हांकी भारत का राष्ट्रीय खेल आय। पहिले पूर दुनिया मा भारत के हांकी का डंका बाजत रहै, पै आज क्रिकेट का नशा छावा हवै। प्रेमशंकर शुक्ला नाम का मड़ई फेर से वहै हांकी वाला लावै के कोशिश मा लाग हवै। आओ मिलित हवै चित्रकूट जिला के छेछारिहा गांव मा रहै वाले या हांकी के जादूगर से, वा कोच के साथै लेखन मा भी आपन नाम रोशन करिस हवै।
प्रेमशंकर शुक्ला का कहब हवै कि जबै मैं कक्षा आठ मा पढ़त रहेव, तबै से हांकी खेलब शुरू कीने हौं। जबै 1967 मा एयरफोर्स के नौकरी कीने हौं तौ कोच करै का मौका मिला अउर कइयौ जघा खेले गये हौं। 1975 मा अंतर्राष्ट्रीय स्तर मा श्रीलंका तक खेले गये हौं। 1997 मा मोर चयन अंतर्राष्ट्रीय खेल प्राधिकरण मा होइगा, तौ मोर तैनाती वाराणसी मा भे रहै। हुंवा नौ-दस साल मा चौदह-पन्द्रह लड़का अंतर्राष्ट्रीय स्तर मा हांकी खेले खातिर तैयार कीने हौं। उंई लड़का सगले खेलिन अउर देश का नाम रोशन करिन। जबै मैं ओलंपिक खेल खातिर गाना लिखे रहेव तबै मोहिका सिल्वर मेडल मिला रहै, वा मोर सबसे यादगार पल आय।
रिपोर्टर- नाजनी रिजवी