जिला बांदा। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान रह चुकी मिताली राज का रिकॉर्ड तोड़ने का सपना देखने वाली बांदा की शोभा, आज जिले में किसी की पहचान की मोहताज नहीं है। ‘शोभा आज अपने सपनो को पूरा करने में लगी है’
16 वर्षीय शोभा राज्य स्तर की खिलाड़ी बन चुकी हैं और इसका श्रेय वह अपने परिवार और शिक्षकों को देती हैं। शोभा का अपने अब तक के सफर के बारे में कहना है, “मुझे याद है सबसे पहले मैंने भाई के साथ ही क्रिकेट खेला और उसके बाद से पापा के सहयोग से आज तक खेल रही हूँ। पहले पापा हमें सुबह जल्दी मैदान पर भेज दिया करते थे और खुद भी साथ में हमारे साथ अभ्यास किया करते थे। आज भी पापा हमारे साथ मैदान पर आते हैं।”
वह आगे कहती हैं, “मुझे कभी नहीं लगा कि यह लड़कों का ही खेल है। मैं जब भी मैदान में आई तब सिर्फ खुद को खिलाड़ी समझा और लड़कों के साथ टीम की तरह खेला। बल्कि सभी मुझे बहन की तरह मानते हैं और सहयोग करते हैं इसलिए मुझे कभी नहीं लगा कि मुझे कोई दिक्कत है। हां, मेरे पहनावे और रहन-सहन को लेकर लोगों ने जरुर टोका। कभी कहते बाल बढ़ा लो, ऐसे कपड़े पहनों, ऐसे रहो-वैसे करो। लेकिन मैं परवाह नहीं करती।”
शोभा को मैदान पर आकर सुकून मिलता है और महसूस होता कि यही वो जगह है यहाँ उन्हें सब कुछ पा लेना है। उन्होंने जौनपुर यूनिवर्सिटी में खेले गये मैच को जीत कर ट्राफी अपने नाम की।
शोभा की माँ सतरूपा सिंह का कहना है, “हम लड़का-लड़की में भेद नहीं करते। हम चाहते हैं कि वो आगे बढ़े, भारत की टीम में खेले इसलिए हम उसका पूरा साथ देते हैं। हम समाज के बारे में नहीं सोचते, हम अपनी बेटी को आगे बढ़ता हुआ देखना चाहते हैं इसलिए उसके साथ हैं।”
शोभा मानती हैं कि आज वो जो कुछ कर पा रही हैं वो सिर्फ उनके माता-पिता की वजह से क्योंकि बाँदा में कोई और लड़की नहीं जो क्रिकेट जैसा खेल खेलती हो और खुल कर अपना सपना जीती हो। शायद ही किसी के माता-पिता होंगे जो अपनी बेटी का सपना पूरा करने में उसकी मदद करते होंगे।
रिपोर्टर- कविता और मीरा देवी
Published on Mar 7, 2017