राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) पार्टी के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन 10 सितम्बर को बिहार के भागलपुर जेल से रिहा हुए। अक्सर आपराधिक मामलों में नाम आने के कारण शहाबुद्दीन चर्चा में रहते हैं। उनके बाहर आने पर एक तरफ बड़ा जश्न मनाया जा रहा है तो दूसरी तरफ कुछ लोग खौफ में आ गये हैं। बिहार में ऐसे कई माफिया हैं लेकिन “मोहम्मद शहाबुद्दीन” एक ऐसा नाम है जो सीवान से निकलकर पूरे बिहार में छा गया।
मोहम्मद शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई 1967 को सीवान जिले के प्रतापपुर में हुआ था। 1986 में उनके खिलाफ पहला आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद उनके नाम एक के बाद एक कई आपराधिक मुकदमे लिखे गए। राजनीतिक गलियारों में शहाबुद्दीन का नाम उस वक्त चर्चाओं में आया जब उन्होंने लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया में जनता दल की युवा इकाई में कदम रखा। 1997 में राष्ट्रीय जनता दल के गठन और लालू प्रसाद यादव की सरकार बन जाने से शहाबुद्दीन की ताकत बहुत बढ़ गई थी।
2001 में राज्यों में सिविल लिबर्टीज के लिए पीपुल्स यूनियन की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया था कि राजद सरकार कानूनी कार्रवाई के दौरान शहाबुद्दीन को संरक्षण दे रही थी। सरकार के संरक्षण में वह खुद ही कानून बन गए थे। शहाबुद्दीन का आतंक इस कदर था कि किसी ने भी उस दौर में उनके खिलाफ किसी भी मामले में गवाही देने की हिम्मत नहीं की।
1999 में एक सीपीआई (एमएल) कार्यकर्ता के अपहरण और संदिग्ध हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को लोकसभा 2004 के चुनाव से आठ माह पहले गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन चुनाव आते ही शहाबुद्दीन ने मेडीकल के आधार पर अस्पताल में शिफ्ट होने का इंतजाम कर लिया। अस्पताल में वह लोगों से मिलते थे, बैठकें करते थे। चुनाव तैयारी की समीक्षा करते थे। वहीं से फोन पर वह अधिकारियों, नेताओं को कहकर लोगों के काम कराते थे। अस्पताल के उस पूरे फ्लोर पर उनकी सुरक्षा के भारी इंतजाम थे।
साल 2004 के चुनाव के बाद से शहाबुद्दीन का बुरा वक्त शुरू हो गया था। इस दौरान शहाबुद्दीन के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए। राजनीतिक रंजिश भी बढ़ रही थी। नवंबर 2005 में बिहार पुलिस की एक विशेष टीम ने दिल्ली में शहाबुद्दीन को उस वक्त दोबारा गिरफ्तार कर लिया था।
अदालत ने 2009 में शहाबुद्दीन के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। उस वक्त लोकसभा चुनाव में शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने पर्चा भरा था। लेकिन वह चुनाव हार गई। उसके बाद से ही राजद का यह बाहुबली नेता सीवान के मंडल कारागार में बंद है। कहा जाता है कि भले ही शहाबुद्दीन जेल में थे लेकिन उनका रूतबा तब भी सीवान में कायम रहा। और अब जेल से बाहर आने के बाद अब लोगों को फिर इस बार की चिंता है कि शहाबुद्दीन अपना आतंक कहाँ और कैसे फैलाएंगे।