उत्तर-प्रदेश के हर जिला मा सबसे ज्यादा किसान ही मार झेलत हईन। कबहू मौसम के मार से तौ कबहू प्रशासन के लापरवाही से जब कि देखा जाए तौ लगभग नब्बे प्रतिशत मनई किसान पै ही निर्भर हईन।
किसान केतना मेहनत कराथिन चाहे ठण्डी होय या गर्मी या बरसात हर मौसम मा किसान अपने खेती मा जुटा रहाथिन। कितना लागत भी लगावाथिन खाद, पानी, दवाई लकिन पल भर मा उनके सब कै मेहनत पै पै पानी फिर जाथै जइसै गेहूं कै फसल तैयार होय का भै तौ हुदहुद वारिस के कारन फसल बर्बाद होई गै। जब धान कै फसल खेत मा लगाई गै तौ सूखा के कारन धान बाली निकली ही कितना किसान कै फसल सूखाय गै। ऐसे मा सरकार किसान मनई पूरी तरह से ध्यान काहे नाय देत?
जवने किसान कै खेती नहर के किनारे बाय। नहर विभाग के लापरवाही से फसल बर्बाद होई जाथै। जइसै कि फैजाबाद जिला के पौसरा रजबहा मा शारदा सहायक नहर कटी जाए से दर्जनों गंाव के किसान कै सैकड़ौ विद्या गेहूं, मटर,सरसों, आलू बोया बोवान फसल बर्बाद होईगा। इतना पानी भरी गैरहा कि मानौ बाढ़ आई गै रही। सारे किसान फसल बर्बादी से रोवत हईन। मुअवाजा कै मांग करत हइन। लकिन शासन ध्यान काहे नाय देत किसान मुआवजा भी उनके नुकसान के अनुसार काहे नाय दियत? अगर मुआवजा मिल भी जात तौ पन्द्रह सौ, हजार रूपया यतना मा उनकै लागत भी नाय निकलत। यकरी ताई सरकार का कुछ ठोस कदम उठावे का चाही।
हर तरह से किसान झेलत मार
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