खबर लहरिया Blog निर्भया सामूहिक बलात्कार को आज 12 साल पूरे, हालात अब भी वही

निर्भया सामूहिक बलात्कार को आज 12 साल पूरे, हालात अब भी वही

वाराणसी में लोक समिति ने आज 16 दिसंबर 2024 को मेरी रातें, मेरी सड़कें कार्यकर्म का आयोजना किया गया है। यह कार्यकर्म आज सोमवार शाम 5 बजे से शुरू होगा। इस कार्यकर्म के शीर्षक से ही पता चलता है कि महिलाओं से हुए बलात्कार और यौन हिंसा का जिम्मेदार महिलाओं को ही ठहराया जाता है।

12 years of Nirbhaya gang rape case

आज 16 दिसंबर 2024 को दिल्ली के जंतर मंतर पर अखिल भारतीय प्रगितशील समिति और दिल्ली के विभिन्न महिला संगठनों द्वारा आयोजित  कार्यक्रम की तस्वीर (फोटो साभार सोशल मीडिया X)

16 दिसंबर 2012 आज ही के दिन दिल्ली की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना घटी जिसे निर्भया का नाम दिया गया। इस घटना के बारे में याद कर के आज भी दिल डर से काँप उठता है। आज 16 दिसंबर 2024 को निर्भया मामले को पूरे 12 साल हो गए लेकिन परिस्थिति में कोई बदलाव नजर आता दिख नहीं रहा। 16 दिसंबर पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर फिर से आवाजें उठने लगती हैं। कई महिला संगठन और सामजिक संगठन निर्भया केस को याद कर के देश में बढ़ते बलात्कार मामलों में आरोपी के लिए सख्त सजा की मांग करते हैं। आज भी महिलाओं और बच्चों के बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं। हालाँकि कुछ घटनाओं को मीडिया में न ही जगह मिल पाती है और न ही न्याय।

वाराणसी में लोक समिति ने आज 16 दिसंबर 2024 को ‘मेरी रातें, मेरी सड़कें’ कार्यकर्म का आयोजना किया गया है। यह कार्यकर्म आज सोमवार शाम 5 बजे से शुरू होगा। इस कार्यकर्म के शीर्षक से ही पता चलता है कि महिलाओं से हुए बलात्कार और यौन हिंसा का जिम्मेदार महिलाओं को ही ठहराया जाता है। उनसे कई सवाल किए जाते हैं। महिलाओं के लिए सड़कें असुरक्षित हो जाती है जहां महिलाएँ चल नहीं सकती। इन रातों और सड़कों पर महिलाओं का भी उतना ही अधिकार है जितना एक पुरुष का।

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बाँदा में परिवार के सदस्य ने ही बच्ची से किया यौन शोषण

निर्भया से लेकर अभया तक मामले में इंसाफ मिलने में कई साल लग जाते हैं। अभया जो कोलकाता के आर.जी. कर डॉक्टर जिसके साथ बहुत ही बेरहमी से सामूहिक बलात्कार कर के हत्या कर की गई। बच्चो के साथ हुई छेड़छाड़ और बलात्कार के कई मामले हैं। उदाहरण के लिए बाँदा जिले के गांव की घटना सामने आई। हाल ही में 3 दिसंबर 2024 को कथित 12 वर्षीय नाबालिग से छेड़खानी का मामला सामने आया। छेड़खानी का आरोप लड़की के फूफा पर लगाया गया।

शिकायतकर्ता की फूफी यानी आरोपी की पत्नी ने बताया कि “जब मैंने इनसे (आरोपी) बोला तो मुझे माँ और बेटे दोनों ने मारा। माँ ने बेटे को समझने की जगह उसको (आरोपी) बढ़ावा दिया।

लड़की की मां ने बताया कि आरोपी उनका नंदोई जाहिद है, जिसने लड़की के साथ गलत व्यवहार किया। लड़की की दादी ने बताया कि लड़की को गुटका लेने के लिए भेजा था, लेकिन आरोपी ने उसे रिक्शा में बैठाकर सुनसान जगह में ले जाकर छेड़छाड़ की। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

खबर लहरिया ने जब इस मामले पर कार्यवाही और जाँच के लिए अपर पुलिस अधीक्षक शिव राज से बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से साफ़ मना कर दिया। उन्होंने बीएस ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि यह मामला हमारे संज्ञान में आ गया है। उन्होंने जाँच और कार्यवाही करने का अश्वशान दिया। पुलिस द्वारा इस तरह का बर्ताव ऐसे अपराध को और बढ़ावा देता है और पुलिस की लापरवाही को भी दर्शाता है। पुलिस अपना काम समय रहते नहीं करती और न ही कोई कार्यवाही करती है जिस वजह से इस तरह के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

96% से अधिक बलात्कार मामलों में परिचित और परिवार के लोगों शामिल

आर्टिकल 14 की रिपोर्ट के अनुसार,साल 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली महिला आयोग के साथ प्रकाशित लेख में बताया गया कि जिन नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न हुआ उनमें से आधे से अधिक सर्वाइवर (जिसके साथ घटना हुई है) 35% की आयु 12 से 15 वर्ष के थे। राष्ट्रीय अपराध डेटा (NCRB) से पता चलता है कि 96% से अधिक बलात्कार सर्वाइवर के परिचित लोगों द्वारा किए गए थे, इनमें से लगभग 9% परिवार के भीतर के लोग थे।

राष्ट्रीय अपराध डेटा (NCRB) 2022 की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में सबसे आगे उत्तर प्रदेश हैं जहां 65,743 एफआईआर दर्ज किए गए। इसमें महाराष्ट्र (45,331), राजस्थान (45,058), पश्चिम बंगाल (34,738) और मध्य प्रदेश (32,765) का नाम भी शामिल रहा।

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार बड़े बड़े वादे करती है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे नारे लगाती है लेकिन ये सिर्फ नारे ही बन कर रह गए हैं। जब बेटी बचेगी ही नहीं तो पड़ेगी कैसे? महिलाएँ और नाबालिग यौन हिंसा का शिकार होती है जिसपर कोई कार्यवाहीनहीं की जाती है। आज फिर से बीते निर्भया को याद किया जा रहा है और सख्त कानून बनाने की मांग की जा रही है। कई जगह प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं निर्भया की याद में। लोगों इसी उम्मीद में प्रदर्शन करते हैं ताकि अब और ऐसे निर्भया और अभया जैसे मामले न हो, पर कितने साल आए और कितने गए कोई सुधार नहीं आया। इन्साफ के लिए अब भी इंतजार जारी है।

 

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