
संस्थापक ऊषा विष्वकर्मा ने बताया कि उनके मोहल्ले में लड़कियों के लिए बिगड़ते माहौल को देख उन्होंने इस ग्रूप की शुरुआत की।
‘हमने लड़कीयों को अपना बचाव किस तरह करेंगे ये ट्रेनिंग दी। ये तय किया कि अगर हमें कोइ छेडे़गा ते उसे जवाब देगें। हमने अब तक सत्रह हज़ार लड़कियों को आत्मरक्षा में ट्रेन किया है।’
जिला चित्रकूट और बांदा। ‘एक औरत के ससुराल वालों ने उसे जला कर मार दिया था। पर उनके दबाव में पुलिस ने आत्महत्या का केस दर्ज किया और माइके वालों से समझौता करवा लिया। ऐसे केसों को देख मैंने महिलाओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ काम करने की ठानी।’ वनांगना की वरिष्ठ कार्यकर्ता अवधेश चित्रकूट के भौंरी गांव के इस केस को याद करती हैं।
दो ऐसे जिले जहां महिलाओं पर हिंसा के आंकड़े चैंकाने वाले हैं, वहां ‘वनांगना’ संस्था महिलाओं के साथ 1994 से काम कर रही है।
‘महिलाओं के प्रताडि़त होने के पीछे शिक्षा के अभाव का बड़ा हाथ है। इससे प्रषासनिक और राजनीतिक स्तर पर महिलाओं की कमी रह जाती है जबकि पंचायती राज में तैंतिस प्रतिषत महिलाओं के लिए आरक्षण भी है। इसके साथ यह भी ज़्ारूरी है कि औरतें संगठित होकर आवाज़्ा उठाएं।’