जिला बाराबंकी, ब्लाक हैदरगढ़ बाजार सगीरूद्दीन कै पुश्तैनी काम जूता बनावै कै बाय जेका वै आगे लै जाय चाहाथे। सगीरूद्दीन दस साल से जूता बनावाथे। कैसे बनाथै जूता जाना जाय सगीरुद्दीन से।
सगीरूद्दीन मोची कै कहब बाय कि पहले हमार पिता जी जूता कै काम करत रहे लकिन बहुत छोटी दूकान रही। अउर अब हम सीख गयन तौ खुद कै दूकान खोल लिहन।सबसे बड़ा मसला ई बाय कि जूता बनावै कै कारीगर ख़त्म हुवत जात रहे।
जूता लेदर से ही बनाई थी काहे से लेदर से बदबू नाय आवत अउर ठंढी भी नाय लागत। गर्मी मा गर्मी भी नाय लागत।दस साल तक रखे से भी येहि जूता मा बदलाव नाय आवत।आगरा से माल लाइके जवन गाँव गाँव बेंचा थिन ऊ काफी सस्ता रहा थै जेसे मनई उहै खरीदा थिन।लकिन ऊ दुई साल से ज्यादा नाय चलत। लकिन देखै मा ज्यादा अच्छा लागाथै।अउर हमार ज्यादा महगा बाय।
पहले जूता बनावै मा ज्यादा समय लागत रहा। ज्यादा मेहनत करै के बाद भी दिनभर मा चार से ज्यादा नाय बन पावत रहा अब जूता मा पास्ट अउर सोल बना रहा थै।सिर्फ पेंटिंग करै का पराथै। अब दिनभर मा लगभग दस जूता बन जाथै। लकिन ज्यादा बिक्री नाय होय पावत। अगर एही कंडीशन रहा तौ कुछ अउर रोजगार करै के ताई सोचै का परे।
रिपोर्टर- फिज़ा और नसरीन
16/01/2017 को प्रकाशित