देश का किसान सड़कों पर अपनी मांगों के लिए नंगे पाँव उतर आया लेकिन सरकार ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया। देश के कई राज्यों में, जगह–जगह पर परेशान किसान अपनी जमीन, अपनी मिट्टी और अपनी फसल के लिए आन्दोलन कर रहा है। ऐसे में केन्द्रीय सरकार का किसानों के प्रति उदासीन रवैया 2019 में होने वाले चुनावों में मौजूदा सरकार का रास्ता साफ़ कर सकता है।
अभी हाल ही में नासिक से महाराष्ट्र तक किसानों ने पैदल मार्च कर अपनी मांगों को मनवाया लेकिन क्या किसान की मौलिक मांगें मानने के लिए भी हर बार किसान को सड़कों पर उतरना होगा!
बुंदेलखंड जिलों में भी कई स्थानों पर किसानों का अनिश्चितकालीन धरना–प्रदर्शन जारी है।
प्रदर्शन में शामिल महिला किसान चन्द्रकली सरकार से बेहद नाराज़ हैं। उन्होंने कहा, सरकार भेदभाव करती है। कर्ज माफ़ी कर छोटे–बड़े किसानों में भेद किया और सभी परेशान हैं। आगामी चुनावों में इस सरकार को जूतों की माला पहना कर बाहर किया जायेगा।
180 किलोमीटर पैदल चल कर आये किसानों को महाराष्ट्र ने आश्वासन दिया और उनकी मांगों को माना। वहीँ 13 फरवरी को दिल्ली आकर किसानों ने महापंचायत की और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया। इसी कड़ी में बुन्देलखंड के जिले बाँदा में भी किसानों द्वारा यूनियन मार्च 7 मार्च से अनिश्चितकाल के लिए धरने पर हैं।
इस बारे में किसान यूनियन के सदस्य गणेश प्रसाद ने बताया कि अपनी मुख्य और जरुरी मांगों के लिए हम सभी यहाँ एकत्र हुए हैं। कृषि संसाधनों के साथ लघु सीमांत किसान का दायरा बढ़ाये जाना चाहिये जिससे अधिक किसानों को कर्ज माफ़ी मिल सकेगी।
किसान यूनियन की जिला अध्यक्ष, अनूपा सिंह ने बताया, सरकार हमारी कोई बात नहीं सुन रही है। मांगे तो बहुत दूर की बात है। सरकार जानबूझ कर बंटवारा कर रही है ताकि किसान बर्बाद हो जाये और इन्ही पर निर्भर रहे।
किसान यूनियन के सचिव लक्ष्मी नारायण ने कहा, नेता आते हैं और आश्वासन देके चले जाते हैं कि वो मुख्यमंत्री तक हमारी मांगे पहुँचायेगे लेकिन ऐसा होता नहीं है। हम यहाँ गर्मी, मच्छर और खाने पीने की कमी झेल रहे हैं। हमारी मूलभूत मांगों को सुनने वाला भी कोई नहीं है। हम निराश हो चुके हैं।
किसानों ने जिला सिटी मंत्री को ज्ञापन देते हुए आगामी दिनों में भी अपना आन्दोलन जारी रखने की बात कही है। अब देखना यह है क्या हर बार अपनी मांगों के लिए किसान को यूँही सड़कों पर उतरना होगा?
रिपोर्टर- गीता