नई दिल्ली। तीन नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के नेताओं ने संसद से राष्ट्रपति भवन तक रैली निकाली। इस रैली का मकसद देश में बढ़ती हिंसा के खिलाफ विरोध दर्ज करवाना था।
रैली के ज़रिए कांग्रेस ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से उनकी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल कर हिंसा के माहौल को खत्म करने की अपील की। रैली से पहले 2 नवंबर को सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति से मुलाकात भी की। ये मुलाकात ऐसे समय पर हुई जब कांग्रेस साम्प्रदायिकता को लेकर केंद्र सरकार पर ज़ोरदार हमले कर रही है। 2 नवंबर को ही प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के पूर्णिया में चुनावी रैली के दौरान हिंसा के मुद्दे पर वार करते हुए कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष को एनडीए को सीख देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है और पार्टी को 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए ‘अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए’ जिसमें हज़ारों लोगों का कत्लेआम हुआ था।
कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि 2002 में हुए गोधरा कांड के बाद हुई हिंसा की तरह मोदी 2015 में भी अपना राजधर्म भूल गए हैं क्योंकि नफरत और हिंसा को लेकर वे चुप रहकर इसका समर्थन ही कर रहे हैं।
हिंसा के खिलाफ कांग्रेस की रैली
पिछला लेख