले डेटा को सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाएगा।
जैसा कि अब सरकारी योजनाओं और करदाताओं के पैसे से चलने वाली अन्य पहलों में डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसकी वजह से श्रमिकों और प्रवासी श्रमिकों को परेशानी होती है। उदाहरण के लिए, नवंबर में यह बताया गया कि केंद्र सरकार द्वारा ई-केवाईसी लागू करने के अभियान के दौरान, इस वर्ष 10 अक्टूबर से 14 नवंबर के बीच महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के डेटाबेस से लगभग 27 लाख श्रमिकों के नाम हटा दिए गए थे।
ग्रामीण स्तर पर लोगों के अधिक शिक्षित न होने और उन तक मोबाइल और डिजिटल की पहुंच और जानकारी न होने की वजह से वे इन सब होने वाली गड़बड़ियों से अनजान रहते हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके पास स्मार्ट फ़ोन तक नहीं है और न ही उनके पास इतने पैसे हैं कि वह इंटरनेट का रिचार्ज करवा सके। गाँव में आज भी ऐसे कई गांव है जहां नेटवर्क और मोबाइल टावर नहीं लगे हुए जिसकी वजह से लोगों के पास जानकारी पहुंचना आसान नहीं है।
सरकार जब कोई योजना में डिजिटल प्रकिया जोड़ देती है तो उनके लिए ये समझना मुश्किल हो जाता है। अधिकतर लोगों को इसके बारे में जानकारी भी नहीं होती है। आप खबर लहरिया की रिपोर्ट में e-KYCकी प्रकिया और मनरेगा के नियमों को जान सकते हैं।
जैसे मतदाता सूची के लिए एसआईआर (SIR) प्रकिया में भी डिजिटल यानी ऑनलाइन फॉर्म के जरिये भी जानकारी भरी गई। डिजिटल होने से एसआईआर प्रकिया में भी समस्या आई। ग्रामीण स्तर पर लोगों को ऑनलाइन फॉर्म भरने में दिक्कत आई वहीँ बीएलओ के ऊपर भी दबाव देखा गया। सरकार यदि इस तरह का डिजिटलीकरण चाहती है तो सरकार को ग्रामीण स्तर पर होने वाली परेशानी और असुविधाओं को देखते हुए निर्णय लेना चाहिए।
