11 सितंबर 1893 के 125 साल बाद 2017 में आज वही तारीख है। यह तारीख स्वामी विवेकानन्द के उस ऐतिहासिक भाषण का 125वां वार्षिक दिवस है जो उन्होंने अमेरिका के शिकागो शहर में विश्व धर्म सम्मेलन में दिया था। दुनिया में कोई ऐसा भाषण नहीं मिलता जिसका संबोधन दिवस ‘जन्मदिन’ की तरह मनाया जाता हो।
इसी बात से स्वामी विवेकानन्द के चिरस्मरणीय भाषण की ऐतिहासिकता साबित हो जाती है। आईये जाने उनके भाषण के बारे में…
–स्वामी विवेकानन्द ने हर स्त्री और हर पुरुष में भाई और बहन का संबंध दिखाया था। मानव–मानव में रिश्ता समझाया था।
–स्वामी विवेकानन्द ने यह बात जोर देकर समझायी थी कि दुनिया में यही इकलौती धरती है जिसने सभी धर्म को उनके लिए सबसे जरूरत की घड़ी में आश्रय दिया– चाहे वे पारसी हों, या इजराइली या फिर कोई और।
–उन्होंने कहा था कि दुनिया में धर्म के नाम पर सबसे ज्यादा रक्तपात हुआ है, कट्टरता और सांप्रदायिकता की वजह से सबसे ज्यादा खून बहे हैं जिसे हर हाल में रोकना होगा।
–स्वामीजी ने कहा था कि दूसरे धर्म को नष्ट करना किसी धर्म का प्रचार करने का तरीका नहीं हो सकता। उन्होंने धर्मांधता का विरोध करने और मानवता को प्रतिष्ठित करने की अपील दुनिया भर के धर्मावलंबियों से की थी।