उत्तर प्रदेश। मजदूर संघों की मांगों को लेकर शुरू हुई दो दिनों की राष्ट्रीय हड़ताल से आम लोग परेषान रहे। 20 और 21 फरवरी पूरे देष में महंगाई, बेरोज़गारी और सरकार की श्रम नीतियों के खिलाफ बंद रखा गया।
आटो रिक्षा, सरकारी बसें और टैक्सी न चलने से दफ्तर, स्कूल और गांव से शहरों या कस्बों में दिहाड़ी काम की खोज में जाने वाले लोग पहुंच नहीं पाए। मौके का फायदा उठाकर निजी बसों ने डेढ़ से दो गुना तक किराया लोगों से वसूला।
चित्रकूट, बांदा, महोबा, बनारस, फैजाबाद, लखनऊ और अंबेडकर नगर में भी लोगों की दिनचर्या पर असर हुआ। कर्वी से बांदा तक का सफर यहां की रुपाली को डग्गामार जीप से तय करना पड़ा। जिसमें डेढ़ घंटे की जगह उसे तीन घंटे लगे। दूसरी तरफ मऊ से कर्वी के सफर के लिए निजी बसें अड़तीस रुपए की जगह आज पचास रुपए वसूल रहे थे। दूसरे वाहन न चलने के कारण निजी बसों और डग्गामार जीप में रोज के मुकाबले दोगुने लोग भरे गए।
हर जगह पड़ा हड़ताल का असर
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