जिला वाराणसी। सरकार गां व के सुविधा खातिर के तरह तरह के याजे ना निकलल हव। जब कोइ अधिकारी से पुछे जाला त कहियन कि गां व खातिर के एतना याजे ना निकलल हव। याजे ना के लाभ म से पइसा भी ना लगी। लेकिन जब जमीनी स्तर पर देखल जाला त अहियन कुछ नाहीं होत। कहि लागे आवास खातिर के भटकत हयन त कहि शोचालय खातिर के कहि कहीं के लोग त पानी पीए खातिर के तरसत हयन। कही ं मनरगे के लके धरना हाते हव। त कहीं अगर हव भी त उ ठीक से काम नाहीं करत हव। जइसे कि श्रीकण् ठपरु से राशनकार्ड त हव लेकिन राशन छः महीना पर एक बार मिलत हव। कहीं कहीं त कोटेदार राशन बिलेक कर दकत हयन। आउर इ कहत हयन कि राशन कम मिलत हव। अइसन याजे ना कउन काम के कि लागे याजे ना खातिर के धरना पर बइठत हयन। सरकार त योजना लागू करत हव त आके र निष्पक्ष जां च भी जरूर करवाव के चाही। ताकि जरूरतमन्द लाभ खातिर के इधर उधर ना भटके। सरकार के भी योजना के हवा में ना उड़ावे के चाही। लेकिन सरकार के भी का उ भी याजे ना क से नाम दके चपु हा जाइर्। लागे याजे ना खातिर के भटकल कर अगर सरकार के तरफ से कउनों भी योजना निकलल हव त उ के जरूरतमन्द तक पहुचे के चाही।
हवा में उड़त सरकारी योजना
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