चित्रकूट। जि़ले के प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल में खाना बनाने वाली रसोइया बेसिक षिक्षा विभाग के अनुसार कुल संैतिस सौ पैतालिस हैं। रसोइयों की समस्या है कि मानदेय हर महीने समय से नहीं मिलता।
ब्लाक कर्वी, गांव गोंड़ा, कोरारी पुरवा। यहां के प्राथमिक स्कूल में खाना बनाने का काम भोलिया, सरस्वतिया और बुटुवा करती हैं। यह तीनों लोग दो बरस से स्कूल में खाना बनाती हैं। उनको जनवरी 2014 से अगस्त 2014 तक मात्र दो महीने के दो हज़ार रुपए मिले हंै।
ब्लाक मऊ, गांव हटवा। यहां की खाना बनाने वाली शकुन्तला ने बताया कि दो साल से मानदेय नहीं मिला है। दो साल के बीस हज़ार रुपए होते हैं। एक तो सरकार एक महीने में एक हज़ार रूपए देती है। वह भी हर महीने नहीं मिलते। उस पर कई काम जैसे बर्तन साफ करना, झाडू लगाना पड़ता है।
ब्लाक रामनगर, कस्बा रामनगर, प्राथमिक स्कूल। यहां खाना बनाने वाली आषा देवी, सियादुलारी और मीरा देवी बताती हंै कि पिछले साल दो महीने के दो हज़ार रूपए नहीं मिले। इस साल दो महीने हो गए हैं।
जिला बेसिक षिक्षा अधिकारी वीरेन्द्र कुमार सिंह कहते हंै कि सरकार की तरफ से यह आदेेष है कि खाना बनाने वाली रसोइयों को एक साल में मात्र दस महीने का मानदेय दिया जायेगा। यह नियम पिछले साल से सरकार ने लागू किया है। अभी बजट नहीं है, बजट आने के बाद मानदेय मिलेगा। इसके लिए सरकार के पास पन्द्रह दिन पहले लिखित भेजी गई है।
हर महीने नहीं मिलता मानदेय
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