लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद आखिकार 29 नवम्बर को पहली बार महिलाओं ने मुंबई शहर के मशहूर हाजी अली दरगाह के अंदरूनी हिस्सों में प्रवेश किया।2 साल पहले ‘भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन’ ने दरगाह के मुख्य हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी थी।
जिसका परिणाम यह हुआ कि देश भर की करीब 80 महिलाओं ने दरगाह में प्रवेश किया, जिसके बाद इस मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश को लेकर कई विवाद हुए।
शनि शिंगणापुर मंदिर और हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश के लिए अभियान चलाने वाली ‘भूमाता ब्रिगेड’ की प्रमुख तृप्ति देसाई ने इसे बड़ी जीत बताया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सम्मानपूर्वक अंदर जाने दिया गया है,और यह इस आंदोलन की जीत है।
परयह अभी भी आंशिक सफलता ही है।गौरतलब है कि इस साल अगस्त में बॉम्बे हाई कोर्ट ने महिलाओं को मजार तक जाने पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया था।हाई कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। इस फैसले को ‘दरगाह ट्रस्ट’ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ‘दरगाह ट्रस्ट’ ने भी विशेष इंतजाम किए हैं। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग प्रवेशद्वार बनाए गए हैं। इसके अलावा, अब कोई भी व्यक्ति हाजी अली की मजार को नहीं छू सकेगा।
अब महिलाओं और पुरुषों,दोनों को ही मजार से करीब 2 मीटर की दूरी पर खड़ा रहना पड़ेगा।